बता दे आपको बुधवार को काइट में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि साढ़े छह साल पहले प्रदेश मे पर्व और त्यौहार मनाना मुश्किल था। लोगो की समस्या करने के बजाय सरकार ही स्वंय मे समस्या थी. साथ ही सीएम योगी ने कहा कि अव्यवस्था, अराजकता और अविश्वास की स्थिति यह थी कि प्रदेश के नौजवान खुद को यूपी का बताने में संकोच करते थे. पहचान का संकट था और वही अगर आज की स्थिति की बात करे तो आज की स्थिति यह है कि जरुरत पड़मे पर सिर्फ यूपी के ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के लोग भी खुद को यूपी का बताते है।
आपको बता दे कि बुधवार को कृष्णा इंस्टीट्यूट आफ इंजीनिजरिंग एंड टेक्नोलॉजी के दीक्षांत समारोह में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, यूपी निवेशकों की पहली पसंद बन रहा है. देश की अर्थव्यवस्था में आठवी-दसवीं से पहले और दूसरे स्थान पर आने के लिए आगे बढ़ रहा है और आज रैपिड रेल भी चल रही है और मेट्रो भी। 12 लेन का दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे बना है और एक्सप्रेसवे का प्रदेश और देश में जाल बिछा है। नए भारत का नया यूपी देखने को मिल रहा है साथ ही सीएम योगी जी ने कहा कि आज परिवहन की बोल आधुनिकतम सुविधाएं देश और प्रदेश को मिल रही हैं। डेडिकेडेट फ्रेट कॉरिडोर बन रहा है और डिफेंस कॉरिडोर भी। सरकार बीज ने युवाओं, महिलाओं, किसानों, मजदूरों, उद्यमियों सहित समाज के हर तबके को समान महत्व देते हुए योजनाएं चलाई हैं। इनके परिणाम देश और प्रदेश में सबके सामने है। उन्होंने कहा, याद कीजिए, 2014 से पहले कैसा भारत हमारे सामने था। जब विकास एजेंडे का हिस्सा नहीं होता है तो काम में परिवारवाद, जातिवाद, अव्यवस्था, अराजकता, गुंडागर्दी हावी हो जाती है और पूरी व्यवस्था इसकी चपेट में आ जाती है। ये सारी 2014 से पहली की स्थिति थी, यही उस समय सरकार का विकास था. रोजाना बड़े-बड़े आंदोलन हो रहे थें लोगों में व्यवस्था के प्रति काफी ज्यादा गुस्सा था. हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी ने दिखाया है कि परिर्वतन कैसे लाया जा सकता है आज 140 करोड़ भारतीय व्यवस्था में पूरे विश्वास के साथ काम कर रहे है.
जीपीए अध्यक्ष सीमा त्यागी को किया गया नजरबंद
बता दे आपको मुख्यमंत्री के आगमन पर गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा त्यागी को उनके घर में नजरबंद कर दिया गया. साथ ही इसके ऊपर सीमा त्यागी ने कहा कि करवाचौथ पर मेरे घर को पुलिस प्रशासन ने जेल बना दिया. सीमा ने कहा कि मुझे ये समझ नही आता कि आखिर शिक्षा के मुद्दे को सरकार क्यों नहीं सुनना चाहती है।