Gujarat Fake Currency Factory Busted: ₹40 Lakh Seized, Secret Basement Exposed in Banaskantha
गुजरात के खेत में तहखाने से चली रही थी नकली नोटों की फैक्ट्री, 40 लाख बरामद – पूरी रिपोर्ट
AIN NEWS 1: गुजरात के बनासकांठा ज़िले से हाल ही में जो खबर सामने आई, उसने पूरे राज्य को हिला दिया। यहां एक गांव के खेत में बने गुप्त तहखाने में नकली नोट छापने का धंधा चल रहा था। पुलिस की लोकल क्राइम ब्रांच (LCB) ने छापेमारी कर जब तहखाने का दरवाज़ा खोला तो अंदर का नज़ारा देखकर सभी दंग रह गए। वहां आधुनिक प्रिंटर, महंगे कागज़ और लगभग 40 लाख रुपये के नकली नोट पड़े मिले।
यह मामला सिर्फ एक अपराध की कहानी नहीं है, बल्कि यह बताता है कि कैसे नकली नोट हमारे समाज और अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा खतरा बन चुके हैं।
पुलिस की गुप्त सूचना और छापा
पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि महादेविया गांव में एक खेत के नीचे नकली नोट बनाने का कारोबार हो रहा है। सूचना इतनी पुख्ता थी कि पुलिस ने तुरंत रणनीति बनाई। रात के अंधेरे में LCB की टीम गांव पहुँची और खेत के चारों ओर घेराबंदी कर दी।
जब तहखाने में दबिश दी गई, तो पुलिस को वहां से दो आरोपी – संजय सोनी और कौशिक श्रीमाली – मिले। दोनों मौके पर ही गिरफ्तार कर लिए गए। लेकिन खेत का मालिक और इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड रायमल सिंह परमार वहां से फरार हो गया।
आरोपी का आपराधिक इतिहास
पुलिस जांच में सामने आया कि रायमल सिंह परमार कोई साधारण किसान नहीं, बल्कि पुराना अपराधी है।
उस पर 16 से ज़्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं।
इनमें फिरौती, अवैध शराब का कारोबार, और मारपीट जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं।
उस पर पहले भी पासा (Prevention of Anti-Social Activities Act) के तहत कार्रवाई हो चुकी है।
जेल से छूटने के बाद उसने फिर से अपराध का रास्ता चुना और नकली नोटों की फैक्ट्री शुरू कर दी।
उसने अपने खेत में एक तहखाना बनवाया और वहीं आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर नकली नोट छापने लगा।
तहखाने की असली तस्वीर
जब पुलिस ने तहखाना खोला, तो अंदर किसी साइंस लैब जैसा माहौल था।
पांच हाई-क्वालिटी प्रिंटर,
स्कैनिंग मशीनें,
महंगे कागज़ और इंक,
और बड़ी संख्या में आधे-अधूरे छपे नोट
बरामद किए गए।
जांच से पता चला कि आरोपी लोग नोटों की इतनी बारीकी से नकल कर रहे थे कि उन्हें पहली नज़र में पहचान पाना मुश्किल था।
कब से चल रहा था यह कारोबार?
पुलिस अभी यह पता लगाने में जुटी है कि यह फैक्ट्री कब से सक्रिय थी। शुरुआती पूछताछ में गिरफ्तार आरोपियों ने कबूल किया है कि वे कई महीनों से यह धंधा चला रहे थे। अनुमान है कि अब तक लाखों रुपये के नकली नोट बाज़ार में खपाए जा चुके हैं।
नकली नोट: आम लोगों के लिए खतरा
नकली नोट सिर्फ अपराधियों का फायदा नहीं बढ़ाते, बल्कि आम जनता को भी भारी नुकसान पहुंचाते हैं।
दुकानदार और छोटे व्यापारी बिना जांच किए नोट ले लेते हैं।
बाद में जब नोट नकली साबित होता है, तो सारा नुकसान उसी को झेलना पड़ता है।
बैंकिंग सिस्टम पर भी इसका बोझ बढ़ता है।
एक स्थानीय दुकानदार ने कहा –
“अगर हमें नकली नोट मिल जाए तो हम पुलिस को दें, लेकिन उससे हमारा नुकसान तो हो ही जाता है। ऐसे गिरोहों पर सख्त कार्रवाई ज़रूरी है।”
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
गांव के लोगों को इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि उनके बीच कोई इतना बड़ा अपराध चल रहा है। छापेमारी के बाद गांव में चर्चा का माहौल है। एक ग्रामीण ने कहा –
“हमने कभी सोचा भी नहीं था कि हमारे गांव में खेत के नीचे नकली नोट बन रहे होंगे। अब डर लगता है कि कहीं हमारे पास भी कोई नकली नोट न आ जाए।”
विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि नकली नोट देश की अर्थव्यवस्था के लिए जहर की तरह हैं।
यह मुद्रास्फीति (Inflation) को बढ़ाते हैं।
असली मुद्रा पर से लोगों का भरोसा कम होता है।
और इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि पर भी असर पड़ सकता है।
क्राइम एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ऐसे मामलों में सिर्फ आरोपियों को पकड़ना ही काफी नहीं है। सरकार को चाहिए कि नोट छापने के लिए इस्तेमाल होने वाली तकनीक और सामग्री पर भी सख्त निगरानी रखे।
पुलिस की अगली रणनीति
बनासकांठा पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि –
इस गिरोह का नेटवर्क कितना बड़ा है?
