AIN NEWS 1 बरेली: बरेली के प्रसिद्ध चश्मे दारुल इफ्ता के प्रमुख और मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने एक फतवा जारी किया है, जिसमें मुसलमानों को गैर-धार्मिक त्योहारों पर बधाई देने और ऐसे त्योहारों में शामिल होने से मना किया गया है। उनका कहना है कि इस्लाम में गैर-मुस्लिमों के त्योहारों का जश्न मनाना पूरी तरह से वर्जित है।
मौलाना रजवी ने कहा, “नए साल का जश्न मनाना, एक-दूसरे को मुबारकबाद देना, डांस करना, मोबाइल पर संदेश भेजना आदि इस्लाम के खिलाफ हैं। यह सभी गतिविधियाँ शरीयत के अनुसार नाजायज हैं और मुसलमानों को इन्हें करना मना है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि मुसलमानों को गैर-मुस्लिमों के धार्मिक त्योहारों में भाग नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है।
इसके अलावा, फतवे में यह भी कहा गया है कि अगर कोई मुसलमान इस तरह के गैर-शरई काम में शामिल होता है, तो वह एक बड़े गुनाह का भागी है। इस फतवे के जरिए मुसलमानों से यह अपील की गई है कि वे शरीयत के खिलाफ कोई भी कार्य न करें और इन धार्मिक उत्सवों से दूर रहें।
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने यह भी बताया कि मुसलमानों का कर्तव्य है कि वे ऐसे लोगों को इस्लाम के सिद्धांतों से अवगत कराएं और उन्हें इस तरह के गैर-इस्लामी कार्यों से बचने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि नए साल का जश्न इस्लाम के सिद्धांतों के विपरीत है, क्योंकि यह एक ईसाई त्योहार है और मुसलमानों को इसे मनाने की अनुमति नहीं है।
मौलाना के इस फतवे के बाद बरेली में इस पर बहस छिड़ गई है, जहां कुछ लोग इस विचार से सहमत हैं, वहीं कुछ इसका विरोध भी कर रहे हैं। हालांकि, यह फतवा उन मुसलमानों के लिए मार्गदर्शन का काम करेगा, जो अपनी धार्मिक आस्थाओं के तहत ऐसे त्योहारों से बचने का प्रयास करते हैं।
इस फतवे का उद्देश्य मुसलमानों को इस्लाम के धर्म-सिद्धांतों के प्रति जागरूक करना है और उन्हें यह बताना है कि वे केवल अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करें और किसी भी गैर-इस्लामी गतिविधि से बचें।