AIN NEWS 1 इंदौर: ओलंपिक में 100 ग्राम अधिक वजन के कारण अयोग्य करार दी गई पहलवान विनेश फोगाट के दर्द के बीच हमें मध्य प्रदेश की पहलवान शिवानी पंवार के संघर्ष को भी याद करना चाहिए। शिवानी का दर्द इससे भी गहरा है, क्योंकि वह ओलंपिक में भाग नहीं ले सकीं, जबकि उसी वजन वर्ग में विनेश का नाम था।
शिवानी पंवार की कहानी
शिवानी पंवार मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र छिंदवाड़ा के उमरेठ गांव की निवासी हैं। कम लोग जानते होंगे कि शिवानी एक राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियन हैं। उन्होंने पिछले तीन वर्षों में लगातार शीर्ष स्थान पर रहते हुए भारतीय कुश्ती में एक महत्वपूर्ण जगह बनाई है। एशियन चैंपियनशिप में उन्होंने तीन बार की विश्व चैंपियनशिप की पदक विजेता पहलवान को हराया और भारत के लिए पदक जीता।
विनेश फोगाट के मुकाबले शिवानी की स्थिति
जिस 50 किग्रा वजन वर्ग में विनेश फोगाट ओलंपिक में भाग लेने वाली थीं, शिवानी ने भी इसी वजन वर्ग में अपनी प्रतिभा साबित की। लेकिन, विनेश 100 ग्राम अधिक वजन के कारण अयोग्य घोषित कर दी गईं। वहीं, शिवानी पंवार को ओलंपिक में स्थान नहीं मिल सका।
शिवानी की कठिनाइयां
शिवानी ने पिछले तीन सालों से ओलंपिक की तैयारी की थी, लेकिन कई बाधाओं के कारण उनका सपना पूरा नहीं हो सका। उन्होंने भारतीय कुश्ती संघ, ओलंपिक संघ और अंतरराष्ट्रीय कुश्ती संघ से न्याय की मांग की, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी।
पैटियाला में हुए ट्रायल्स में भी उन्हें न्याय नहीं मिला। विनेश को 50 किग्रा और 53 किग्रा दोनों वर्गों में खेलने का मौका दिया गया, जबकि शिवानी को केवल 50 किग्रा वर्ग में मुकाबला करना पड़ा। ट्रायल्स के दौरान नियमों का पालन नहीं किया गया और अंत में विनेश को विजेता घोषित कर दिया गया। शिवानी ने इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, लेकिन उसका कोई समाधान नहीं हुआ।
निष्कर्ष
शिवानी पंवार की कहानी यह दर्शाती है कि कुश्ती जैसे खेलों में केवल प्रदर्शन ही महत्वपूर्ण नहीं होता, बल्कि उचित व्यवस्था और न्याय भी आवश्यक है। उनके संघर्ष और सफलता की कहानी एक प्रेरणा है, लेकिन साथ ही यह एक संकेत भी है कि खेल के क्षेत्र में कई बार प्रतिभा और मेहनत के बावजूद न्याय नहीं मिल पाता।