क्या गुजरात के बाहर भी इसकी सप्लाई होती थी?
क्या अन्य राज्यों के अपराधी भी इसमें जुड़े हुए हैं?
फरार आरोपी रायमल सिंह की तलाश तेज़ी से की जा रही है और पुलिस को उम्मीद है कि जल्द ही वह गिरफ्त में होगा।
नकली नोटों से लड़ाई: लगातार चुनौती
भारत में नकली नोटों की समस्या नई नहीं है। कई बार जांच एजेंसियां पाकिस्तान और अन्य देशों से नकली नोटों की तस्करी की बात भी सामने ला चुकी हैं। लेकिन इस मामले में खास बात यह है कि आरोपी खुद अपने खेत में फैक्ट्री चला रहे थे, यानी अब यह समस्या देश के भीतर से भी फैल रही है।
यह मामला सिर्फ गुजरात का नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है। नकली नोटों का धंधा न केवल अपराध को बढ़ावा देता है, बल्कि आम आदमी की जेब और देश की अर्थव्यवस्था दोनों को चोट पहुँचाता है।
बनासकांठा पुलिस की यह कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन असली जीत तभी होगी जब इस तरह के पूरे नेटवर्क को तोड़ा जाए और लोगों को नकली नोटों से बचाने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जाए।
नकली नोटों की पहचान कैसे करें?
पुलिस और रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) लगातार लोगों को जागरूक करते रहते हैं कि नकली और असली नोटों की पहचान करना बेहद ज़रूरी है। यहां कुछ आसान तरीके बताए जा रहे हैं जिनसे आम लोग भी नकली नोट पहचान सकते हैं:
1. वॉटरमार्क देखें
असली नोटों में गांधीजी की तस्वीर और इलेक्ट्रो-टाइप वॉटरमार्क साफ दिखाई देता है।
नकली नोटों में यह वॉटरमार्क धुंधला या गलत जगह पर होता है।
2. सिक्योरिटी थ्रेड
असली नोट में बीच से गुजरने वाली चांदी जैसी पट्टी (सिक्योरिटी थ्रेड) होती है।
यह थ्रेड अलग-अलग एंगल से देखने पर रंग बदलती है। नकली नोटों में यह फीकी या बनी-बनाई लाइन होती है।
3. माइक्रो लेटरिंग
₹2000, ₹500 और ₹200 के नोटों में RBI और वैल्यू (जैसे 500, 2000) की बहुत बारीक लिखावट होती है।
नकली नोटों में यह लिखावट धुंधली या गायब रहती है।
4. कलर चेंजिंग इंक
₹500 और ₹2000 के नोट पर अंक (500 या 2000) हरे रंग से नीले रंग में बदलता है जब नोट को तिरछा किया जाए।
नकली नोटों में यह फीचर मौजूद नहीं होता।
5. उभरी हुई छपाई (Intaglio Printing)
असली नोट पर “Reserve Bank of India”, “Bharat”, गांधीजी की तस्वीर और नोट का मूल्य उभरा हुआ महसूस होता है।
नकली नोटों पर यह छपाई साधारण और सपाट होती है।
6. ब्लीड लाइन और पहचान चिन्ह
दृष्टिबाधित लोगों के लिए असली नोटों पर पहचान के लिए ब्लीड लाइन और स्पेशल मार्क होते हैं।
नकली नोटों में यह या तो ग़ायब होते हैं या बहुत खराब क्वालिटी के होते हैं।
7. सीरियल नंबर की जाँच
असली नोट का सीरियल नंबर हमेशा सही तरीके से सीधा और बराबर दूरी पर छपा होता है।
नकली नोट में सीरियल नंबर टेढ़ा-मेढ़ा या असमान दिखता है।
पुलिस की अपील
पुलिस और RBI दोनों ही आम लोगों से अपील करते हैं कि:
किसी भी संदिग्ध नोट को तुरंत बैंक या पुलिस को सौंपें।
अगर लेन-देन में नकली नोट मिले तो घबराएं नहीं, बल्कि तुरंत रिपोर्ट करें।
कभी भी नकली नोट छापने या चलाने की कोशिश न करें, यह गंभीर अपराध है जिसमें लंबी सजा और भारी जुर्माना हो सकता है।
The Banaskantha fake currency factory bust in Gujarat has revealed how counterfeiters are using modern printers and secret basements to produce fake notes worth crores. Police seized ₹40 lakh fake notes and arrested two, while the mastermind is absconding. This case highlights the growing menace of fake currency in India, its impact on small traders, and the urgent need for strict enforcement and public awareness.



















