विवाह में वित्तीय स्थिरता की नई कसौटी
AIN NEWS 1: भारतीय समाज में विवाह लंबे समय से जन्मकुंडली, पारिवारिक पृष्ठभूमि और स्वास्थ्य जांच जैसे कारकों पर आधारित रहा है। लेकिन अब एक नया पहलू इसमें जुड़ गया है – सिबिल स्कोर। देशभर में कई युवतियां अब शादी से पहले होने वाले जीवनसाथी का क्रेडिट स्कोर देख रही हैं ताकि उनकी आर्थिक स्थिरता का आकलन किया जा सके।
शादी से पहले बढ़ रही वित्तीय जागरूकता
ट्रांसयूनियन सिबिल की 2024 रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं में क्रेडिट स्कोर को लेकर जागरूकता तेजी से बढ़ रही है। 2023 में, महिलाओं द्वारा क्रेडिट स्कोर चेक करने की दर 38% तक पहुंच गई, जबकि 2018 में यह केवल 17% थी।
बीएसई-सीएमआईई उपभोक्ता पिरामिड सर्वे 2024 के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में 76% महिलाएं विवाह से पहले जीवनसाथी की वित्तीय स्थिति पर विचार कर रही हैं। इनमें से 42% युवतियां विशेष रूप से सिबिल स्कोर जांचने में रुचि रखती हैं।
क्या है सिबिल स्कोर और क्यों है यह जरूरी?
सिबिल स्कोर किसी व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री और वित्तीय स्थिति का आकलन करता है। यह 300 से 900 के बीच होता है, जिसमें 750 या उससे अधिक का स्कोर अच्छा माना जाता है।
एक अच्छा क्रेडिट स्कोर यह दर्शाता है कि व्यक्ति समय पर ऋण चुकाता है और उसकी आर्थिक स्थिति स्थिर है। इसके विपरीत, कम सिबिल स्कोर यह संकेत देता है कि व्यक्ति पर ज्यादा कर्ज है या वह समय पर भुगतान नहीं करता।
सिबिल स्कोर के कारण टूटी शादियां
मामला 1: महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के मुर्तिजापुर में एक युवती ने शादी से इनकार कर दिया जब उसे पता चला कि दूल्हे का क्रेडिट स्कोर कम था और उसके ऊपर काफी कर्ज था। परिजनों ने भी यह फैसला सही माना और रिश्ता टूट गया।
मामला 2: कर्नाटक
कर्नाटक के मैसूर में एक युवती ने शादी से पहले अपने होने वाले पति का क्रेडिट स्कोर देखा। स्कोर कम होने के कारण उसके परिवार ने रिश्ता तोड़ दिया।
लड़कियां ही नहीं, लड़के भी कर रहे जांच
सिर्फ युवतियां ही नहीं, बल्कि युवक भी शादी से पहले दुल्हन की आर्थिक स्थिति की जांच कर रहे हैं। विशेष रूप से एजुकेशन लोन को लेकर सतर्कता बढ़ रही है।
क्यों देख रहे हैं लड़के एजुकेशन लोन?
कई बार शादी के बाद पति को पत्नी का एजुकेशन लोन चुकाना पड़ता है।
मध्यमवर्गीय परिवारों में यह एक अतिरिक्त वित्तीय बोझ बन सकता है।
इसलिए लड़के अब यह देख रहे हैं कि दुल्हन पर कोई बड़ा कर्ज तो नहीं है।
क्या यह एक सही कदम है?
वित्तीय पारदर्शिता किसी भी रिश्ते में महत्वपूर्ण होती है, और शादी भी इससे अछूती नहीं है।
विशेषज्ञों की राय
समाजशास्त्र विशेषज्ञ प्रो. एल. डी. सोनी कहते हैं कि शादी से पहले दोनों पक्षों को एक-दूसरे की आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी होनी चाहिए। इससे भविष्य में वित्तीय तनाव और विवाद से बचा जा सकता है।
क्या यह समाज में बदलाव का संकेत है?
हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि यह आर्थिक दबाव और पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव का परिणाम है। लेकिन सच्चाई यह भी है कि आर्थिक स्थिरता एक मजबूत विवाह की नींव हो सकती है।
उठ रहे सवाल:
क्या विवाह अब आर्थिक आधार पर तय होंगे?
क्या युवकों को भी दुल्हन की वित्तीय स्थिति जानने का समान अधिकार है?
क्या यह भारतीय संस्कृति में एक नया बदलाव है?
विवाह अब केवल भावनाओं और सामाजिक मानदंडों तक सीमित नहीं रह गया है। लोग अब आर्थिक स्थिरता और वित्तीय पारदर्शिता को भी उतना ही महत्व देने लगे हैं।
भले ही यह अभी एक नई प्रवृत्ति हो, लेकिन यह आने वाले समय में और मजबूत हो सकती है।
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