AIN NEWS 1 | गाजियाबाद से जुड़े एक चर्चित मामले में हिंदू युवा वाहिनी के जिलाध्यक्ष रह चुके आयुष त्यागी काकड़ा को आखिरकार पुलिस ने देहरादून से गिरफ्तार कर लिया। उन पर आरोप है कि उन्होंने दुष्कर्म पीड़िता को धमकाया और मुख्य आरोपी को शरण दी। यह मामला पिछले कई दिनों से सुर्खियों में बना हुआ था और अब गिरफ्तारी के बाद इसे लेकर बहस और तेज हो गई है।
मामला कैसे शुरू हुआ?
यह विवाद उस समय सामने आया जब एक एलएलबी (LLB) छात्रा ने आरोप लगाया कि हिंदू युवा वाहिनी के नगर अध्यक्ष सुशील प्रजापति ने उसे नौकरी और बड़े वकीलों से पहचान कराने का लालच देकर यौन शोषण किया। मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने आरोपी की तलाश शुरू की, लेकिन जांच में पता चला कि आरोपी को बचाने में संगठन के जिलाध्यक्ष आयुष त्यागी काकड़ा की भूमिका भी हो सकती है।
पुलिस की दबिश और फरारी
20 अगस्त 2025 को गाजियाबाद पुलिस ने मुरादनगर स्थित आयुष त्यागी के घर छापा मारा। तीन थानों की संयुक्त टीम पहुंची, लेकिन वह पिछवाड़े से भाग निकले। इसके बाद उन्हें फरार घोषित कर दिया गया। लगातार दबिश और मीडिया रिपोर्टिंग के बीच मामला और गंभीर होता गया।
देहरादून से गिरफ्तारी
लगभग तीन दिन की तलाश के बाद पुलिस ने उन्हें देहरादून से गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने बताया कि आयुष पर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं और उनसे लंबी पूछताछ की जाएगी।
आयुष त्यागी पर लगे आरोप
पुलिस के अनुसार आयुष त्यागी पर तीन मुख्य आरोप हैं:
दुष्कर्म पीड़िता को धमकाना – ताकि केस आगे न बढ़े।
मुख्य आरोपी को पनाह देना – जिससे पुलिस की कार्रवाई प्रभावित हुई।
सोशल मीडिया पर पीड़िता की छवि खराब करने की कोशिश – ताकि उस पर दबाव बनाया जा सके।
समाज और राजनीति की प्रतिक्रिया
यह मामला सामने आते ही समाज के विभिन्न संगठनों ने पीड़िता की सुरक्षा की मांग की। विपक्षी दलों ने भी इसे लेकर सरकार पर सवाल उठाए और कहा कि ऐसे संगठनों को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है।
हिंदू युवा वाहिनी की छवि पर भी असर पड़ा है – कुछ सदस्य आयुष से दूरी बना रहे हैं, तो कुछ अब भी उनका समर्थन कर रहे हैं।
पीड़िता का दर्द
पीड़िता ने मीडिया को बताया कि उसे और उसके परिवार को लगातार धमकियां मिल रही थीं। उसने प्रशासन से सुरक्षा और केस की तेज़ सुनवाई की मांग की है।
पुलिस की अगली कार्रवाई
पुलिस का कहना है कि गिरफ्तारी के बाद आयुष से पूछताछ चल रही है। अगर आरोप साबित होते हैं, तो उन पर IPC धारा 506 (धमकी) और धारा 212 (अपराधी को शरण देना) समेत कई धाराओं में केस दर्ज किया जाएगा। साथ ही, यह भी जांच हो रही है कि और कौन लोग इस मामले में शामिल थे।
जनता और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर गुस्सा साफ देखा जा सकता है। लोगों का कहना है कि किसी संगठन या पद का इस्तेमाल अपराध छिपाने के लिए नहीं होना चाहिए। कई लोगों ने सरकार से मांग की कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो ताकि समाज में गलत संदेश न जाए।
आयुष त्यागी काकड़ा की गिरफ्तारी इस पूरे केस का अहम मोड़ है। अब आगे की जांच से यह साफ होगा कि उनकी भूमिका कितनी गहरी थी और क्या अन्य लोग भी इसमें शामिल थे। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि कानून से बड़ा कोई नहीं है – चाहे वह संगठन का नेता हो या आम नागरिक।