AIN NEWS 1 प्रयागराज: महाकुंभ 2025 के पहले अमृत स्नान के अवसर पर आध्यात्मिक कथावाचक जया किशोरी ने संगम नगरी प्रयागराज में श्रद्धालुओं को संबोधित किया। मकर संक्रांति के शुभ दिन पर संगम तट पर डुबकी लगाने आईं जया किशोरी ने श्रद्धालुओं को जीवन में सकारात्मकता और अच्छे कर्मों का संदेश दिया।
‘हंस’ बनने का मंत्र
जया किशोरी ने कहा, “नफरत फैलाना और गलत बातें करना उचित नहीं है। सभी क्षेत्रों में अच्छे और बुरे काम होते हैं, लेकिन हमें अच्छे कर्मों और ज्ञान पर ध्यान देना चाहिए। यहां से केवल सकारात्मक सीख लेकर जाएं। हंस की तरह मोती चुनें और जीवन को मूल्यवान बनाएं।”
महाकुंभ की ऊर्जा का महत्व
जया किशोरी ने कुंभ मेले की अद्भुत ऊर्जा की सराहना करते हुए कहा कि यहां लाखों श्रद्धालुओं की मौजूदगी से जो माहौल बनता है, वह आम दिनों में नहीं मिलता। उन्होंने इसे भारत की संस्कृति और आध्यात्मिकता का अद्वितीय उदाहरण बताया। “यह अवसर केवल स्नान का नहीं, बल्कि शांति, ज्ञान, और संस्कृति से जुड़ने का है। युवाओं और दुनिया को हमारी परंपराओं से अवगत कराने का यह एक अनमोल मौका है,” उन्होंने कहा।
सरकार की विशेष व्यवस्था
महाकुंभ 2025 के पहले अमृत स्नान पर्व पर उत्तर प्रदेश सरकार ने श्रद्धालुओं के स्वागत में हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की। संगम तट और अन्य घाटों पर गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश से श्रद्धालु अभिभूत हो गए। जय श्री राम और हर हर महादेव के नारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा।
श्रद्धालुओं का उत्साह
इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से प्रयागराज पहुंचे। रात्रि से ही त्रिवेणी संगम पर स्नान के लिए भारी भीड़ देखने को मिली। कड़ाके की ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं आई। साधु-संतों ने भी इस आयोजन को अद्वितीय बताया और इसे आत्मिक शांति और ऊर्जा का स्रोत बताया।
अमृत स्नान की परंपरा
महाकुंभ की परंपरा का जिक्र करते हुए जया किशोरी ने कहा कि यह आयोजन उन चार स्थानों पर होता है जहां अमृत की बूंदें गिरी थीं। यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक जागरूकता और मानवता के लिए सीखने का स्थान भी है।
महाकुंभ 2025 के आयोजन ने न केवल श्रद्धालुओं को, बल्कि हर वर्ग के लोगों को संस्कृति, शांति और आध्यात्मिकता से जोड़ा। जया किशोरी का संदेश भी यही था कि जीवन में अच्छे कर्मों पर ध्यान केंद्रित करें और नफरत से दूर रहें।