AIN NEWS 1: सर्दी का मौसम शुरू होते ही दिल्ली-एनसीआर में तापमान गिरने लगा है। बारिश के बाद ठंडी हवाओं ने लोगों को कंपकंपी में डाल दिया है। ऐसे में गर्म कपड़ों की बिक्री बढ़ गई है, और इसमें खासकर बॉम्बर जैकेट, पफर जैकेट और डाउन जैकेट का रुझान ज्यादा बढ़ा है। इनमें से डाउन जैकेट को लेकर ग्राहकों के बीच जबरदस्त मांग है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जो जैकेट हजारों और लाखों रुपए में बिक रही है, उसकी असल कीमत कौन चुका रहा है?
डाउन जैकेट का रहस्य
जब मैंने कतरन मार्केट में एक दुकानदार से डाउन जैकेट के बारे में पूछा, तो उसने बताया, “यह जैकेट स्टाइल और कम्फर्ट का बेहतरीन कॉम्बिनेशन है। इसमें पक्षियों के पंख होते हैं, जिन्हें ‘डाउन’ कहा जाता है। ये पंख कड़ाके की सर्दी में शरीर को गर्म रखते हैं।” दुकानदार ने जैकेट को उठाकर दिखाया और इसमें बत्तख के पंख होने की बात बताई। जब मैंने पूछा कि क्या ये पंख असल में बत्तख के होते हैं, तो उसने मुझे भरोसा दिलाने के लिए एक बारीक पंख भी दिखाया।
डाउन जैकेट के निर्माण में क्या होता है?
डाउन जैकेट के निर्माण में बत्तख या हंस के पंखों का इस्तेमाल किया जाता है। यह पंख बहुत हल्के और गर्म होते हैं, जो सर्दी में शरीर को सुरक्षित रखते हैं। इन पंखों को निकालने की प्रक्रिया भी बहुत दर्दनाक होती है। PETA (पिपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स) की रिपोर्ट के अनुसार, इन पक्षियों से पंख निकालने की प्रक्रिया में बहुत अधिक क्रूरता होती है। कई बार इन पक्षियों को जिंदा ही पंख निकालने के लिए काट लिया जाता है ताकि भविष्य में फिर से पंख लिए जा सकें। इस तरह का अत्याचार इन पक्षियों पर महीनों तक चलता रहता है।
कीमत की असल कहानी
बाजार में ब्रांडेड डाउन जैकेट्स की कीमत 10 हजार से लेकर लाखों रुपए तक हो सकती है, लेकिन कतरन मार्केट जैसे स्थानों पर यही जैकेट्स 3-4 हजार रुपए में मिल जाती हैं। हालांकि, इन जैकेट्स का निर्माण मुख्य रूप से चीन से होता है और यह दिल्ली के टैंकरोड और गांधीनगर मार्केट से होलसेल सप्लाई की जाती हैं।
PETA की रिपोर्ट: पक्षियों पर अत्याचार
PETA की रिपोर्ट के मुताबिक, डाउन इंडस्ट्री का सबसे बड़ा काला पक्ष यह है कि मुनाफे के लिए पक्षियों पर अत्याचार किए जाते हैं। इन पक्षियों को शिकार बनाकर या जिंदा रहने पर उनके पंख नोंचकर उन्हें दर्दनाक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इन पंखों के लिए बत्तख और हंस को शिकार बनाया जाता है। कभी-कभी इन पक्षियों को उनकी प्राकृतिक मृत्यु से पहले ही मारा जाता है, ताकि पंख निकाले जा सकें।
डाउन जैकेट का बढ़ता क्रेज
नेहा तलवार, साइंस एजुकेटर, बताती हैं कि डाउन एक प्रकार का एयर इंसुलेटर होता है, जो पक्षियों के शरीर को गर्म रखने में मदद करता है। यही कारण है कि डाउन से बने जैकेट, मैट्रेस, और बेड कवर बहुत पॉपुलर हैं। ये पंख ग्रे या सफेद रंग के हो सकते हैं, और इनका रंग इन्सुलेशन क्षमता पर कोई असर नहीं डालता। डाउन जैकेट्स की डिमांड खासकर उन देशों में ज्यादा है, जहां तापमान माइनस डिग्री तक गिर जाता है। इन देशों में न्यूजीलैंड, कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और चीन जैसे देश शामिल हैं।
भारत में डाउन जैकेट की स्थिति
भारत के अधिकतर हिस्सों में तापमान इतना कम नहीं गिरता कि डाउन जैकेट की आवश्यकता हो। इसलिए, भारत में सिंथैटिक सामग्री से बने जैकेट्स और ऊनी कपड़ों का इस्तेमाल ज्यादा होता है। बावजूद इसके, कुछ लोगों के बीच डाउन जैकेट्स का क्रेज बढ़ता जा रहा है। खासकर वे लोग जो सर्दियों में पहाड़ों या बर्फीले इलाकों में जाते हैं, उन्हें इस जैकेट की जरूरत महसूस होती है।
डाउन जैकेट के निर्माण का तरीका
डाउन जैकेट के निर्माण की प्रक्रिया में पक्षियों के पंखों को निकालने के बाद, इन पंखों को अलग किया जाता है। फैक्ट्री में एक एयर चैम्बर में पंख डाले जाते हैं और फिर हवा का दबाव दिया जाता है, जिससे भारी पंख नीचे और हल्के डाउन पंख ऊपर आ जाते हैं। इसके बाद इन पंखों को पॉलिस्टर या लिनिन जैसे कपड़े के साथ सिलकर स्टाइलिश डाउन जैकेट्स बनाई जाती हैं। यह प्रक्रिया बहुत तकनीकी और मेहनत वाली होती है, जिसके बाद तैयार होती है एक गर्म और हल्की जैकेट।
क्या आप भी खरीदने जा रहे हैं डाउन जैकेट?
अगर आप भी सर्दी से बचने के लिए डाउन जैकेट खरीदने का सोच रहे हैं, तो यह जरूरी है कि आप उसकी असली कीमत और उसमें इस्तेमाल किए गए सामग्रियों के बारे में पूरी जानकारी लें। PETA की रिपोर्ट के अनुसार, इन जैकेट्स की खरीदारी करना पशुओं पर होने वाली क्रूरता का समर्थन करने जैसा हो सकता है। इसलिए, यदि आप इस सर्दी में गर्म रहना चाहते हैं, तो पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भी ध्यान रखें और विकल्पों की तलाश करें।
बाजार में उपलब्ध सिंथेटिक जैकेट्स और ऊनी कपड़े भी उतने ही प्रभावी और उपयोगी हो सकते हैं, जबकि वे अधिक मानवतावादी विकल्प प्रदान करते हैं।