Dog Attack Horror in Ghaziabad: 30 People Bitten in a Single Day
गाजियाबाद में आवारा कुत्तों का कहर: एक ही दिन में 30 लोग घायल, शहर में दहशत का माहौल
AIN NEWS 1: गाजियाबाद में इन दिनों आवारा कुत्तों का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। रविवार का दिन शहरवासियों के लिए किसी डरावने सपने से कम नहीं रहा, जब अलग-अलग इलाकों में कुत्तों ने 30 लोगों को काट लिया। यह घटनाएं सुबह के समय से शुरू हुईं जब लोग मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे या अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए घर से बाहर जा रहे थे।
एमएमजी अस्पताल की इमरजेंसी में उमड़ी भीड़
चूंकि रविवार को एमएमजी अस्पताल की ओपीडी बंद थी, इसलिए सभी घायल मरीज सीधे इमरजेंसी वार्ड में पहुंचे। अस्पताल का आपातकालीन विभाग मरीजों से भर गया और स्टाफ को तुरंत सभी को प्राथमिक उपचार देना पड़ा। घायलों को टिटनेस और एंटी-रेबीज इंजेक्शन दिए गए।
मुख्य घायल व्यक्तियों में शामिल थे:
पूजा कुमारी (12 वर्ष), लाजपत नगर
अलीना (13 वर्ष), मोदीनगर
ईशा (22 वर्ष), विजयनगर
पोंजी गोयल, नेहरू नगर
अनीस (32 वर्ष), न्यू हिंडन विहार
निक्कू (4 वर्ष), बहरामपुर
इन सभी को अलग-अलग जगहों पर कुत्तों ने हमला कर घायल किया। अधिकतर घटनाएं सुबह के समय की हैं, जब सड़कों पर भीड़ कम होती है और कुत्ते अधिक आक्रामक हो जाते हैं।
संयुक्त अस्पताल, संजयनगर में भी हड़कंप
सिर्फ एमएमजी ही नहीं, संजयनगर स्थित संयुक्त अस्पताल में भी रविवार को 12 से अधिक घायल मरीज पहुंचे। वहां भी टिटनेस और एंटी-रेबीज इंजेक्शन देकर तत्काल उपचार शुरू किया गया। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक घायलों की स्थिति स्थिर है।
एमएमजी अस्पताल के सीएमएस डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि, “हमारे स्टाफ ने तुरंत घायलों को प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराया। सभी मरीजों को एंटी-रेबीज और टिटनेस इंजेक्शन दिए गए हैं, और किसी की स्थिति गंभीर नहीं है।”
शहर में डर और चिंता का माहौल
घटनाओं के बाद गाजियाबाद के नागरिकों में जबरदस्त दहशत फैल गई है। मॉर्निंग वॉक, सब्जी लेने जाना या स्कूल-कॉलेज जाना तक अब जोखिम भरा लगने लगा है। लोगों का कहना है कि प्रशासन को तुरंत कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
स्थानीय निवासी रजनी शर्मा ने कहा, “हम हर दिन अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने जाते हैं। अब डर लगता है कि कहीं रास्ते में कोई कुत्ता हमला न कर दे।”
एक बुजुर्ग पुरुष रामचंद्र यादव बोले, “हम 60 साल के हो गए, पर ऐसा आतंक पहली बार देख रहे हैं। हर गली में झुंड में घूमते कुत्ते हैं।”
प्रशासन से उम्मीदें और सवाल
अब शहरवासी यह सवाल उठा रहे हैं कि नगर निगम और प्रशासन इस खतरनाक स्थिति को कब तक अनदेखा करेगा? क्या आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रण में लाने के लिए कोई प्रभावी रणनीति बनाई जाएगी?
शहर के सामाजिक कार्यकर्ता राहुल अग्रवाल ने बताया, “हम लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि कुत्तों की नसबंदी और पुनर्वास की योजना बने, लेकिन सिर्फ कागजों में योजनाएं चल रही हैं। ज़मीन पर कुछ नहीं।”
क्या होना चाहिए समाधान?
विशेषज्ञों की मानें तो यह संकट सिर्फ “शहर की समस्या” नहीं, बल्कि एक जनस्वास्थ्य संकट बन चुका है। इसके समाधान के लिए प्रशासन को कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए:
1. आवारा कुत्तों की गिनती और स्थान चिन्हित करना।
2. नसबंदी अभियान को तेज करना।
3. रेगुलर वैक्सीनेशन अभियान चलाना।
4. डॉग शेल्टर बनाना और वहां उनका देखभाल सुनिश्चित करना।
5. सामान्य नागरिकों को जागरूक करना, खासकर बच्चों को।
जनता डरी हुई है, प्रशासन सोया है?
गाजियाबाद की सड़कों पर इन दिनों आवारा कुत्तों का डर साफ महसूस किया जा सकता है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, हर कोई खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। रविवार को एक ही दिन में 30 लोगों को काटना कोई मामूली बात नहीं। यह एक चेतावनी है कि अगर समय रहते कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
The stray dog menace in Ghaziabad has escalated alarmingly, with 30 people bitten in a single day across various areas of the city. Victims include children as young as 4 and senior citizens. Emergency wards in hospitals like MMG and Sanjay Nagar were overwhelmed with dog bite victims needing anti-rabies treatment. This alarming spike has raised serious concerns about public safety, urging authorities to take immediate action. The rising number of Ghaziabad dog attacks highlights the urgent need for stray dog control and a sustainable public health response.