When a Pakistani Fighter Jet Shot Down Gujarat CM’s Plane During 1965 War
जब 1965 की जंग में पाकिस्तान ने गुजरात के मुख्यमंत्री का विमान गिरा दिया
AIN NEWS 1: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कोई नया नहीं है, लेकिन जब यह तनाव युद्ध में बदलता है, तो उसकी कीमत बहुत बड़ी होती है। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान एक ऐसी ही घटना घटी जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। यह घटना थी गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री बलवंतराय मेहता के विमान को पाकिस्तानी फाइटर जेट द्वारा गिरा देने की।
पहलगाम नरसंहार और पुरानी यादें
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 27 निर्दोष पर्यटक मारे गए। इस जघन्य हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच फिर से तनाव चरम पर पहुंच गया है। इस तनाव ने 1965 की उस घटना की याद दिला दी, जब पाकिस्तान ने भारत के एक प्रमुख नेता के विमान को निशाना बनाया था।
19 सितंबर 1965: एक काली तारीख
1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध चल रहा था। 19 सितंबर को गुजरात के मुख्यमंत्री बलवंतराय मेहता अहमदाबाद से मिठापुर की ओर एक छोटे विमान से रवाना हुए। उनके साथ उनकी पत्नी, तीन सहायक, एक पत्रकार और दो क्रू मेंबर सवार थे। यह एक सामान्य उड़ान थी, लेकिन इसे कभी मंज़िल तक नहीं पहुंचना था।
पाकिस्तानी फाइटर जेट का हमला
जैसे ही विमान कच्छ के रन के पास भारत-पाक सीमा के करीब पहुंचा, पाकिस्तान एयरफोर्स के दो पायलट — फ्लाइट लेफ्टिनेंट ए.आई. बुखारी और फ्लाइंग ऑफिसर कैस हुसैन — एफ-86 सेबर फाइटर जेट से गश्त पर थे। पाकिस्तान के रडार को एक ‘संदिग्ध’ विमान की जानकारी मिली, और आदेश मिला कि उसकी जांच की जाए।
बलवंतराय मेहता का विमान एक सिविल एयरक्राफ्ट था और उसने अपनी पहचान बताने की कोशिश की, लेकिन पाकिस्तानी पायलटों ने उसे दुश्मन का जासूसी विमान समझ लिया। दोपहर 3:30 बजे सेबर जेट ने उस पर फायरिंग की। विमान में आग लग गई और वह कच्छ के रन में गिरकर जल गया। सभी आठ लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।
बलवंतराय मेहता कौन थे?
बलवंतराय मेहता स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय पंचायती राज व्यवस्था के जनक माने जाते हैं। वे गुजरात के दूसरे मुख्यमंत्री थे और उनकी छवि एक सुलझे हुए, समर्पित और जनहितकारी नेता की थी। उनकी मृत्यु से न केवल गुजरात, बल्कि पूरा देश शोक में डूब गया।
पाकिस्तान की सफाई और भारत की प्रतिक्रिया
हमले के बाद पाकिस्तान ने इसे एक ‘गलती’ बताया। उनका कहना था कि पायलटों ने विमान को जासूसी एयरक्राफ्ट समझ लिया था। हालांकि पाकिस्तान ने न तो औपचारिक माफी मांगी और न ही कोई जिम्मेदारी स्वीकार की। सालों बाद, 2011 में उस हमले में शामिल एक पायलट कैस हुसैन की बेटी ने एक माफीनामा लिखा, लेकिन उसमें भी मेहता परिवार का कोई जिक्र नहीं था।
भारत ने इस हमले की निंदा की, लेकिन युद्ध की स्थिति के चलते तत्काल कोई जवाब नहीं दिया जा सका। इस घटना ने भारत में सिविल विमानों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
युद्ध की पृष्ठभूमि
1965 की लड़ाई रन ऑफ कच्छ में सीमा विवाद से शुरू हुई थी। बाद में यह पूरी कश्मीर घाटी में फैल गई। दोनों देशों की सेनाएं जमीन और आसमान में आमने-सामने थीं। भारतीय वायुसेना और पाकिस्तानी वायुसेना के बीच कई बार टकराव हुआ। इसी माहौल में यह दुखद घटना घटी।
आज भी जीवित है बलवंतराय मेहता की विरासत
बलवंतराय मेहता का सपना था कि भारत के गांवों को ताकत मिले और पंचायतें लोकतंत्र की नींव बनें। उनका सपना आज पंचायती राज व्यवस्था के रूप में जीवित है। लेकिन उनकी शहादत भारत-पाक इतिहास की एक दर्दनाक याद बन गई है, जो यह दिखाती है कि युद्ध में कितने निर्दोष लोग मारे जाते हैं।
1965 में पाकिस्तान द्वारा गुजरात के मुख्यमंत्री के विमान को मार गिराना सिर्फ एक सैन्य गलती नहीं थी, बल्कि यह युद्ध के दौरान सिविल विमान पर हमला था। यह घटना आज भी भारत के लिए एक चेतावनी है कि युद्ध में सिर्फ सैनिक ही नहीं, बल्कि आम नागरिक और नेता भी बलिदान हो सकते हैं। आज जब भारत और पाकिस्तान फिर से टकराव की स्थिति में हैं, यह घटना हमें इतिहास से सबक लेने की याद दिलाती है।
In the backdrop of renewed India-Pakistan tensions after the Pahalgam massacre, the 1965 incident where a Pakistani fighter jet shot down the civilian aircraft carrying Gujarat Chief Minister Balwantrai Mehta serves as a grim reminder of the dangers of war. This India Pakistan war story highlights how a civil aviation attack during the 1965 war resulted in the tragic death of a respected leader and continues to impact India Pakistan relations even today.