AIN NEWS 1 | सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 13 नवंबर को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए राज्यों में चल रहे बुलडोजर एक्शन को मनमाना करार दिया और इसके खिलाफ सख्त दिशा-निर्देश जारी किए। अदालत ने 95 पन्नों के अपने फैसले में स्पष्ट किया कि बिना कारण बताओ नोटिस के किसी का भी घर नहीं गिराया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि किसी के खिलाफ कार्रवाई सिर्फ कानूनी प्रक्रिया का पालन करके ही होनी चाहिए।
यह फैसला मूल रूप से दिल्ली के मामले पर था, जो जमीयत उलेमा-ए-हिन्द बनाम उत्तरी दिल्ली नगर निगम से संबंधित था। हालांकि, इस फैसले का प्रभाव यूपी समेत उन सभी राज्यों पर पड़ेगा जहां बुलडोजर एक्शन का इस्तेमाल किया गया है।
योगी सरकार की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद योगी सरकार की पहली प्रतिक्रिया आई है। सरकार ने कहा, “सुशासन की पहली शर्त कानून का राज है, और इस दृष्टिकोण से सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है। इससे अपराधियों के मन में कानून का भय उत्पन्न होगा।”
सरकार ने आगे कहा कि इस फैसले से संगठित अपराधियों और माफिया प्रवृत्ति के तत्वों पर लगाम कसने में आसानी होगी। यूपी सरकार ने स्पष्ट किया कि इस मामले में वह प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं थी क्योंकि यह केस दिल्ली से संबंधित था।
विपक्ष का हमला
आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को योगी सरकार के मुंह पर तमाचा बताया। उन्होंने कहा, “बिना अदालत के आदेश और बिना दोष साबित हुए किसी का घर नहीं तोड़ा जा सकता है।”
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने अपने आदेश में कहा, “किसी व्यक्ति का घर सिर्फ इसलिए नहीं गिराया जा सकता क्योंकि उस पर किसी अपराध का आरोप है। सत्ता को मनमानी करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।”
अदालत ने कहा कि किसी भी तोड़फोड़ से पहले संबंधित व्यक्ति को कारण बताओ नोटिस दिया जाना चाहिए और पर्याप्त समय भी मिलना चाहिए ताकि वह अपील कर सके। कोर्ट ने यह भी कहा कि घर इंसान की उम्मीद और उसका सपना होता है, जिसे बिना कानूनी प्रक्रिया के छीना नहीं जा सकता।
निष्कर्ष
इस फैसले के बाद देशभर में बुलडोजर एक्शन के नाम पर हो रही मनमानी पर रोक लगने की उम्मीद है। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के तहत गारंटीकृत अधिकारों की रक्षा करने की जरूरत पर जोर दिया है और राज्य की मनमानी कार्रवाई को असंवैधानिक करार दिया है। इस फैसले से अब हर राज्य सरकार को कानून के दायरे में रहकर ही कार्रवाई करनी होगी।