AIN NEWS 1 फूलपुर उपचुनाव: जाति आधारित बयान पर घिरे सपा प्रत्याशी, वोटरों में बढ़ती नाराजगी और विपक्ष का सियासी हमला
उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं, जिनमें फूलपुर की सीट बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। सभी दलों के लिए यहां की जीत-हार अहम है, और इसी के चलते यहां सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। चुनावी अभियान के बीच एक विवाद ने तूल पकड़ लिया है, जहां समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रत्याशी मुज्जतबा सिद्दीकी के जाति सूचक बयान ने हड़कंप मचा दिया है।
सपा प्रत्याशी पर जातिसूचक शब्द का आरोप
हाल ही में एक निजी चैनल पर मुज्जतबा सिद्दीकी ने एक ऐसा बयान दिया, जो जातिसूचक माने जा रहे हैं और सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। उनके इस बयान के बाद बसपा के एक नेता ने उनके खिलाफ मामला भी दर्ज करा दिया है। इस विवाद के चलते फूलपुर के कई वोटरों में सपा प्रत्याशी के प्रति नाराजगी देखने को मिल रही है।
सपा का बचाव: बीजेपी पर आरोप
इस मुद्दे पर विवाद बढ़ता देख मुज्जतबा सिद्दीकी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बयान के लिए बीजेपी को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है और यह बीजेपी की साजिश है ताकि उनकी छवि को नुकसान पहुंचे। सिद्दीकी ने स्पष्ट किया कि वे किसी जाति के खिलाफ नहीं हैं, और बीजेपी पर आरोप लगाया कि यह चुनाव में उनकी जीत को रोकने की चाल है। उन्होंने यह भी कहा कि जनता वोटिंग के दिन इसका जवाब देगी।
बसपा और बीजेपी पर सपा का निशाना
सपा प्रत्याशी ने बसपा और बीजेपी दोनों को एक ही थाली के चट्टे-बट्टे कहकर हमला बोला। उन्होंने दावा किया कि दोनों पार्टियां मिलकर उनके खिलाफ साजिश रच रही हैं। दूसरी ओर, बसपा और बीजेपी दोनों ही इस आरोप को नकार रही हैं और सपा प्रत्याशी के बयान को गंभीरता से लेने की अपील कर रही हैं।
विपक्षी पार्टियों के उम्मीदवार और उनका प्रभाव
इस उपचुनाव में बीजेपी ने दीपक पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि बसपा ने जितेंद्र कुमार सिंह को मैदान में उतारा है। सपा से मुज्जतबा सिद्दीकी चुनाव लड़ रहे हैं। फूलपुर के वोटरों के बीच सपा प्रत्याशी के इस बयान से नाराजगी है और विपक्ष इस मौके का फायदा उठाने की कोशिश में जुटा हुआ है।
निष्कर्ष
फूलपुर उपचुनाव में जातिसूचक बयान का विवाद सपा प्रत्याशी के लिए भारी पड़ सकता है। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है और वोटरों में भी नाराजगी देखी जा रही है। अब देखना होगा कि यह मुद्दा चुनाव परिणामों को कितना प्रभावित करता है और क्या वाकई जनता सपा के समर्थन में खड़ी होती है या बीजेपी-बसपा की नीतियों का समर्थन करती है।