शिप्रा सनसिटी में भारतीय धरोहर संस्था द्वारा आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन कथाव्यास श्री पवन नंदन जी ने, जरासंध वध, सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। साथ ही भक्तों को बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है तो वहीं इसे कराने वाले भी पुण्य के भागी होते है।
AIN NEWS 1 | शिप्रा सनसिटी में भारतीय धरोहर संस्था द्वारा आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन कथाव्यास श्री पवन नंदन जी ने, जरासंध वध, सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। साथ ही भक्तों को बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है तो वहीं इसे कराने वाले भी पुण्य के भागी होते है।
भगवान हमेशा सच्चे भक्तों में ही वास करते हैं। सुदामा चरित्र का बखान करते हुए कहा कि संसार में मित्रता भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह होनी चाहिए। जिनकी कथा में सच्ची मित्रता दर्शाई गई है। आधुनिक युग में स्वार्थ के लिए लोग एक दूसरे के साथ मित्रता करते हैं और काम निकल जाने पर लोग एक दूसरे को भूल जाते हैं।
जीवन में प्रत्येक प्राणी को परमात्मा से एक रिश्ता जरूर बनाना चाहिए। भगवान से बनाया गया वह रिश्ता जीव को मोक्ष की ओर ले जाएगा। सुदामा ने विपरीत परिस्थितियों में अपने सखा कृष्ण का चिंतन और स्मरण नहीं छोड़ा। जिसके फलस्वरूप कृष्ण ने भी सुदामा को परम पद प्रदान किया।
इस दौरान भजन गायन ने उपस्थित लोगों को ताल एवं धुन पर नृत्य करने के लिए विवश कर दिया। कथावाचक श्री पवन नंदन जी ने सुंदर समाज निर्माण के लिए गीता से कई उपदेश के माध्यम अपने को उस अनुरूप आचरण करने कहा जो काम प्रेम के माध्यम से संभव है, वह हिंसा से संभव नहीं हो सकता है। समाज में कुछ लोग ही अच्छे कर्मों द्वारा सदैव चिर स्मरणीय होते है, इतिहास इसका साक्षी है.
वहीं कथा समापन के दिन वैदिक हवन का आयोजन, आयोजन समिति की और से कथा प्रारंभ पर किया गया वही शाम कथा समापन पर विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया.
कथा समापन पर आयोजन समिति ने सभी सेवा सहयोगियों आरती बालियान, स्वाति चौहान, निरुपमा चमोला, कविता सिंह, कविता पालिवाल , वीरेंद्र सिंह, वी डी शर्मा जी, ललित पांडे जी, संदीप कुमार, अविनाश चंद्र, कमल कांत शर्मा, मनोज डागा, उमा शंकर तोमर आदि का आभार व्यक्त किया
आयोजन समिति के धीरज अग्रवाल, अजय शुक्ला, सीपी बालियान, कपिल त्यागी, अनिल मेहंदीदत्ता, अविनाश चंद्र, सुशील कुमार, सुचित सिंघल, धर्मेंद्र सिंह ने आचार्य पवन नंदन जी स्नेशशील अश्रुपूर्ण विदाई सम्मान किया एवं आशीर्वाद प्राप्त किया.
भगवान हमेशा सच्चे भक्तों में ही वास करते हैं। सुदामा चरित्र का बखान करते हुए कहा कि संसार में मित्रता भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह होनी चाहिए। जिनकी कथा में सच्ची मित्रता दर्शाई गई है। आधुनिक युग में स्वार्थ के लिए लोग एक दूसरे के साथ मित्रता करते हैं और काम निकल जाने पर लोग एक दूसरे को भूल जाते हैं।
जीवन में प्रत्येक प्राणी को परमात्मा से एक रिश्ता जरूर बनाना चाहिए। भगवान से बनाया गया वह रिश्ता जीव को मोक्ष की ओर ले जाएगा। सुदामा ने विपरीत परिस्थितियों में अपने सखा कृष्ण का चिंतन और स्मरण नहीं छोड़ा। जिसके फलस्वरूप कृष्ण ने भी सुदामा को परम पद प्रदान किया।
इस दौरान भजन गायन ने उपस्थित लोगों को ताल एवं धुन पर नृत्य करने के लिए विवश कर दिया। कथावाचक श्री पवन नंदन जी ने सुंदर समाज निर्माण के लिए गीता से कई उपदेश के माध्यम अपने को उस अनुरूप आचरण करने कहा जो काम प्रेम के माध्यम से संभव है, वह हिंसा से संभव नहीं हो सकता है। समाज में कुछ लोग ही अच्छे कर्मों द्वारा सदैव चिर स्मरणीय होते है, इतिहास इसका साक्षी है.
वहीं कथा समापन के दिन वैदिक हवन का आयोजन, आयोजन समिति की और से कथा प्रारंभ पर किया गया वही शाम कथा समापन पर विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया.
कथा समापन पर आयोजन समिति ने सभी सेवा सहयोगियों आरती बालियान, स्वाति चौहान, निरुपमा चमोला, कविता सिंह, कविता पालिवाल , वीरेंद्र सिंह, वी डी शर्मा जी, ललित पांडे जी, संदीप कुमार, अविनाश चंद्र, कमल कांत शर्मा, मनोज डागा, उमा शंकर तोमर आदि का आभार व्यक्त किया
आयोजन समिति के धीरज अग्रवाल, अजय शुक्ला, सीपी बालियान, कपिल त्यागी, अनिल मेहंदीदत्ता, अविनाश चंद्र, सुशील कुमार, सुचित सिंघल, धर्मेंद्र सिंह ने आचार्य पवन नंदन जी स्नेशशील अश्रुपूर्ण विदाई सम्मान किया एवं आशीर्वाद प्राप्त किया.