ऑस्ट्रेलिया का क्रिकेट मीडिया विवाद खड़ा करने के लिए मशहूर है। विराट कोहली और सैम कोंस्टास के बीच हालिया घटना ने इस बात को फिर से साबित कर दिया। बॉक्सिंग डे टेस्ट के दौरान हुई मामूली कहासुनी को ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने तूल दिया और विराट कोहली को ‘जोकर’ जैसे आपत्तिजनक शब्दों से संबोधित किया। वहीं, ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की बदतमीजी पर हमेशा की तरह चुप्पी साध ली गई।
कोहली पर मीडिया और पंडितों का हमला
- वेस्ट ऑस्ट्रेलियन अखबार: विराट को ‘क्लोन’ यानी जोकर कहा।
- सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड: “सैंडपेपर-गेट स्कैंडल ने कोहली को निलंबन से बचाया।”
- सेन क्रिकेट: “आईसीसी को कोहली का यह आखिरी टेस्ट सुनिश्चित करना चाहिए।”
- कैरी ओ कीफ: कोहली को अहंकारी कहा।
- रिकी पोंटिंग: सैम कोंस्टास के साथ हुई घटना के लिए कोहली को जिम्मेदार ठहराया।
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया का यह रवैया उनके खिलाड़ियों के साथ पूरी तरह विपरीत है। जब उनके खिलाड़ी गलत व्यवहार करते हैं, तो वही मीडिया इसे नजरअंदाज कर देती है।
ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के विवाद
- डेनिस लिली (1981): जावेद मियांदाद को उकसाने पर केवल $200 का जुर्माना।
- मिचेल जॉनसन (2014): कोहली पर गेंद फेंकने पर कोई कार्रवाई नहीं।
- डेविड वॉर्नर (2018): क्विंटन डिकॉक को धमकाने पर 75% मैच फीस का जुर्माना, लेकिन बड़ा विवाद नहीं बना।
- ग्लेन मैक्ग्रा (1999): वेस्टइंडीज के खिलाड़ी पर थूकने के बावजूद मामूली जुर्माना।
- रिकी पोंटिंग (1998): हरभजन सिंह को कंधा मारने पर केवल दोनों खिलाड़ियों पर जुर्माना।
डबल स्टैंडर्ड का प्रमाण
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने हमेशा अपने खिलाड़ियों की हरकतों को कमतर दिखाने की कोशिश की है। विराट कोहली के प्रति उनकी आलोचना उनके प्रदर्शन और लोकप्रियता के कारण है। कोहली की आक्रामकता भारतीय क्रिकेट टीम की ताकत बन चुकी है, जिसे ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट तंत्र पचा नहीं पा रहा।
निष्कर्ष
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया का रवैया एक बार फिर साबित करता है कि वे अपने खिलाड़ियों के लिए एक और विरोधी टीम के खिलाड़ियों के लिए दूसरा मापदंड अपनाते हैं। विराट कोहली जैसे दिग्गज खिलाड़ी को ‘जोकर’ कहना न केवल अपमानजनक है, बल्कि यह खेल भावना के खिलाफ भी है। भारतीय फैंस के लिए कोहली ‘किंग’ हैं और रहेंगे।