AIN NEWS 1 प्रयागराज: महाकुम्भ का आयोजन 13 जनवरी से शुरू होने वाला है, और इस बार तैयारियों को लेकर हर स्तर पर खास ध्यान दिया जा रहा है। संगम नगरी प्रयागराज में अब तक की सबसे बड़ी व्यवस्थाएं तैयार की जा रही हैं। मेला क्षेत्र में काम दिन-रात चल रहा है, और इस बार महाकुम्भ में 40 से 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है।
अखाड़ों की तैयारियां और दीवारों पर रंग-बिरंगे दृश्य
महाकुम्भ के आयोजन से ठीक 12 दिन पहले, प्रयागराज के रेलवे स्टेशन से लेकर संगम तक सभी स्थानों पर उत्सव का माहौल नजर आ रहा है। स्टेशन पर यात्रियों को सूचनाएं 12 भाषाओं में दी जा रही हैं, जिनमें हिंदी, अंग्रेजी, बंगाली, तमिल, उड़िया आदि भाषाएं शामिल हैं। हर दीवार पर अलग-अलग धार्मिक और सांस्कृतिक चित्रांकन किया गया है, जिनमें भगवान राम, हनुमान, शिव और अन्य देवी-देवताओं की तस्वीरें सजी हुई हैं। इन चित्रों ने शहर को और भी रंगीन बना दिया है और महाकुम्भ के आकर्षण को बढ़ाया है।
संगम की ओर बढ़ते हुए ऑटो चालक उमेश यादव ने बताया कि प्रमुख स्नान पर्वों पर मेले से पहले साधन रोक दिए जाते हैं और श्रद्धालुओं को पैदल जाना होता है। इस साल पहला शाही स्नान मकर संक्रांति (14 जनवरी) को होगा, जिसके बाद भारी भीड़ देखने को मिलेगी। संगम तक पहुंचने के रास्ते में स्वागत करने वाले होर्डिंग्स और तीर के निशान आपको इस भव्य आयोजन की ओर संकेत करते हैं।
मेले की प्रशासनिक तैयारियां
प्रयागराज महाकुम्भ को इस बार अस्थायी जिला घोषित किया गया है, और यहां की प्रशासनिक व्यवस्था स्थायी जिले से भी बेहतर की गई है। मेला क्षेत्र में 100 बेड का अस्पताल, अस्थायी स्कूल, सफाई कर्मियों के लिए व्यवस्था, और अन्य जरूरी सेवाएं तैयार की गई हैं। मेला प्राधिकरण के कार्यालय से पूरे मेले का आयोजन संचालित किया जा रहा है, जबकि अधिकारियों के अनुसार, सभी तैयारियां अंतिम चरण में हैं।
अस्थायी टेंट और अन्य सामग्रियों की सप्लाई जिम्मे लल्लूजी एंड संस जैसी कंपनियों ने ली हुई है। इस बार महाकुम्भ में 2,700 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, और पहली बार ट्रैफिक कंट्रोल और क्राउड मैनेजमेंट के लिए एआई तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। 40 से 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है, और मेले के लिए 4,400 हेक्टेयर का क्षेत्र चुना गया है। यहां 30 पांटून पुल, 650 किलोमीटर से अधिक सड़कें बनाई गई हैं, और संगम के किनारे 9 पक्के घाट बनवाए गए हैं।
अखाड़ों और संतों के शिविरों का निर्माण
इस बार अखाड़ों के शिविरों का निर्माण भी तेजी से किया जा रहा है। सेक्टर 11 में स्थित अवनीश ने बताया कि गंगा जी की धारा के कारण मेला क्षेत्र इस बार झुंसी की ओर ज्यादा बढ़ गया है, और यहीं सभी प्रमुख अखाड़े और धार्मिक शिविर बन रहे हैं। सेक्टर 19 में ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य के शिविर में गो प्रतिष्ठा महायज्ञ के लिए यज्ञशाला का निर्माण शुरू हो चुका है।
अखाड़ों के नगर आगमन के बाद इनके निशान भी जगह-जगह लगाए गए हैं। पं. राजीव भारद्वाज जैसे तीर्थ पुरोहित महाकुम्भ में कल्पवासी की व्यवस्था करते हैं, और उनका कहना है कि इस बार कल्पवासी विशेष निशानों के जरिए शिविरों की पहचान करेंगे। ये निशान सूर्य, चंद्रमा, हनुमान जी और हाथी जैसे प्रतीक हो सकते हैं।
मेला क्षेत्र में बिछाई जा रही हैं सुविधाएं
महाकुम्भ के दौरान श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो, इसके लिए खोया-पाया केंद्र की भी व्यवस्था की जा रही है। मेला क्षेत्र में आने के बाद यदि किसी श्रद्धालु का कोई सदस्य खो जाता है, तो यह केंद्र मदद करेगा। इसके अलावा, मेला क्षेत्र में सुरक्षा के लिए पुलिस-प्रशासन की टीमें भी सक्रिय रूप से काम कर रही हैं।
संगम स्नान और तीर्थराज प्रयाग
संगम के किनारे मौजूद गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर भव्य स्नान के लिए सभी इंतजाम किए जा रहे हैं। इस बार संगम घाट पर 9 पक्के घाट बनाए गए हैं, और इनके साथ ही अस्थायी घाटों का निर्माण भी चल रहा है। संगम पर पहुंचते ही वीआईपी घाटों का निर्माण भी हो चुका है, जहां खास मेहमानों के लिए स्नान की व्यवस्था होगी।
मेले में खो जाने पर घबराने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि संगम के पास स्थित खोया-पाया केंद्र में श्रद्धालुओं के खोने-खोने के मामलों का समाधान होगा।
स्नान की तारीखें और श्रद्धालुओं के लिए सुझाव
महाकुम्भ का आयोजन 13 जनवरी से शुरू हो रहा है, और पहला शाही स्नान मकर संक्रांति के दिन (14 जनवरी) होगा। श्रद्धालुओं को सुझाव दिया गया है कि वे समय से पहले अपने यात्रा की योजना बना लें और सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए स्नान करें। फिलहाल कामकाजी लोग और प्रशासन इस आयोजन की तैयारियों में जुटे हुए हैं, और भीड़ से बचने के लिए 7-8 जनवरी के बाद श्रद्धालुओं का आना शुरू हो सकता है।
महाकुम्भ 2025 के आयोजन के लिए प्रयागराज में तैयारियां अंतिम चरण में हैं। मेले में हर दिशा में काम तेजी से चल रहा है, और श्रद्धालुओं के लिए सभी आवश्यक सेवाओं की व्यवस्था की जा रही है। संगम के किनारे और मेला क्षेत्र में स्थायी और अस्थायी व्यवस्थाओं के साथ इस आयोजन को सफल बनाने के लिए प्रशासन पूरी तरह से तैयार है।