Congress Leaders Hail Caste Census Move, Credit Rahul Gandhi for Initiative
जातिगत जनगणना पर कांग्रेस का समर्थन, राहुल गांधी को बताया क्रेडिट के हकदार
AIN NEWS 1: दिल्ली में कांग्रेस नेताओं ने जातिगत जनगणना को राष्ट्रीय जनगणना में शामिल करने के फैसले का स्वागत किया है। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया और इस पहल के पीछे राहुल गांधी की भूमिका को निर्णायक करार दिया।
प्रतिभा सिंह का बयान
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा वीरभद्र सिंह ने दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए कहा,
“राहुल गांधी ने संसद में कई बार यह मुद्दा उठाया। वे बार-बार जातिगत जनगणना की मांग करते रहे। अब जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने इस मुद्दे को स्वीकार किया है। इसका श्रेय राहुल गांधी को जाता है।”
प्रतिभा सिंह ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी शुरू से ही सामाजिक न्याय के पक्ष में रही है और जातिगत आंकड़ों के बिना समाज में समरसता और समानता लाना कठिन है। उन्होंने कहा कि यह आंकड़े नीतियों के निर्माण में सहायक होंगे और इससे यह पता चलेगा कि कौन-सी जातियां किन-किन क्षेत्रों में पिछड़ी हुई हैं।
सचिन पायलट की प्रतिक्रिया
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा,
“अब तक बजट और कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता नहीं थी। हम चाहते हैं कि अब इस प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाए।”
सचिन पायलट ने जातिगत आंकड़ों की अनुपस्थिति को सामाजिक असमानता की एक प्रमुख वजह बताया। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना से सरकारों को नीतियां बनाने में सटीकता मिलेगी और वास्तविक लाभार्थियों तक योजनाएं पहुंच सकेंगी।
कांग्रेस की पुरानी मांग
जातिगत जनगणना की मांग कोई नई नहीं है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल लंबे समय से इसकी मांग करते आ रहे हैं। राहुल गांधी ने लोकसभा और राज्यसभा दोनों में इस मुद्दे को कई बार उठाया है। उनका तर्क रहा है कि जब तक सरकार के पास समाज के विभिन्न जातीय समूहों के सटीक आंकड़े नहीं होंगे, तब तक नीतियां प्रभावशाली नहीं बन सकतीं।
कांग्रेस का मानना है कि इस जनगणना से यह स्पष्ट होगा कि कौन-सी जातियां किन क्षेत्रों में उपेक्षित हैं, और उन्हें किन क्षेत्रों में मदद की ज़रूरत है। इसके अलावा, आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा और उसके बेहतर क्रियान्वयन के लिए भी यह आंकड़े जरूरी होंगे।
बीजेपी की स्थिति में बदलाव?
हाल ही में केंद्र सरकार ने संकेत दिए हैं कि जातिगत जनगणना को राष्ट्रीय जनगणना में शामिल करने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि पहले बीजेपी नेतृत्व इस पर स्पष्ट रूप से सहमत नहीं था, अब यह रुख बदलता नजर आ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव राजनीतिक दबाव और सामाजिक मांगों का परिणाम है।
जातिगत जनगणना क्यों जरूरी है?
जातिगत जनगणना केवल सामाजिक संतुलन के लिए नहीं, बल्कि समावेशी विकास के लिए भी अहम मानी जाती है। इससे यह जानकारी मिलती है कि किन जातियों को किस स्तर की सरकारी सहायता की जरूरत है। उदाहरण के लिए, अगर किसी खास जाति में शिक्षा का स्तर बहुत कम है, तो उनके लिए विशेष शिक्षा योजनाएं बनाई जा सकती हैं।
यह जनगणना सरकारों को यह समझने में भी मदद करेगी कि किन क्षेत्रों में विकास असंतुलित है। इससे सामाजिक न्याय की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकेंगे।
समयबद्ध कार्यान्वयन की मांग
सचिन पायलट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अब इस प्रक्रिया को और टालना नहीं चाहिए। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह एक निश्चित समयसीमा तय कर इस कार्य को पूर्ण करे। उन्होंने कहा कि केवल घोषणा करना पर्याप्त नहीं है, इसके प्रभावी और पारदर्शी कार्यान्वयन की जिम्मेदारी भी सरकार की है।
राजनीतिक और सामाजिक महत्व
जातिगत जनगणना सिर्फ एक आंकड़ा संग्रहण की प्रक्रिया नहीं है, यह सामाजिक असमानताओं को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कदम विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन सकता है क्योंकि इससे उनके परंपरागत वोट बैंक और नीति निर्माण की दिशा में बदलाव आ सकता है।
कांग्रेस इस मुद्दे पर अग्रणी भूमिका में नजर आना चाहती है और वह चाहती है कि जनता को यह संदेश जाए कि सामाजिक न्याय के लिए उसका संघर्ष वास्तविक है।
जातिगत जनगणना पर कांग्रेस का रुख साफ और मजबूत है। पार्टी ने राहुल गांधी को इस पहल का मुख्य सूत्रधार बताया है और सरकार से इसके समयबद्ध कार्यान्वयन की मांग की है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस अन्य विपक्षी दलों के साथ भी एकजुट हो रही है, ताकि सामाजिक न्याय को एक सशक्त आधार मिल सके।
Congress leaders have strongly backed the caste census inclusion in the national census, calling it a long-standing demand championed by Rahul Gandhi. Pratibha Singh credited Gandhi for persistently raising the issue in Parliament, while Sachin Pilot emphasized the urgent need for timely implementation to ensure transparency in budget allocation and welfare schemes. This statement from Congress reflects their consistent push for caste-based data collection to promote social justice, and it adds political pressure on the Modi government to act swiftly.
Jay Baba bhole ki. Vaise agar dekha jaaye. Tum meri yah personal. Vichardhara hai. Agar jaati Hai janganana ho jaaye. Aur Mahadev baba Karen
Unke Aashirwad se sampurn ho jaaye
Jo Gandhi ke title per. Sirf aur sirf Gandhi ke title ka istemal lekar Samaj Ko. भिन्न-भिन्न Satya Sanatan Dharm per. बार-बार karte Rahe. Inka DNA test karane ki jarurat hi nahin padegi. Kyunki navab Nur Mohammed Sahab Bareilly wale Jo East India ke mukhymantri. Inka DNA unse Mel kha jaega
Aur jatiy janganana mein. Able number per inke Dada aur per dada ka Hi Naam apne aap a jaega
Kyunki Gandhi to ek title hai vah bhi Mata Ji ko mila tha. Gandhi ek title hai jo ki mataji yani ki hamare Bharat ke Ratan Shri Swarg Rajiv Gandhi ji ke. Nanihal ka gotra leka. Samaj Ko chalana samajh mein Samaj ke nahin aaya. Kyunki title Gandhi gift ke Bator kaho. Ya FIR samaj mein Gandhi title Gandhi ji ki dekhbhal kaho. Magar DNA to navab Nur Mohammed Sahab Bareilly walon ka hi nikalega
Jay Baba Mahakal