Tuesday, January 14, 2025

महाकुंभ: 1.65 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई संगम में आस्था की डुबकी, 12 किमी पैदल चलकर पहुंचे भक्त?

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AIN NEWS 1: प्रयागराज में महाकुंभ का शुभारंभ पौष पूर्णिमा के पहले स्नान के साथ हुआ। सुबह 4 बजे से 44 घाटों पर स्नान शुरू हुआ। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पहले दिन 1.65 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में पवित्र डुबकी लगाई। हेलिकॉप्टर से भक्तों पर फूलों की वर्षा की गई।

यह महाकुंभ 144 साल में दुर्लभ खगोलीय संयोग के तहत हो रहा है, जिसे समुद्र मंथन से जोड़ा जा रहा है। देश और विदेश से श्रद्धालु यहां जुटे हैं। जर्मनी, ब्राजील, रूस समेत 20 देशों के भक्त इस महाकुंभ का हिस्सा बने।

भक्तों की भारी भीड़ और सुरक्षा के इंतजाम

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण 3700 लोग अपने परिवारों से बिछड़ गए, लेकिन प्रशासन ने खोया-पाया केंद्र के माध्यम से ज्यादातर को मिलवा दिया। संगम तक पहुंचने के लिए वाहनों की एंट्री बंद कर दी गई, और भक्तों ने 12 किलोमीटर पैदल यात्रा की।

महाकुंभ की सुरक्षा में 60,000 जवान, एनएसजी कमांडो, और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात हैं। संगम के सभी प्रवेश मार्गों पर चौकसी बरती जा रही है।

विदेशी श्रद्धालु बोले- भारत आध्यात्मिक हृदय

ब्राजील से आए श्रद्धालु फ्रांसिस्को ने कहा, “मैं योग करता हूं और मोक्ष की तलाश में हूं। भारत दुनिया का आध्यात्मिक हृदय है। जय श्रीराम।”

ईरान से आई एक महिला ने कहा, “हम 9 लोगों के समूह में आए हैं। यह आयोजन बेहद प्रभावशाली है। टेंट कॉलोनी में हमारे रहने की व्यवस्था शानदार है।”

स्टीव जॉब्स की पत्नी और गूगल का खास फीचर

एपल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी महाकुंभ पहुंचीं। उन्होंने निरंजनी अखाड़े में अनुष्ठान किया और कल्पवास का संकल्प लिया।

गूगल ने महाकुंभ को लेकर वर्चुअल फीचर लॉन्च किया है। ‘महाकुंभ’ सर्च करने पर पेज पर फूलों की बारिश हो रही है।

स्वास्थ्य सुविधाएं और प्रशासनिक तैयारी

महाकुंभ के केंद्रीय अस्पताल में सोमवार को 8 हार्ट अटैक के मरीज भर्ती हुए, जिनकी स्थिति अब स्थिर है। ओपीडी में 9,674 मरीज देखे गए और आईसीयू में 325 मरीजों का इलाज हुआ। डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवाओं को अलर्ट पर रखा गया है।

आज शाही स्नान की तैयारी

14 जनवरी को पहला शाही स्नान है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु घाटों के किनारे डेरा डाले हुए हैं। कई लोगों ने रात गुजारने के लिए जमीन पर पन्नियां बिछाई हैं।

महाकुंभ के इस आयोजन ने भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक वैभव को दुनियाभर में पहचान दिलाई है। श्रद्धालुओं के उत्साह और प्रशासन की तैयारी ने इसे यादगार बना दिया।

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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