AIN NEWS 1 | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का असम दौरा राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम रहा। यहां उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि देश की सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मुद्दों पर कांग्रेस ने हमेशा भारत विरोधी ताकतों का साथ दिया। पीएम मोदी ने विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय कांग्रेस पाकिस्तान की सेना के साथ खड़ी थी और उनके झूठ को भारत में प्रचारित करती रही।
पीएम मोदी के इन बयानों ने न केवल असम की राजनीति को गरमा दिया बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी एक नई बहस छेड़ दी है।
पीएम मोदी का कांग्रेस पर आरोप
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा –
“जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब देश लगातार आतंकवादी घटनाओं से लहूलुहान होता रहा। उस दौरान भारत की सुरक्षा और सीमाओं को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई गई। ऑपरेशन सिंदूर के समय कांग्रेस ने पाकिस्तान का पक्ष लिया और उसके झूठ को देश के भीतर एजेंडा बना दिया।”
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस सरकार ने घुसपैठियों को संरक्षण दिया, जिसकी वजह से सीमावर्ती राज्यों की सुरक्षा और सांस्कृतिक संतुलन बिगड़ा।
ऑपरेशन सिंदूर – क्या है पृष्ठभूमि?
ऑपरेशन सिंदूर उस समय की एक बड़ी सैन्य और राजनीतिक घटना मानी जाती है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था।
इस ऑपरेशन का मकसद पाकिस्तान समर्थित आतंकी गतिविधियों को रोकना और सीमा पर स्थिरता कायम करना था।
भारतीय सेना ने इसमें अहम भूमिका निभाई और कई बड़े खतरे को नाकाम किया।
लेकिन पीएम मोदी का आरोप है कि कांग्रेस ने उस दौर में पाकिस्तान की सेना के नैरेटिव को समर्थन दिया और भारत की आवाज़ को कमजोर करने की कोशिश की।
घुसपैठ का मुद्दा – असम की संवेदनशीलता
असम और पूरे पूर्वोत्तर भारत में अवैध घुसपैठ लंबे समय से बड़ा मुद्दा रहा है।
बांग्लादेश से आने वाली घुसपैठ ने यहां की जनसंख्या संतुलन को बदल दिया है।
स्थानीय लोगों की संस्कृति, भाषा और रोजगार पर भी इसका असर पड़ा है।
बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस ने वोट बैंक की राजनीति के लिए घुसपैठियों को बचाया और उन्हें नागरिकता दिलाने तक की कोशिश की।
पीएम मोदी ने कहा कि अब बीजेपी सरकार मिशन मोड में घुसपैठ रोकने के लिए काम कर रही है। सीमा सुरक्षा को मज़बूत किया जा रहा है और असम समेत पूर्वोत्तर के राज्यों को घुसपैठ से मुक्त करने की योजना पर काम चल रहा है।
कांग्रेस की भूमिका पर सवाल
पीएम मोदी ने अपने भाषण में दो मुख्य बिंदुओं पर कांग्रेस की आलोचना की:
राष्ट्रीय सुरक्षा की अनदेखी – उनके मुताबिक, कांग्रेस सरकार के समय आतंकवाद और घुसपैठ दोनों बेकाबू रहे।
पाकिस्तान का नैरेटिव अपनाना – ऑपरेशन सिंदूर जैसे मामलों में कांग्रेस ने पाकिस्तान की सेना और उसके झूठ का साथ दिया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का इतिहास भारत विरोधी ताकतों के साथ खड़े रहने का रहा है और यही वजह है कि देश को दशकों तक आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
असम की जनता से अपील
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में असम की जनता से अपील की कि वे ऐसी ताकतों से सावधान रहें जो देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करती हैं। उन्होंने कहा कि –
बीजेपी की सरकार असम की सीमाओं को सुरक्षित बनाने और घुसपैठ पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए संकल्पबद्ध है।
असम को स्थायी शांति और विकास तभी मिलेगा जब अवैध घुसपैठ पर लगाम लगेगी।
सरकार क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर और असमिया पहचान को सुरक्षित रखने के लिए काम कर रही है।
राजनीतिक विश्लेषण
विशेषज्ञों का मानना है कि पीएम मोदी का यह बयान केवल कांग्रेस की आलोचना तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका गहरा राजनीतिक संदेश है।
लोकसभा चुनाव की तैयारी – पूर्वोत्तर में बीजेपी अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहती है। असम इस रणनीति का केंद्र है।
वोट बैंक की राजनीति पर हमला – कांग्रेस को घुसपैठियों का रक्षक बताकर बीजेपी स्थानीय जनता को अपने पक्ष में करना चाहती है।
राष्ट्रीय सुरक्षा बनाम राजनीति – मोदी सरकार बार-बार यह संदेश देना चाहती है कि बीजेपी सुरक्षा को प्राथमिकता देती है, जबकि कांग्रेस ने हमेशा समझौता किया।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस का कहना है कि पीएम मोदी का यह बयान पूरी तरह से झूठा और भ्रामक है। उनका आरोप है कि बीजेपी चुनाव नजदीक आते ही राष्ट्रवाद के नाम पर लोगों की भावनाओं से खेलती है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि असम और पूर्वोत्तर में वास्तविक विकास की जरूरत है, न कि केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की।
जनता की राय
असम के लोगों की मिश्रित प्रतिक्रिया सामने आई है।
कई लोग मानते हैं कि घुसपैठ वाकई एक गंभीर समस्या है और इसे रोकना ज़रूरी है।
कुछ लोग इसे चुनावी राजनीति का हिस्सा मानते हैं और कहते हैं कि हर बार चुनाव से पहले घुसपैठ का मुद्दा उछाला जाता है।
पीएम मोदी का कांग्रेस पर यह सीधा हमला असम में चुनावी माहौल को और तेज़ कर देगा।
“ऑपरेशन सिंदूर” का जिक्र करके उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और घुसपैठ के मुद्दे को जनता के सामने रखा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस पर क्या जवाब देती है और असम की जनता किस नैरेटिव पर भरोसा करती है।
एक बात तय है – असम की राजनीति में घुसपैठ और राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा आने वाले दिनों में केंद्र में रहेगा।