AIN NEWS 1 | कर्नाटक की राजनीति में एक बड़ा भूचाल उस समय आया जब जेडीएस के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को दुष्कर्म के मामले में दोषी ठहराते हुए विशेष अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई। शनिवार, 2 अगस्त 2025 को बेंगलुरु स्थित सांसदों और विधायकों की विशेष अदालत ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
यह मामला केवल एक कानूनी कार्यवाही नहीं था, बल्कि राजनीति, शक्ति और न्याय के बीच संघर्ष का प्रतीक भी बन गया।
कौन हैं प्रज्वल रेवन्ना?
प्रज्वल रेवन्ना जनता दल (सेक्युलर) के प्रमुख नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के पोते हैं। वे हासन लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं और कर्नाटक में एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनकी छवि एक उभरते हुए युवा नेता के रूप में थी, लेकिन यह मामला उनके पूरे राजनीतिक जीवन पर भारी पड़ा।
अदालत का फैसला
बेंगलुरु के विशेष न्यायाधीश संतोष गजानन भट ने प्रज्वल को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(K) (प्रभावशाली पद का दुरुपयोग करके किया गया दुष्कर्म) और 376(2)(N) (बार-बार दुष्कर्म) के तहत दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई।
साथ ही:
10 लाख रुपये का जुर्माना
पीड़िता को 7 लाख रुपये का मुआवजा
का आदेश भी दिया गया।
पीड़िता कौन थी?
यह मामला 2021 में सामने आया, जब 48 वर्षीय एक महिला, जो प्रज्वल रेवन्ना के हासन जिले स्थित फार्महाउस में घरेलू सहायिका के रूप में काम करती थी, ने उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न और दुष्कर्म का आरोप लगाया।
महिला ने बताया कि प्रज्वल ने:
न केवल उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया,
बल्कि इन घटनाओं को अपने मोबाइल फोन में रिकॉर्ड भी किया।
दुष्कर्म की घटनाएं हासन के फार्महाउस और बेंगलुरु स्थित निजी आवास दोनों जगहों पर हुई थीं।
SIT की जांच और चार्जशीट
इस मामले की जांच विशेष जांच दल (SIT) को सौंपी गई थी। SIT ने सितंबर 2024 में:
1,632 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की,
जिसमें 113 गवाहों के बयान,
180 दस्तावेज, और
26 गवाहों की जिरह
शामिल थी।
चार्जशीट में SIT ने आरोपी को पूर्व नियोजित और बार-बार अपराध करने वाला बताया, जो अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल कर पीड़िता को चुप कराने की कोशिश करता रहा।
कोर्ट में भावुक हुआ आरोपी
फैसला सुनाए जाने के दौरान 34 वर्षीय प्रज्वल रेवन्ना अदालत में बेहद घबराए हुए नजर आए। जब न्यायाधीश ने उन्हें दोषी ठहराया, तो वे खुलेआम रो पड़े और अदालत से दया की भीख मांगी। लेकिन अदालत ने साक्ष्यों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए सख्त सजा सुनाई।
कानूनी विश्लेषण
विशेषज्ञों का मानना है कि:
यह फैसला प्रभावशाली लोगों द्वारा किए गए अपराधों पर सख्त संदेश देता है,
साथ ही यह भी स्पष्ट करता है कि कानून सबके लिए बराबर है।
धारा 376(2)(K) और 376(2)(N) का उपयोग दुर्लभ मामलों में किया जाता है, जो यह दर्शाता है कि अदालत ने अपराध की गंभीरता को पूरी तरह समझा।
राजनीतिक हलचल
इस मामले ने कर्नाटक की राजनीति में तूफान ला दिया है। जेडीएस पार्टी पहले ही मुश्किल दौर से गुजर रही थी, और अब यह घटना उसके लिए बड़ा झटका बनकर सामने आई है।
विपक्षी दलों ने जहां कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा को लेकर सरकार पर सवाल उठाए, वहीं जेडीएस ने प्रज्वल से पूरी तरह किनारा कर लिया है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
कई लोग इसे न्याय की जीत बता रहे हैं।
जबकि कुछ लोग पूछ रहे हैं कि ऐसे व्यक्ति को पार्टी में टिकट ही क्यों दिया गया था?
आगे क्या?
हालांकि प्रज्वल को एक मामले में दोषी ठहराया गया है, लेकिन उनके खिलाफ दुष्कर्म के तीन अन्य मामले अभी लंबित हैं। आने वाले समय में यह देखा जाएगा कि क्या वे बाकी मामलों में भी दोषी सिद्ध होते हैं या नहीं।
प्रज्वल रेवन्ना का यह मामला केवल एक अपराध की कहानी नहीं है, बल्कि यह सत्ता, जिम्मेदारी और न्याय के संतुलन को दर्शाता है। यह उदाहरण देता है कि चाहे व्यक्ति कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, यदि वह दोषी है, तो कानून उसे बख्शता नहीं है।
In a significant verdict, former JDS MP Prajwal Revanna has been sentenced to life imprisonment by a Bengaluru special court in a rape case involving a 48-year-old domestic worker. The court found him guilty under IPC Sections 376(2)(K) and 376(2)(N), imposed a ₹10 lakh fine, and ordered ₹7 lakh compensation for the victim. The case, based on an incident in 2021 at a farmhouse in Hassan district, was backed by a detailed SIT investigation. This ruling has triggered political shockwaves in Karnataka and reasserted that justice prevails, irrespective of power or position.