।।ॐ नमः शिवाय।।
कावड़ नियमावली
AIN NEWS 1: श्रावण मास में कावड़ यात्रा की परंपरा प्राचीन और महत्वपूर्ण है। भगवान शिव के जलाभिषेक का विशेष महत्व है। कावड़ लाकर जलाभिषेक करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम और विधियाँ हैं, जिन्हें पालन कर भक्त अपनी यात्रा को सफल बना सकते हैं और धर्म लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
कावड़ यात्रा के नियम:
1. पूर्व तैयारी और दर्शन:
– यात्रा शुरू करने से पहले भगवान दूधेश्वर का दर्शन करें और सफल यात्रा के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें।
– कावड़ को शुद्ध और सही तरीके से बनाएं। अहंकार से बचें और ईमानदारी से यात्रा करें।
2. कावड़ की शुद्धता:
– कावड़ को शुद्ध और प्रेमपूर्वक सजाएं। गंगा जी में स्नान करने के बाद कावड़ को भी स्नान कराएं।
3. पूजा विधि:
– गंगा माँ की पूजा करें और कावड़ की पूजा करते समय उत्तरमुखी होकर, घुटनों के बल बैठकर कावड़ को दाहिने कंधे पर धारण करें।
4. समान की शुद्धता:
– कावड़ में कोई भी दूषित वस्तु या कपड़ा नहीं होना चाहिए।
5. यात्रा के दौरान:
– यदि संभव हो तो नंगे पैर यात्रा करें; अन्यथा कपड़े के जूते पहनें।
– पीताम्बर या केसरिया वस्त्र पहनें और सिर पर कपड़ा रखें।
– पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें; जमीन पर ही विश्राम करें और चारपाई का उपयोग न करें।
6. वर्जन:
– तामसी वस्तुएं, मादक पदार्थ, गुटखा, मांस, अंडा, धूम्रपान और अश्लील साहित्य से बचें।
– शरीर पर तेल, साबुन या शेविंग क्रीम का प्रयोग न करें।
7. खाना-पीना:
– यात्रा के दौरान केवल सात्विक भोजन करें। अन्य समय फल और दूध का सेवन करें।
– यात्रा के दौरान शौच और विश्राम के बाद स्नान करें।
8. कावड़ का स्थान:
– कावड़ को उच्च और शुद्ध स्थान पर रखें।
– कावड़ को पीछे नहीं ले जाएं।
9. विश्राम और नगर-प्रवेश:
– नगर में प्रवेश और विश्राम से बचें, यदि संभव हो तो।
– खाद्य पदार्थ बिना मूल्य चुकाए न लें।
10. पूजा और दान:
– मंदिर में प्रसाद वितरित करें और दान करें।
– कावड़ का जल तांबे के लोटे में रखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।
11. विशेष ध्यान:
– गर्भ गृह में कावड़ लेकर न जाएं।
– शिवरात्रि व्रत करने वाले भक्तों को रात्रि जागरण करना आवश्यक है।
– यात्रा पूरी करने के बाद घर पर ब्रह्म भोज का आयोजन करें और पांच ब्राह्मणों व पांच कन्याओं को भोजन कराएं।
चार प्रहर के पूजनों के मंत्र:
1. ॐ श्री दूधेश्वराय शिवाय नमः
2. ॐ श्री दूधेश्वराय शंकराय नमः
3. ॐ श्री दूधेश्वराय महेशाय नमः
4. ॐ श्री दूधेश्वराय रूद्राय नमः
सहयोग सूत्र: कावड़ परंपरा पुस्तक
प्रेरणा सूत्र:पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरी जी महाराज