AIN NEWS 1 आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है। एक पूर्व जिला जज अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए मंगलवार तड़के तीन घंटे तक थाने में बैठे रहे, लेकिन पुलिस की लापरवाही के चलते उनकी प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी। थाने के मुंशी ने उनसे कहा कि इंस्पेक्टर के आने के बाद ही मामला दर्ज किया जाएगा, जिससे पूर्व जज को निराश होकर लौटना पड़ा।
घटना का विवरण
पूर्व जिला जज सुभाष कुलश्रेष्ठ, जो हाल ही में अपने पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, आगरा के सरला बाग में रहते हैं। मंगलवार सुबह करीब 3:30 बजे वे अपनी कार से दयालबाग के खेतों की ओर जा रहे थे। राधा नगर के पास पीछे से एक तेज रफ्तार कार ने उनकी गाड़ी को जोरदार टक्कर मार दी, जिससे उनकी कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। हालांकि, इस हादसे में पूर्व जज बाल-बाल बच गए।
शराबी चालक की बदसलूकी
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आरोपी चालक अत्यधिक नशे में था और घटनास्थल पर लोगों को धमकाने लगा। उसने कहा कि उसका भाई बदमाश है और उसे न रोकें, वरना अंजाम बुरा होगा। स्थानीय लोगों की सहायता से पूर्व जिला जज ने आरोपी को पकड़ा और उसे थाने ले गए। आरोपी की गाड़ी में शराब की बोतलें मिलीं, और उसकी गाड़ी के अंदर शराब फैली हुई थी। स्थिति इतनी खराब थी कि आरोपी ने नशे में पेंट तक गीली कर दी थी।
थाने में इंतजार और पुलिस का रवैया
थाने पहुंचने पर पूर्व जिला जज ने आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज करने की तहरीर दी। उन्होंने बताया कि मुंशी ने उन्हें बताया कि FIR दर्ज नहीं हो सकती, क्योंकि इंस्पेक्टर साहब थाने में नहीं हैं और वे सुबह 12 बजे के बाद ही आएंगे। पूर्व जज ने इसका विरोध करते हुए इंस्पेक्टर को तुरंत बुलाने की मांग की, लेकिन मुंशी ने स्पष्ट किया कि इंस्पेक्टर रात में नहीं आते। इस पर पूर्व जज को मजबूरन तीन घंटे तक थाने में इंतजार करना पड़ा।
उच्च अधिकारियों से संपर्क असफल
थाने में कोई सुनवाई न होने पर पूर्व जज ने एसीपी हरिपर्वत आदित्य सिंह को फोन और मैसेज कर संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। थाना न्यू आगरा प्रभारी को भी फोन किया गया, लेकिन उन्होंने भी फोन नहीं उठाया। आखिरकार, थक-हार कर पूर्व जज निराश होकर वहां से लौट गए।
पुलिस प्रशासन पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर से पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर आम जनता के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार की अपेक्षा होती है, वहीं दूसरी ओर इस प्रकार की घटनाएं पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।