AIN NEWS 1: अमेरिकी संसद में इस बार भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की झलक देखने को मिली। भारतीय मूल के सांसदों ने भगवत गीता के माध्यम से शपथ ग्रहण किया और गीता का एक श्लोक भी पढ़ा। यह दृश्य न केवल भारतीय समुदाय बल्कि पूरे विश्व में सनातन धर्म की महिमा को दर्शाने वाला है।
गीता की शपथ का ऐतिहासिक सफर
अमेरिकी संसद में भगवत गीता से शपथ लेने की शुरुआत साल 2013 में हुई थी। उस समय तुलसी गबार्ड ने पहली बार भगवत गीता को अपने शपथ ग्रहण का आधार बनाया था। तुलसी गबार्ड ने यह कदम न केवल अपने धार्मिक विश्वासों को सम्मान देने के लिए उठाया था, बल्कि यह भी दर्शाया था कि भारतीय मूल के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं को वैश्विक मंचों पर गर्व से पेश कर सकते हैं।
सांसदों ने दिया गीता के संदेश का उदाहरण
इस बार भी, भारतीय अमेरिकी सांसदों ने गीता के श्लोकों को पढ़ते हुए यह संदेश दिया कि गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की कला और सही मार्गदर्शन का प्रतीक है। उन्होंने भगवत गीता का एक श्लोक पढ़कर इसे सभी धर्मों और संस्कृतियों के लिए प्रेरणादायक बताया।
सनातन धर्म का वैश्विक प्रभाव
भगवत गीता की शपथ लेना केवल भारतीय मूल के सांसदों का व्यक्तिगत निर्णय नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि सनातन धर्म और इसकी शिक्षाएं सीमाओं से परे हैं। यह घटना यह भी प्रमाणित करती है कि भारतीय संस्कृति और परंपराएं, चाहे वे जहां भी हों, अपनी पहचान और प्रभाव बनाए रखती हैं।
भारतवंशियों के लिए गर्व का पल
अमेरिकी संसद में गीता के माध्यम से शपथ लेना भारतीय समुदाय के लिए गर्व की बात है। यह दर्शाता है कि भारतीय मूल के लोग, चाहे वे जिस भी देश में जाएं, अपनी जड़ों और मूल्यों से जुड़े रहते हैं।
गीता के श्लोकों के साथ शपथ लेने की यह परंपरा न केवल भारतीय संस्कृति का सम्मान है, बल्कि यह भी बताती है कि भारतीय मूल के लोग अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को वैश्विक मंचों पर किस तरह गर्व से प्रस्तुत कर सकते हैं। यह घटना यह भी सिद्ध करती है कि भगवत गीता केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए मार्गदर्शक है।