AIN NEWS 1 | भारतीय राजनीति में उपराष्ट्रपति पद का चुनाव हमेशा से अहम माना जाता है। यह न सिर्फ संसद के ऊपरी सदन यानी राज्यसभा के संचालन से जुड़ा होता है, बल्कि यह पद संवैधानिक रूप से भी बेहद प्रतिष्ठित है। 2025 के उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर अब तस्वीर और साफ हो गई है। विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन (I.N.D.I.A) ने अपने उम्मीदवार का नाम घोषित कर दिया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार, 19 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है। अब उनका सीधा मुकाबला सत्तारूढ़ एनडीए (NDA) के प्रत्याशी सीपी राधाकृष्णन से होगा।
कौन हैं बी. सुदर्शन रेड्डी?
सुदर्शन रेड्डी भारतीय न्यायपालिका के उन चुनिंदा नामों में से एक हैं, जिनका करियर निष्पक्षता और न्यायप्रियता की मिसाल माना जाता है।
उन्होंने अपना कानूनी सफर आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में जज के रूप में शुरू किया।
इसके बाद वे गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने।
लंबा और प्रभावशाली करियर बिताने के बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया।
अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की दिशा में कई ऐतिहासिक फैसले दिए। विपक्षी गठबंधन का मानना है कि उनकी निष्ठा और ईमानदारी उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार बनाती है।
मल्लिकार्जुन खरगे ने क्या कहा?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बी. सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी की घोषणा करते हुए कहा:
“वे भारत के सबसे प्रतिष्ठित न्यायविदों में से एक हैं। उन्होंने अपने पूरे करियर में संविधान की मर्यादा और न्याय की गरिमा को सर्वोच्च रखा है। आज जब देश में सामाजिक और आर्थिक न्याय की आवश्यकता पहले से कहीं ज्यादा है, तब उनका अनुभव और दृष्टिकोण संसद और लोकतंत्र के लिए अमूल्य साबित होगा।”
खरगे ने यह भी बताया कि इंडिया गठबंधन के सभी दलों ने सर्वसम्मति से उनके नाम पर सहमति जताई है।
एनडीए का उम्मीदवार – सीपी राधाकृष्णन
अब सवाल उठता है कि बी. सुदर्शन रेड्डी के सामने किसकी चुनौती होगी? सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले एनडीए ने अपने उम्मीदवार के रूप में सीपी राधाकृष्णन को मैदान में उतारा है।
सीपी राधाकृष्णन राजनीति और संगठन दोनों स्तरों पर एक मजबूत पहचान रखते हैं। वे कई बार सांसद रह चुके हैं और लंबे समय से भाजपा के सक्रिय नेता हैं। एनडीए को भरोसा है कि संसद में उनका अनुभव और राजनीतिक समझ उपराष्ट्रपति पद के लिए उन्हें मजबूत दावेदार बनाती है।
क्यों अहम है यह चुनाव?
भारत का उपराष्ट्रपति न केवल राज्यसभा का सभापति होता है, बल्कि जरूरत पड़ने पर यह पद राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में भी कई संवैधानिक जिम्मेदारियां निभाता है। यही वजह है कि उपराष्ट्रपति चुनाव केवल एक राजनीतिक लड़ाई नहीं, बल्कि यह देश के लोकतंत्र और उसकी दिशा तय करने वाला चुनाव माना जाता है।
इस बार का मुकाबला और भी दिलचस्प होगा क्योंकि एक तरफ न्यायपालिका से निकले हुए बी. सुदर्शन रेड्डी हैं, तो दूसरी तरफ राजनीति के पुराने खिलाड़ी सीपी राधाकृष्णन।
विपक्ष की रणनीति
इंडिया गठबंधन ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वे इस चुनाव को सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं बल्कि संविधान और न्याय की रक्षा की लड़ाई बनाना चाहते हैं। बी. सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी इस बात का प्रतीक है कि गठबंधन ऐसे नेता को सामने लाना चाहता है जिसकी छवि ईमानदार और निष्पक्ष हो।
कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा –
“सुदर्शन रेड्डी का नाम गठबंधन की एकजुटता का उदाहरण है। यह इस बात का संकेत है कि हम राजनीति से ऊपर उठकर देश और संविधान के हित में सोच रहे हैं।”
जनता की नजरें टिकीं
उपराष्ट्रपति चुनाव में जनता का प्रत्यक्ष मतदान नहीं होता, क्योंकि यह चुनाव सांसदों द्वारा किया जाता है। लेकिन जनता की दिलचस्पी इसलिए बनी रहती है क्योंकि इस पद पर बैठा व्यक्ति अप्रत्यक्ष रूप से संसद की कार्यवाही और लोकतांत्रिक परंपराओं पर असर डालता है।
सोशल मीडिया पर बी. सुदर्शन रेड्डी का नाम आते ही कई लोग इस बात से उत्साहित दिखे कि आखिरकार न्यायपालिका से जुड़ी एक शख्सियत राजनीति के इतने बड़े पद की दौड़ में शामिल हुई है। वहीं, एनडीए समर्थक सीपी राधाकृष्णन को लेकर भी उम्मीद जता रहे हैं कि वे इस चुनाव में भारी पड़ेंगे।
आगे का रास्ता
आने वाले दिनों में दोनों पक्ष प्रचार और रणनीति में जुट जाएंगे। संसद में संख्या बल को देखते हुए एनडीए का पलड़ा भारी माना जा रहा है, लेकिन विपक्ष की एकजुटता भी इस बार नए समीकरण बना सकती है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि संसद के सदस्य किसे चुनते हैं –
एक वरिष्ठ न्यायविद को, जिसने अदालतों में न्याय की मशाल जलाई,
या एक अनुभवी राजनीतिज्ञ को, जिसने दशकों तक राजनीति में काम किया।
भारत का उपराष्ट्रपति चुनाव हमेशा ऐतिहासिक महत्व रखता है। इस बार बी. सुदर्शन रेड्डी और सीपी राधाकृष्णन के बीच होने वाली टक्कर ने इसे और खास बना दिया है। यह चुनाव न सिर्फ राजनीतिक शक्ति का परीक्षण होगा बल्कि यह भी तय करेगा कि संसद की बागडोर किस हाथ में होगी – न्याय की पृष्ठभूमि से आए नेता के या राजनीति के पुराने सिपाही के।



















