AIN NEWS 1 नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस के लिए अदालतों में गवाही देने की प्रक्रिया अब और आसान हो गई है। गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश और उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना की मंजूरी के बाद अब पुलिस अधिकारी अपने थानों से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालतों से जुड़कर गवाही दे सकेंगे। यह कदम पुलिस की कार्यप्रणाली को अधिक कुशल और समय बचाने वाला बनाने की दिशा में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है।
थानों में बनेगा गवाही देने का विशेष स्थान
उपराज्यपाल ने सभी 226 थानों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने परिसर में गवाही के लिए एक निश्चित स्थान तैयार करें। यहां पुलिस अधिकारी वीडियो और ऑडियो मोड के जरिए सीधे अदालत से जुड़ सकेंगे। यह सुविधा केवल पुलिस अधिकारियों और कर्मियों के लिए होगी। अन्य गवाहों को थानों से वीडियो कांफ्रेंसिंग की अनुमति नहीं होगी।
अगर अदालत किसी मामले में विशेष रूप से पुलिस अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश देगी, तभी उन्हें कोर्ट में जाना होगा। अन्य सभी मामलों में वे थाने से ही वर्चुअल माध्यम से गवाही दे पाएंगे।
समय और संसाधनों की होगी बचत
फिलहाल औसतन करीब 2,000 पुलिस अधिकारी प्रतिदिन दिल्ली की विभिन्न अदालतों में गवाही देने जाते हैं। इसमें उनका काफी समय यात्रा में बीत जाता है, जिससे जांच और अन्य पुलिस कार्य प्रभावित होते हैं। नई व्यवस्था से यह समय बच सकेगा, और पुलिस कर्मी जांच व कानून व्यवस्था बनाए रखने में ज्यादा समय दे पाएंगे।
इस फैसले से अदालतों में भीड़ कम होगी और न्यायिक प्रक्रिया अधिक सुचारू रूप से चल सकेगी। पुलिस अधिकारियों की कार्यकुशलता बढ़ेगी और उनकी उपस्थिति डिजिटल माध्यम से भी उतनी ही प्रभावी होगी, जितनी कि व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत सुधार
यह बदलाव भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNS) के तहत तैयार किए गए वीडियो कांफ्रेंसिंग मॉडल नियमों के अनुरूप है। इन नियमों में पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को गवाही देने के लिए थानों में ही जगह निर्धारित करने की सिफारिश की गई थी।
गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन की समीक्षा बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि थानों में पर्याप्त संख्या में वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, ताकि पुलिस और अदालतों के बीच तालमेल बेहतर हो सके।
केवल पुलिस के लिए विशेष सुविधा
अमित शाह ने साफ कहा कि थानों में वीडियो कांफ्रेंसिंग का इस्तेमाल केवल पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा ही किया जाएगा। इस सुविधा का उपयोग किसी भी अन्य गवाह के लिए नहीं होगा। इसका उद्देश्य है कि पुलिस बल का समय और संसाधन अधिकतम रूप से बचाया जा सके और उनकी प्राथमिक जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित रहे।
सभी थानों में व्यवस्था लागू
दिल्ली पुलिस ने उपराज्यपाल को प्रस्ताव भेजकर सभी 226 थानों को गवाही देने के लिए निर्दिष्ट स्थान के रूप में अधिसूचित करने की अनुमति मांगी थी। इसमें शामिल हैं:
15 जिलों के 179 थाने
16 मेट्रो थाने
15 साइबर थाने
8 रेलवे पुलिस थाने
2 अपराध शाखा थाने
2 IGI एयरपोर्ट थाने
1 आर्थिक अपराध शाखा थाना
1 स्पेशल सेल थाना
1 महिला थाना
1 सतर्कता विभाग थाना
इन सभी स्थानों में अब विशेष रूप से तैयार कमरों में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पुलिस अधिकारी अपनी गवाही देंगे।
पहले सीमित थी सुविधा
इससे पहले वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा केवल हाईकोर्ट, जिला अदालतों, जेलों, अस्पतालों, फोरेंसिक साइंस लैब और कुछ सरकारी दफ्तरों तक ही सीमित थी। अब इसे थानों तक विस्तारित कर दिया गया है, जो पुलिस और न्याय व्यवस्था के बीच सीधा और तेज़ संचार स्थापित करेगा।
पुलिस कार्य में पारदर्शिता और दक्षता
यह कदम न केवल समय बचाएगा बल्कि पुलिस कार्य में पारदर्शिता और दक्षता भी लाएगा। डिजिटल गवाही से साक्ष्य प्रस्तुत करने की प्रक्रिया तेज होगी और मामले की सुनवाई में देरी की संभावना कम होगी। साथ ही, पुलिस अधिकारी फील्ड ड्यूटी और अपराध की जांच में अधिक समय दे पाएंगे, जिससे अपराध नियंत्रण और कानून-व्यवस्था की स्थिति मजबूत होगी।
Delhi Police officers will now be able to give court testimony directly from police stations through video conferencing, following the approval of Lieutenant Governor VK Saxena and the directive of Home Minister Amit Shah. This initiative, in line with the Indian Citizen Security Code’s model rules, aims to save time, enhance police efficiency, and reduce congestion in courts. With dedicated rooms set up in all 226 police stations, this move ensures seamless coordination between police and judiciary, benefiting both law enforcement and the justice system.