AIN NEWS 1: जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कुम्भ मेले में सबसे पहले पवित्र स्नान करने का सौभाग्य प्राप्त कर अपनी खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा, “मैं अत्यंत प्रसन्न हूं क्योंकि मैं सभी आचार्यों में सबसे पहले पवित्र स्नान करने वाला व्यक्ति था।”
उन्होंने राज्य सरकार और प्रशासन की व्यवस्थाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि इतने विशाल जनसमूह के बीच किए गए प्रबंध अत्यंत प्रभावशाली और सुव्यवस्थित हैं। स्वामी जी ने कहा, “सरकार ने बड़ी कुशलता से इस मेले का संचालन किया है, जो प्रशंसा के योग्य है।”
प्रशासन की प्रभावी तैयारियां
स्वामी रामभद्राचार्य ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने जो व्यवस्थाएं की हैं, उससे श्रद्धालुओं को न केवल सुविधा मिली है, बल्कि सभी को सुरक्षित और शांतिपूर्ण माहौल भी प्रदान किया गया है। उन्होंने मेला क्षेत्र की सफाई, सुरक्षा व्यवस्था और भीड़ प्रबंधन को अनुकरणीय बताया।
अन्य संतों को प्रेरणा
जगद्गुरु का यह अनुभव अन्य संतों और श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से अपील की कि वे सरकार और प्रशासन द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करें और इस धार्मिक आयोजन को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न होने में सहयोग दें।
विशेष क्षण की अनुभूति
स्वामी रामभद्राचार्य ने इस पवित्र स्नान को जीवन का विशेष क्षण बताते हुए कहा कि यह न केवल एक धार्मिक कृत्य है, बल्कि आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं को इस अवसर का पूर्ण लाभ उठाने की सलाह दी।
धार्मिक आस्था और अनुशासन का संगम
कुम्भ मेले में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए यह मेला केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। स्वामी जी ने कहा कि ऐसे आयोजनों में अनुशासन और आस्था का संतुलन बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है।
इस प्रकार, जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने पवित्र स्नान और कुंभ मेले के अद्भुत अनुभव को साझा कर सभी को सकारात्मक संदेश दिया।