AIN NEWS 1 | अफगानिस्तान एक बार फिर प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। महज 24 घंटे के भीतर यहां दो बड़े भूकंप आए, जिसने दक्षिण-पूर्वी इलाकों में भारी तबाही मचा दी। सोमवार को 6.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें करीब 1400 लोगों की मौत और 3,000 से अधिक लोग घायल हो गए। इसके अगले ही दिन मंगलवार को 5.5 तीव्रता का दूसरा भूकंप आया, जिसने पहले से ही बर्बाद इलाकों को और हिला दिया।
लोग अब भी मलबे में दबे अपने प्रियजनों को खोज रहे हैं। कई गांव पूरी तरह उजड़ चुके हैं, और राहत एवं बचाव कार्य बेहद मुश्किल परिस्थितियों में जारी है।
लगातार झटकों से दहशत में लोग
पहला भूकंप इतना विनाशकारी था कि सैकड़ों घर जमीनदोज हो गए। जब लोग अपने गिरे हुए घरों से सामान निकालने और अपनों की तलाश में लगे हुए थे, तभी अगले ही दिन फिर से धरती कांप गई। लोगों में अफरा-तफरी मच गई और कई घायल राहत शिविरों से भी बाहर भाग गए।
अफगानिस्तान की नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के प्रवक्ता यूसुफ हमाद ने बताया कि घायलों की संख्या लगातार बढ़ सकती है क्योंकि अभी भी कई लोग मलबे में फंसे हुए हैं।
बचाव कार्यों में रुकावट
भूकंप से पहाड़ों में भूस्खलन हो गया है, जिससे कई मुख्य सड़कें पूरी तरह बंद हो गईं। इन रास्तों पर भारी मलबा और पत्थर गिरने से आपातकालीन टीमें प्रभावित इलाकों तक समय पर नहीं पहुंच पा रही हैं। हेलीकॉप्टरों और अन्य साधनों से भी बचाव कार्यों को अंजाम देने की कोशिश की जा रही है, लेकिन पहाड़ी इलाकों और खराब मौसम के कारण राहत कार्यों में काफी दिक्कतें आ रही हैं।
भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ
Deeply saddened by the loss of lives due to the earthquake in Afghanistan. Our thoughts and prayers are with the bereaved families in this difficult hour, and we wish a speedy recovery to the injured. India stands ready to provide all possible humanitarian aid and relief to those…
— Narendra Modi (@narendramodi) September 1, 2025
भारत ने तुरंत अफगानिस्तान की ओर मदद भेजी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस त्रासदी पर गहरा दुख व्यक्त किया और शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना जताई। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से फोन पर बातचीत की और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया।
Spoke with Afghan Foreign Minister Mawlawi Amir Khan Muttaqi today. Expressed our condolences at the loss of lives in the earthquake.
Conveyed that India has delivered 1000 family tents today in Kabul. 15 tonnes of food material is also being immediately moved by Indian Mission… pic.twitter.com/whO2iTBjS8
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) September 1, 2025
भारत ने काबुल में 1,000 परिवारों के लिए टेंट उपलब्ध कराए हैं। इसके अलावा भारतीय मिशन ने काबुल से कुनार तक 15 टन खाद्य सामग्री भेजी है, ताकि प्रभावित लोगों को तुरंत राहत मिल सके। अफगानिस्तान सरकार ने भी भारत की इस त्वरित सहायता के लिए आभार व्यक्त किया।
वैश्विक स्तर पर चिंता
I stand in full solidarity with the people of Afghanistan after the devastating earthquake that hit the country earlier today.
I extend my deepest condolences to the families of the victims and wish a speedy recovery to those injured.
The @UN team in Afghanistan is mobilized…
— António Guterres (@antonioguterres) September 1, 2025
संयुक्त राष्ट्र (UN) और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों ने भी स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि अफगानिस्तान में यूएन टीमों को तुरंत सक्रिय कर दिया गया है और प्रभावित क्षेत्रों में जरूरतमंदों को हर संभव मदद दी जाएगी।
यूएन के मानवाधिकार आयुक्त वोल्कर टर्क ने लिखा कि अफगानिस्तान पहले से ही मानवीय संकट और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, और ऐसे में यह भूकंप वहां के लोगों के लिए और बड़ी त्रासदी बनकर आया है।
अफगान जनता की कठिनाई
भूकंप से प्रभावित लोगों के सामने अब छत और भोजन सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। जिन घरों में दरारें आ चुकी हैं, उनमें लौटना खतरे से खाली नहीं है। हजारों परिवार खुले आसमान के नीचे ठंड और भूख से जूझ रहे हैं। कई बच्चे अपने माता-पिता से बिछड़ गए हैं और राहत शिविरों में उन्हें देखभाल की जरूरत है।
मानवीय संगठनों का कहना है कि अगले कुछ हफ्ते बेहद महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि अगर राहत सही समय पर नहीं पहुंची तो बीमारियां और भुखमरी और ज्यादा लोगों की जान ले सकती हैं।
भारत की भूमिका क्यों अहम है?
भारत लंबे समय से अफगानिस्तान का साझेदार रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और आपातकालीन सहायता में भारत ने कई बार मदद की है। इस बार भी भारत ने साबित किया कि वह संकट की घड़ी में अफगान जनता के साथ खड़ा है। भारत से भेजी गई राहत सामग्री ने न केवल तत्काल जरूरतें पूरी की हैं बल्कि यह संदेश भी दिया है कि क्षेत्रीय सहयोग मानवीय आपदाओं में कितना अहम है।
आगे की चुनौतियां
अफगानिस्तान की मौजूदा राजनीतिक और आर्थिक स्थिति पहले ही नाजुक है। अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और संसाधनों की कमी के कारण वहां राहत और पुनर्निर्माण कार्य बड़ी चुनौती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अफगानिस्तान को न केवल तत्काल सहायता की जरूरत है बल्कि दीर्घकालिक पुनर्वास योजनाओं की भी आवश्यकता है, ताकि भूकंप से प्रभावित लोग अपने जीवन को फिर से खड़ा कर सकें।
24 घंटे के भीतर दो बड़े भूकंप ने अफगानिस्तान को गहरे जख्म दिए हैं। हजारों परिवार बेघर हो गए हैं और सैकड़ों गांव तबाह हो चुके हैं। इस मुश्किल घड़ी में भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की त्वरित मदद वहां के लोगों के लिए उम्मीद की किरण है। लेकिन असली चुनौती आने वाले समय में है, जब पुनर्निर्माण और प्रभावित परिवारों को स्थायी राहत दिलाना होगा।