Himanta Biswa Sarma Slams Rahul Gandhi with Bold Statement on Identity and Culture
हिमंत बिस्वा सरमा का राहुल गांधी पर तीखा हमला: “मैं मां का दूध पीकर बड़ा हुआ हूं”
AIN NEWS 1 गुवाहाटी, असम –असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा एक बार फिर अपने बेबाक और तीखे बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उनका निशाना कांग्रेस नेता राहुल गांधी रहे। एक जनसभा को संबोधित करते हुए सरमा ने अपनी असमी पहचान पर ज़ोर देते हुए एक ऐसा बयान दिया, जिसने राजनीति के गलियारों में हलचल मचा दी।
“मैं असम में जन्मा एक असली असमी हूं। मैं बोतल से दूध पीकर नहीं पला, मैंने अपनी मां का दूध पिया है। इसलिए राहुल गांधी जैसे लोगों को ठेंगा दिखाता हूं।”
यह बयान जहां एक ओर उनकी अस्मिता और आत्मसम्मान का प्रतीक बन गया, वहीं दूसरी ओर इसे कांग्रेस के प्रति उनका गहरा असंतोष और राजनीतिक हमला भी माना जा रहा है।
बयान के पीछे की पृष्ठभूमि
हिमंत बिस्वा सरमा, जो पहले कांग्रेस के ही सदस्य थे और बाद में भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हुए, कई बार राहुल गांधी की नेतृत्व शैली पर सवाल उठा चुके हैं। उनका यह ताज़ा बयान भी उसी निराशा और विरोध का हिस्सा माना जा रहा है जो उन्होंने कांग्रेस से अलग होते समय व्यक्त किया था।
राजनीतिक संदर्भ में बयान का विश्लेषण
इस बयान को केवल व्यक्तिगत या भावनात्मक प्रतिक्रिया के रूप में नहीं देखा जा सकता। यह राजनीतिक तौर पर एक सांस्कृतिक और वैचारिक संघर्ष को दर्शाता है। सरमा का यह बयान दरअसल उस विचारधारा की तरफ इशारा करता है, जहां अपनी मिट्टी, अपनी संस्कृति और परंपराओं को प्राथमिकता दी जाती है।
उनके अनुसार राहुल गांधी जैसे नेता जमीनी सच्चाइयों से कटे हुए हैं और उनकी राजनीति “एलिटिज्म” पर आधारित है, जबकि वे खुद उस जमीन से आए हैं जहां लोग संघर्षों से गुजरकर आगे बढ़ते हैं।
राजनीतिक विरोधियों की प्रतिक्रियाएं
कांग्रेस की ओर से सरमा के इस बयान की तीखी आलोचना की गई। पार्टी के कई नेताओं ने इसे असभ्य और अमर्यादित भाषा करार दिया। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति को ऐसी भाषा से बचना चाहिए और लोकतांत्रिक मूल्यों की गरिमा बनाए रखनी चाहिए।
हालांकि भाजपा के समर्थकों और असम के कई लोगों ने सरमा के बयान को ‘निडर नेतृत्व’ और ‘स्थानीय अस्मिता की आवाज’ बताया।
लोकल भावना और क्षेत्रीय गर्व
पूर्वोत्तर भारत, विशेषकर असम, में क्षेत्रीय पहचान बहुत महत्व रखती है। सरमा ने इस भाव को छूते हुए यह दर्शाने की कोशिश की कि वे किसी “आयातित” विचारधारा से नहीं बल्कि असम की मिट्टी से जुड़े हुए हैं। उनका यह बयान असमी गर्व और सांस्कृतिक आत्मसम्मान को इंगित करता है।
पूर्व की घटनाओं से जुड़ाव
यह पहली बार नहीं है जब हिमंत बिस्वा सरमा ने राहुल गांधी को सीधे-सीधे निशाने पर लिया हो। 2015 में कांग्रेस से नाता तोड़ने के बाद से ही उन्होंने कई बार गांधी परिवार की राजनीति पर सवाल उठाए हैं।
उन्होंने पूर्व में यह भी कहा था कि कांग्रेस में रहते हुए वे “अदृश्य कैद” में थे और बीजेपी में शामिल होने के बाद ही उन्हें राजनीतिक आत्मसम्मान मिला।
बयान का प्रभाव और चर्चा
सरमा का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर इस बयान को लेकर तीखी बहस शुरू हो गई। जहां एक पक्ष इसे ‘शुद्ध और स्पष्ट वक्तव्य’ मान रहा था, वहीं दूसरे पक्ष ने इसे ‘नफरत फैलाने वाला और अशिष्ट’ करार दिया।
हिमंत बिस्वा सरमा का राहुल गांधी पर यह हमला एक साधारण बयान नहीं बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक संघर्ष की परछाईं है। यह बयान न केवल उनके असमी गर्व को दर्शाता है बल्कि भारतीय राजनीति में विचारधाराओं के टकराव को भी उजागर करता है।
राजनीति में भावनाएं अक्सर हथियार बन जाती हैं, और हिमंत बिस्वा सरमा ने इस हथियार का प्रयोग बेहद चतुराई से किया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी या कांग्रेस की ओर से इसका क्या जवाब आता है और यह मुद्दा आगे किस दिशा में जाता है।
अगर आप असम की राजनीति, भाजपा-कांग्रेस संघर्ष, और पूर्वोत्तर की सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना को समझना चाहते हैं, तो यह बयान उस पूरी मानसिकता का एक प्रतीक है जो आज की भारतीय राजनीति में गहराई से जड़ें जमा चुकी है।
Assam Chief Minister Himanta Biswa Sarma made headlines after his controversial yet bold remark aimed at Congress leader Rahul Gandhi. In a passionate speech, Sarma emphasized his Assamese identity and rooted upbringing by stating that he did not grow up drinking milk from a bottle, but was nurtured by his mother’s milk. This statement, seen as a cultural assertion and political jab, reflects the ongoing tensions between BJP and Congress, especially in the politically vibrant northeast India.