AIN NEWS 1: भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने हाल ही में एक बड़ी साजिश का खुलासा किया है, जिसने पूरे देश को चौंका दिया है। उत्तर प्रदेश एटीएस (एंटी टेररिज़्म स्क्वॉड) ने जांच में पाया कि जलालुद्दीन उर्फ़ छंगुर नाम का व्यक्ति वर्ष 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की योजना बना रहा था। इसके लिए उसने न सिर्फ धर्मांतरण का नेटवर्क खड़ा किया बल्कि विदेशों से करोड़ों रुपये की फंडिंग भी हासिल की।
यह मामला केवल धर्मांतरण का नहीं है, बल्कि यह देश की एकता और आंतरिक सुरक्षा पर सीधा हमला माना जा रहा है।
छंगुर कौन है और कैसे शुरू हुआ उसका नेटवर्क?
छंगुर का पूरा नाम जलालुद्दीन उर्फ़ छंगुर है। जांच एजेंसियों के अनुसार, वह पिछले एक दशक से धर्मांतरण का काम कर रहा था। वर्ष 2015 के बाद से उसका नेटवर्क और ज्यादा मजबूत हुआ।
उसने गरीब और बेरोज़गार हिंदू युवाओं-युवतियों को निशाना बनाना शुरू किया। उन्हें पढ़ाई, नौकरी और आर्थिक मदद का लालच देकर धर्मांतरण कराया जाता था।
एजेंसियों का कहना है कि छंगुर को मुस्लिम देशों से लगभग 500 करोड़ रुपये मिले, जिनका इस्तेमाल वह युवाओं को अपने जाल में फँसाने के लिए करता था।
गिरोह की कार्यप्रणाली
छंगुर का गिरोह योजनाबद्ध तरीके से काम करता था।
निशाना – गरीब और बेरोज़गार हिंदू परिवारों के बेटे-बेटियां।
प्रलोभन – अच्छी नौकरी, विदेश यात्रा, शादी और पैसे।
धर्मांतरण की कीमत – एक युवक या युवती का धर्म परिवर्तन कराने पर गिरोह को 50 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक मिलते थे।
फंडिंग का स्रोत – खाड़ी देशों से हवाला और अन्य माध्यमों से पैसा आता था।
छंगुर के पास एक संगठित टीम थी, जिसमें उसके बेटे महबूब और नवीन उर्फ़ जमालुद्दीन भी सक्रिय रूप से शामिल थे।
एटीएस की जांच और गिरफ्तारियां
उत्तर प्रदेश एटीएस ने कई महीनों की जांच के बाद इस नेटवर्क को बेनकाब किया।
हाल ही में छंगुर के बेटों महबूब और नवीन के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया।
आरोप पत्र में 29 गवाहों के बयान शामिल हैं। इनमें महिलाएं और वे पीड़ित भी हैं, जिन्होंने खुद धर्मांतरण के दबाव की कहानी बताई।
गवाहों में कुछ पुलिस अधिकारी और सरकारी कर्मचारी भी हैं, जिन्होंने गिरोह की गतिविधियों को देखा।
गवाहों के बयान
कई पीड़ित महिलाओं ने जांच टीम को बताया कि उन्हें पहले दोस्ती के नाम पर फंसाया गया, फिर शादी का झांसा देकर धर्मांतरण के लिए मजबूर किया गया।
एक गवाह ने कहा:
“मुझे नौकरी दिलाने का वादा किया गया। जब मैंने सहमति दी तो मुझे कहा गया कि पहले मुस्लिम धर्म अपनाना होगा। इनकार करने पर जान से मारने की धमकी दी गई।”
एक अन्य गवाह ने बताया:
“छंगुर के लोग हमें पैसे और सुविधाएं दिखाते थे। अगर कोई मना करता, तो डराया-धमकाया जाता था।”
विदेश से कनेक्शन
छंगुर का नेटवर्क केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं था। उसकी गतिविधियां बलरामपुर, लखनऊ, और अन्य जिलों से लेकर दक्षिण भारत तक फैली थीं।
दुबई और अन्य खाड़ी देशों से फंडिंग आती थी।
गिरोह के सदस्य नेपाल से बने फर्जी पासपोर्ट का इस्तेमाल कर विदेश यात्रा करते थे।
जांच में पता चला है कि नवीन और नीट नामक आरोपी 36 बार दुबई की यात्रा कर चुके हैं।
दुबई में भी धर्मांतरण की गतिविधियां चल रही थीं।
सरकार की भूमिका और सतर्कता
उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र की सुरक्षा एजेंसियां इस मामले को बेहद गंभीर मान रही हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की साजिशें देश की अखंडता पर खतरा हैं।
राज्य सरकार ने साफ किया है कि ऐसे नेटवर्क को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
विशेषज्ञों की राय
सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला केवल एक धार्मिक मुद्दा नहीं है, बल्कि एक संगठित राजनीतिक-सामाजिक साजिश है।
वरिष्ठ सुरक्षा विश्लेषक का कहना है:
“जब कोई गिरोह धर्म के नाम पर युवाओं को गुमराह करता है और उसमें विदेशी फंडिंग जुड़ जाती है, तो यह सीधा राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय बन जाता है।”
समाज पर असर
धर्मांतरण की यह साजिश केवल पीड़ितों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि समाज में असमानता और वैमनस्य को बढ़ावा देती है। छंगुर और उसका गिरोह न केवल धर्म बदलवा रहा था, बल्कि मुस्लिम धर्म से जुड़े साहित्य का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार भी कर रहा था।
इससे समाज में अलगाव और नफरत फैल रही थी।
छंगुर और उसके गिरोह की गतिविधियों ने यह साफ कर दिया है कि भारत की आंतरिक सुरक्षा को लेकर खतरे कितने गंभीर हो सकते हैं। 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश केवल कल्पना नहीं, बल्कि एक योजनाबद्ध अभियान का हिस्सा थी।
हालांकि एटीएस और सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता से यह नेटवर्क उजागर हो गया है। अब अदालत में केस चल रहा है और दोषियों को सज़ा दिलाने की तैयारी की जा रही है।
यह मामला देश के लिए एक सबक है कि हमें ऐसी साजिशों के प्रति हमेशा जागरूक रहना होगा और समाज के हर वर्ग को मिलकर इन खतरों का सामना करना होगा।
The Uttar Pradesh ATS has exposed a major conspiracy led by Chhangur, aiming to transform India into an Islamic State by 2047 through systematic religious conversions and foreign funding worth nearly 500 crores. This conversion racket targeted poor and unemployed Hindu youths, offering them money, jobs, and marriages in exchange for conversion. With international links spanning Dubai and Nepal, this network posed a significant national security threat. The ATS investigation and subsequent arrests highlight India’s ongoing battle against extremist plots and safeguard the country’s unity.