सांस के जरिये प्लेसेंटा तक पहुंच रहे हैं प्रदूषण के कण !

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बता दे कि प्रदूषण का स्तर कम होने के वजाय दिन पर दिन बढ़ते ही जा रहे है और इससे लोगो को सांस लेने में काफी दिक्कत का सामना करना पढ़ रहा है वहीं आपको बता दे कि एक सप्ताह में जिला महिला अस्पताल में 158 प्रसव हुए और इनमें 39 प्रसव समय से पूर्व कराए गए. सभी शिशुओँ को (एसएनसीयू) में भर्ती किया गयै है और इनमें से 10 बच्चों का वजन 2.2 किग्रा से कम है और प्रदूषण के कारण सासं लेने में काफी ज्यादा परेशानी, बैचेनी और घबराहट होने पर समय से पूर्व प्रसव कराना पड़ रहा है

डॉ वाणीपुरी रावत ने दीं जानकारी

आपको बता दे आईएमए अध्यक्ष व महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. वाणीपुरी रावत ने जानकारी देते हुए कहा कि बच्चा गर्भ के अंदर होने पर वायु प्रदूषण से सबसे द्वि प्रभावित होता है। मां के सांस लेने पर वायु में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर उसके शरीर में पहुंच रहे हैं। यह इतने महीन होते हैं कि कुछ फेफड़ों से चिपक जाते हैं, कुछ खून में और कुछ प्लेसेंटा तक भी पहुंच रहे हैं। इसी घुल जाते हैं प्लेसेंटा से बच्चे को पोषण मिलता है। अप्राकृतिक चीजों के प्लेसेंटा पर पहुंचने से वहां व्हाइट ब्लड सेल्स बढ़ रही हैं। इनके जमावट होने से भ्रूण तक रक्त प्रवाह में रुकावट हो रही है। इसी रक्त से बच्चे को पोषण मिलता है, लेकिन रक्त कम पहुंचने से शिशु का विकास रुक जाता है। जब प्लेसेंटा ठीक से रक्त प्रवाह नहीं कर पाती और जल्दी परिपक्व होने से समय से पहले प्रसव हो रहा है।  और वही जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. सुमाता तालिब ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदूषण का स्तर बढ़ने से गर्भवती को सांस लेने में परेशानी, बेचैनी और घबराहट हो रही है, इस कारण से समय पूर्व प्रसव के मामले बढ़े हैं। वही बता दे सात दिन में 100 नवजात शिशुओं को (एसएनसीयू) में भर्ती किया गया और इनमें 39 समय से पूर्व पैदा हुए हैं।

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