AIN NEWS 1 | दिल्ली में प्रदूषण पर काबू पाने के लिए 1 जुलाई से नया नियम लागू हुआ है, जिसके तहत 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों को सड़कों पर चलाने की अनुमति नहीं है। इस नियम को देखते हुए कई पेट्रोल पंप मालिकों ने ऐसे पुराने वाहनों को तेल देना बंद कर दिया। लेकिन इसके बावजूद उन्हें जुर्माना भरना पड़ा, जिससे नाराज होकर उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया।
क्या है याचिका का मुद्दा?
दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन ने कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उनका कहना है कि वे सरकार की मंशा और पर्यावरण संरक्षण की जरूरत को समझते हैं, लेकिन उन पर ऐसे नियम थोपे जा रहे हैं, जिनके क्रियान्वयन की कानूनी जिम्मेदारी उनके पास नहीं है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील ने बताया कि पेट्रोल पंप संचालकों पर मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 192 के तहत कार्रवाई की जा रही है, जबकि यह नियम उनके ऊपर लागू ही नहीं होता।
पेट्रोल पंप पर जुर्माना क्यों लगाया गया?
याचिका में बताया गया है कि एक पेट्रोल पंप पर रोज़ाना करीब 3000 गाड़ियां आती हैं। कई बार गाड़ियों को एक साथ तेल भरवाना होता है, जिससे गलती की संभावना बनी रहती है। ऐसे में अगर अनजाने में किसी पुरानी गाड़ी को तेल दे भी दिया जाए, तो भी पंप मालिकों पर सजा दी जा रही है, जो न्यायसंगत नहीं है।
क्या पेट्रोल पंप संचालक हैं कानून लागू करने के अधिकारी?
याचिका में कहा गया है कि पेट्रोल पंप निजी संस्थाएं हैं, जो तेल कंपनियों के साथ अनुबंध के तहत काम करती हैं। ऐसे में सरकार द्वारा उन पर कानून लागू करने की जिम्मेदारी डालना संविधान के कानून के शासन के सिद्धांत के खिलाफ है।
क्या इस नियम से सभी गाड़ियां प्रभावित हैं?
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, CNG से चलने वाले पुराने वाहनों को इस नियम से फिलहाल छूट दी गई है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही 2018 में ऐसे पुराने वाहनों पर रोक लगाने का आदेश दे चुका है, जबकि NGT का 2014 का आदेश सार्वजनिक स्थानों पर 15 साल पुराने वाहनों की पार्किंग को प्रतिबंधित करता है।
अब आगे क्या?
दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस मिणी पुष्कर्णा की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार और कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट को नोटिस जारी किया है और उनसे जवाब मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई सितंबर में होगी। अब देखना यह होगा कि कोर्ट के सामने सरकार क्या दलील देती है और क्या पंप मालिकों को राहत मिलेगी।
The Delhi High Court has issued a notice to the Delhi government and the Commission for Air Quality Management after petrol pump dealers were fined for refusing to refuel 10-year-old diesel and 15-year-old petrol vehicles. The Delhi Petrol Dealers Association argued that petrol pump owners should not be held responsible for implementing vehicle ban regulations. The case questions whether private fuel station operators can be penalized under Motor Vehicle Act Section 192. With pollution laws tightening across NCR, this case could have major implications for fuel retail operations and air quality enforcement in India.