AIN NEWS 1 | उत्तर प्रदेश की राजनीति में उस वक्त हलचल तेज हो गई जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और कैसरगंज से पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की तारीफ कर डाली। संत कबीर नगर में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अखिलेश को धार्मिक प्रवृत्ति वाला व्यक्ति बताया और कहा कि वे परिस्थितियों के चलते धर्म का विरोध करते हैं, लेकिन उनके भीतर सनातन संस्कृति के लिए सम्मान है।
कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, “अखिलेश यादव एक धार्मिक व्यक्ति हैं। उनके पिता मुलायम सिंह यादव भी हनुमान जी की स्तुति करते थे। अखिलेश श्रीकृष्ण के वंशज हैं और उन्होंने हाल ही में एक सुंदर मंदिर का निर्माण कराया है। जो लोग उन्हें धर्म विरोधी समझते हैं, वो भ्रम में हैं।”
उन्होंने आगे जोड़ा कि “अखिलेश यादव मजबूरी में धर्म का विरोध करते हैं। ये उनकी रणनीति का हिस्सा हो सकता है या राजनीतिक गठबंधनों का दबाव। पर असल में वो धर्म के विरोधी नहीं हैं। उनके भीतर धार्मिकता है, जिसे वो खुलकर नहीं दिखा पाते।”
बृजभूषण सिंह की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब उत्तर प्रदेश में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। यह बयान सपा और भाजपा के समर्थकों के बीच चर्चा का विषय बन चुका है। कई लोग इसे विपक्ष की रणनीति को तोड़ने की कोशिश मान रहे हैं, तो कुछ इसे सियासी शिष्टाचार कह रहे हैं।
🛑 इटावा कथा वाचक प्रकरण पर तीखी प्रतिक्रिया
बृजभूषण शरण सिंह ने अपने बयान में इटावा में एक कथा वाचक के साथ हुई मारपीट की घटना पर भी कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि, “इटावा में जिस तरह एक कथा वाचक को मारा-पीटा गया, वह निंदनीय है। कथा कहने का अधिकार सभी को है। धर्म और वेदों की बात किसी जाति विशेष की बपौती नहीं है।”
उन्होंने कहा कि जो लोग केवल जाति के आधार पर कथा वाचकों की आलोचना करते हैं, उन्हें वेदव्यास और विदुर जैसे ऐतिहासिक चरित्रों की जीवनियाँ पढ़नी चाहिए। “आज के समय में कोई भी व्यक्ति चाहे किसी भी जाति या वर्ग से हो, वह अगर धर्म की बात करता है, तो उसका सम्मान किया जाना चाहिए, ना कि जातिवादी राजनीति के तहत अपमानित किया जाए।”
बृजभूषण सिंह ने आगे कहा कि आज की राजनीति में जाति के नाम पर लोगों को बांटना सही नहीं है। समाज को जोड़ने के लिए जरूरी है कि धर्म, संस्कृति और आध्यात्म को जातिवादी नजरिए से न देखा जाए।
🧭 सियासी संकेत क्या हैं?
भाजपा के वरिष्ठ नेता की ओर से विपक्षी दल के प्रमुख की सराहना करना कोई मामूली घटना नहीं है। यह बयान केवल प्रशंसा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके गहरे राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। क्या भाजपा आने वाले चुनावों में सामाजिक और धार्मिक संतुलन साधने की कोशिश कर रही है? या फिर यह बयान व्यक्तिगत सम्मान का प्रतीक है, जिसे राजनीतिक पटल पर गलत तरीके से पेश किया जा रहा है?
एक ओर जहां भाजपा विपक्ष पर लगातार हमलावर रहती है, वहीं बृजभूषण सिंह का यह बयान भाजपा की रणनीति में लचीलापन दिखाता है। हालांकि, यह स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में बयानबाज़ी का यह दौर अब और तीखा होता जाएगा।
In a surprising political development, BJP leader Brijbhushan Sharan Singh praised Samajwadi Party Chief Akhilesh Yadav, calling him a religious person influenced by political pressure. Speaking at an event in Sant Kabir Nagar, Singh said Akhilesh is not anti-religion by nature and follows the legacy of his father Mulayam Singh Yadav, who respected Hindu deities. Singh also criticized the recent assault on a Katha Vachak in Etawah, urging people to rise above caste-based politics. His remarks have stirred debate in UP politics and sparked speculation about shifting political narratives.