AIN NEWS 1 | भारत के केरल राज्य की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया को यमन में होने वाली फांसी से ठीक एक दिन पहले राहत मिल गई है। 38 वर्षीय निमिषा पर 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो मेहदी की हत्या का आरोप है, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था। 2020 में यमन की अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी, जिसे नवंबर 2023 में यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने भी बरकरार रखा।
निमिषा इस वक्त यमन की राजधानी सना की जेल में बंद हैं, जो ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के नियंत्रण में है। भारत सरकार उनकी सजा को रुकवाने और उन्हें बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
भारत सरकार की कोशिशें और फांसी टालने की वजह
भारत सरकार ने हाल ही में यमन सरकार से आग्रह किया कि निमिषा के परिवार को पीड़ित पक्ष से आपसी सहमति और समझौते की प्रक्रिया के लिए समय दिया जाए। इसी अनुरोध के बाद 16 जुलाई 2025 को होने वाली फांसी स्थगित कर दी गई।
भारत सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि ब्लड मनी का सौदा निजी मामला है और सरकार इसमें सिर्फ मध्यस्थ की भूमिका निभा सकती है। सरकार खुद ब्लड मनी नहीं दे सकती, लेकिन कानूनी प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाने में सहायता जरूर कर सकती है।
क्या है ब्लड मनी और क्यों है जरूरी?
ब्लड मनी एक प्रकार का मुआवजा है, जिसे शरिया कानून के अंतर्गत पीड़ित के परिवार को दिया जाता है। यमन में अगर किसी आरोपी के परिवार द्वारा पीड़ित के परिजनों को उचित राशि दी जाती है और वे माफी दे देते हैं, तो आरोपी को मौत की सजा से राहत मिल सकती है।
निमिषा के परिवार ने करीब 8.5 करोड़ रुपए (1 मिलियन डॉलर) की पेशकश की है ताकि उन्हें रिहा करवाया जा सके। लेकिन इस सौदे में एक बड़ी बाधा यह है कि यमन की राजधानी में भारत का कोई दूतावास नहीं है क्योंकि वहां हूती विद्रोही नियंत्रण में हैं।
धार्मिक नेताओं की भूमिका
केरल के प्रमुख धार्मिक नेता ग्रांड मुफ्ती अबूबकर मुसलियार ने यमन के सूफी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हफीज से संपर्क किया और उनसे मृतक के परिवार से बातचीत करवाने का अनुरोध किया। इन प्रयासों से यमन की सरकार ने फांसी की सजा को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है।
कानूनी पहल और भारत सरकार की आर्थिक मदद
भारत सरकार ने जून 2024 में यमन के वकील अब्दुल्ला एजी अमीर को 40,000 डॉलर (करीब 33 लाख रुपए) की राशि प्री-नेगोशिएशन फीस के रूप में दी, जिससे बातचीत की प्रक्रिया शुरू हो सके। इसके अतिरिक्त, सरकार की ओर से कोई और आर्थिक सहायता नहीं दी गई है।
हत्या का कारण और घटनाक्रम
निमिषा प्रिया 2008 में अपने पति टॉमी थॉमस के साथ यमन गई थीं। वहां उन्होंने एक नर्स के रूप में काम किया और फिर 2014 में सना शहर में एक डेंटल क्लिनिक शुरू किया। उनका बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो मेहदी धीरे-धीरे क्लिनिक पर कब्जा जमाने की कोशिश करने लगा।
इस विवाद के चलते, निमिषा ने उसे बेहोश करने के लिए नशीले पदार्थ का इस्तेमाल किया, लेकिन अधिक मात्रा में देने के कारण उसकी मौत हो गई। घटना को छिपाने के लिए निमिषा ने शव के टुकड़े कर उन्हें पानी की टंकी में फेंक दिया।
मौजूदा स्थिति
निमिषा इस वक्त यमन की सना जेल में बंद हैं, जहां की स्थिति नाजुक बनी हुई है। वहां के राजनीतिक हालात और हूती विद्रोहियों की मौजूदगी के कारण भारत के लिए सीधे हस्तक्षेप करना कठिन है। हालांकि भारत की ओर से लगातार राजनयिक और मानवीय आधार पर प्रयास किए जा रहे हैं ताकि निमिषा की जान बचाई जा सके।
निमिषा प्रिया का मामला मानवीय संवेदनाओं, कानूनी पेचीदगियों और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का एक जटिल उदाहरण है। जहां एक ओर वह एक गंभीर अपराध की दोषी मानी जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर उनका परिवार और भारत सरकार उन्हें जीवनदान दिलाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। अब यह देखना अहम होगा कि ब्लड मनी की पेशकश को यमनी परिवार कब तक स्वीकार करता है और क्या अंततः निमिषा को रिहाई मिल पाती है।
Indian nurse Nimisha Priya, who has been imprisoned in Yemen since 2017 for the alleged murder of her Yemeni business partner, has been granted a temporary reprieve from her death sentence. The execution, which was scheduled for July 16, 2025, has been postponed following continuous diplomatic efforts by the Indian government. As per Yemeni Sharia law, her release is possible through blood money worth $1 million. Negotiations are ongoing through religious leaders and legal channels, with hopes pinned on a successful out-of-court settlement.