Wednesday, October 16, 2024

उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: एक मामले में हो सकती हैं दो FIR?

- Advertisement -
Ads
- Advertisement -
Ads

AIN NEWS 1 दिल्ली: उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जो कानूनी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की अदालत ने कहा है कि एक ही मामले में यदि नए सबूत, गवाह, या जानकारी सामने आती है, तो दूसरी FIR दर्ज की जा सकती है। यह निर्णय मथुरा जिले के एक मामले के संदर्भ में आया है।

क्या है हाईकोर्ट का फैसला?

उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सामान्यतः एक ही मामले में दो FIR नहीं हो सकतीं। हालांकि, यदि किसी मामले में नए तथ्यों या सबूतों के आधार पर स्थिति बदलती है, तो दूसरी FIR भी दर्ज की जा सकती है। कोर्ट ने इसे FIR की प्रकृति से जोड़ा, जिसमें कहा गया कि FIR केवल एक प्रथम सूचना रिपोर्ट है, न कि अंतिम निर्णय।

मामला क्या है?

यह फैसला मथुरा की निवासी संगीता मिश्रा के मामले में आया। संगीता ने याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसके पति की हत्या के मामले में उसे झूठा फंसाया गया। संगीता के पति के भाई उसे अपने साथ ले गए थे और उसके बाद से वह वापस नहीं लौटे। संगीता ने इस संबंध में FIR भी दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने उसे ही हत्या का आरोपी मानकर जेल भेज दिया।

संगीता की याचिका

संगीता ने मथुरा के CJM की अदालत में धारा-156(3) के तहत नई FIR दर्ज करने के लिए याचिका दायर की, लेकिन अदालत ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि एक ही मामले में दो FIR नहीं हो सकतीं। संगीता ने अपनी याचिका में उल्लेख किया कि उसके ससुर ने उनकी संपत्ति का बंटवारा कर दिया था, जिससे परिवार में विवाद हुआ और उसकी हत्या का मामला उत्पन्न हुआ।

हाईकोर्ट का निर्णय

हाईकोर्ट ने संगीता के वकील और सरकारी वकील की दलीलें सुनने के बाद यह निर्णय सुनाया। न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने कहा कि यदि नए सबूत, गवाह, या जानकारी सामने आती है, तो दूसरी FIR दर्ज करना आवश्यक हो सकता है। कोर्ट ने मथुरा के CJM को निर्देश दिया कि वह संगीता की धारा-156(3) की याचिका पर तुरंत नया आदेश जारी करे और दूसरी FIR दर्ज करे।

फैसले का महत्व

यह फैसला उत्तर प्रदेश में कानूनी प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कानून के जानकारों का मानना है कि यह निर्णय भविष्य में कई मामलों में मिसाल बनेगा। इससे यह संभव हो सकेगा कि अगर कोई नया तथ्य या सबूत सामने आए, तो संबंधित मामले में दूसरी FIR दर्ज की जा सकेगी।

इस फैसले से यह संदेश भी जाता है कि कानून और न्यायिक प्रक्रिया में लचीलापन होना चाहिए ताकि वास्तविकता के आधार पर उचित न्याय मिल सके। हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद, उम्मीद है कि अन्य अदालतें भी इसी प्रकार के मामलों में न्याय की दिशा में कदम उठाएंगी।

निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट का यह फैसला न केवल संगीता मिश्रा के लिए राहत का कारण बना है, बल्कि यह न्यायिक प्रक्रिया में सुधार का संकेत भी है। एक ही मामले में दो FIR की अनुमति देने का निर्णय, जब नए सबूत या तथ्य सामने आते हैं, तो यह कानून में आवश्यक लचीलापन दर्शाता है। इस फैसले के प्रभावी कार्यान्वयन से भविष्य में कई न्यायिक मामलों में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकता है।

 

 

- Advertisement -
Ads
AIN NEWS 1
AIN NEWS 1https://ainnews1.com
सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
Ads

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Advertisement
Polls
Trending
Rashifal
Live Cricket Score
Weather Forecast
Latest news
Related news
- Advertisement -
Ads