AIN NEWS 1: भीम आर्मी के प्रमुख और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष सांसद चंद्रशेखर आजाद ने उत्तर प्रदेश में पुलिस और प्रशासनिक पदों पर अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) समुदायों के अधिकारियों की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को पत्र लिखकर डीजी (पुलिस महानिदेशक) से लेकर डीएम (जिलाधिकारी), एसपी (पुलिस अधीक्षक) और थानों में तैनात SHO (स्टेशन हाउस ऑफिसर) स्तर के पदों पर SC/ST अधिकारियों की तैनाती का पूरा ब्योरा मांगा है।
पत्र में उठाए गए मुख्य सवाल
सांसद चंद्रशेखर ने मुख्य सचिव से यूपी के विभिन्न विभागों और पुलिस महकमे में SC/ST अधिकारियों के प्रतिनिधित्व के संबंध में सात सवाल पूछे हैं। उनका कहना है कि यह जानकारी जरूरी है क्योंकि जातिगत आधार पर उत्पीड़न, अपराध और अन्याय की घटनाएं प्रदेश में लगातार बढ़ रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस और प्रशासनिक तंत्र में SC/ST वर्ग के प्रतिनिधित्व की कमी के कारण इन घटनाओं के प्रति अधिकारी लचर रवैया अपनाते हैं। उनके सवाल निम्नलिखित हैं:
1. विभिन्न विभागों में SC/ST अधिकारी: उत्तर प्रदेश के विभिन्न विभागों में अपर मुख्य सचिव, मुख्य सचिव और सचिव स्तर पर कितने SC/ST अधिकारी तैनात हैं?
2. जिलाधिकारी और अपर जिलाधिकारी का आंकड़ा: यूपी के 75 जिलों में कितने जिलाधिकारी और अपर जिलाधिकारी SC/ST वर्ग से हैं?
3. मंडलों में कमिश्नर की नियुक्ति: 18 मंडलों में SC/ST वर्ग के कितने कमिश्नर कार्यरत हैं?
4. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक की संख्या: प्रदेश के जिलों में कितने एसएसपी/एसपी SC/ST वर्ग के हैं?
5. ADG/IG और DIG स्तर के अधिकारी: प्रदेश के किस जोन में ADG (अपर पुलिस महानिदेशक) या IG (महानिरीक्षक) और किस रेंज में DIG (उपमहानिरीक्षक) SC/ST वर्ग से हैं?
6. पुलिस महानिदेशक और अपर पुलिस महानिदेशक: उत्तर प्रदेश में कितने DG और ADG SC/ST वर्ग से नियुक्त हैं?
7. थानों में प्रभारी निरीक्षक की नियुक्ति: प्रदेश के 75 जिलों के कोतवाली और थानों में कितने प्रभारी निरीक्षक SC/ST वर्ग से तैनात हैं?
दलित राजनीति में गरमाहट
सांसद चंद्रशेखर का यह कदम यूपी की राजनीति में दलित मुद्दों को लेकर नए सिरे से चर्चा शुरू कर सकता है। उन्होंने पत्र में दावा किया कि राज्य में SC/ST वर्गों के साथ जातिगत उत्पीड़न, शोषण और अन्याय की घटनाएं घटित हो रही हैं, जिनमें पुलिस और प्रशासन का रवैया भी पक्षपाती रहता है। उन्होंने बताया कि पीड़ितों को थानों में FIR दर्ज कराने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, कई बार बिना FIR के ही भगा दिया जाता है, या FIR कमजोर धाराओं में दर्ज की जाती है।
जातिगत प्रतिनिधित्व की कमी का आरोप
चंद्रशेखर का कहना है कि प्रदेश में निर्णयकारी पदों पर SC/ST वर्ग का पर्याप्त प्रतिनिधित्व न होने के कारण वंचित वर्गों के साथ अन्याय होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि डीएम, एसपी, थानाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियों में जातिगत भेदभाव हो रहा है, जिससे इन समुदायों की समस्याएं बढ़ रही हैं। उनका कहना है कि संविधान ने SC/ST समुदाय को आरक्षण के माध्यम से प्रतिनिधित्व का अधिकार दिया है, लेकिन यूपी में प्रशासनिक और पुलिस महकमे में इसे लेकर गंभीरता नहीं दिखाई दे रही है।
समाज में असंतुलन और SC/ST पर बढ़ता अन्याय
चंद्रशेखर ने अपने पत्र में लिखा कि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या में SC/ST वर्ग का हिस्सा लगभग 22% है, जो कि एक बड़ी संख्या है। इसके बावजूद, इस वर्ग के लोग अपने अधिकारों से वंचित हैं। उनका कहना है कि पुलिस और प्रशासन में SC/ST अधिकारियों की कमी के कारण इस समुदाय के प्रति अन्याय की घटनाएं बढ़ रही हैं। पुलिस महकमे में बैठे अधिकारी अक्सर आरोपियों का पक्ष लेते हैं और पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाता।
न्याय के लिए ठोस कदम उठाने की मांग
सांसद चंद्रशेखर ने कहा कि पुलिस प्रशासन और कार्यपालिका का प्रमुख दायित्व वंचित वर्गों के उत्पीड़न को रोकना है। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि जातिगत आधार पर पुलिस-प्रशासन में SC/ST वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व दिया जाए ताकि अन्याय और उत्पीड़न की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।
निष्कर्ष
सांसद चंद्रशेखर का यह पत्र यूपी में दलित राजनीति को नई दिशा दे सकता है। उनका कहना है कि प्रदेश में SC/ST वर्ग के प्रतिनिधित्व की कमी के कारण इन वर्गों के खिलाफ अन्याय की घटनाएं बढ़ रही हैं। अब देखना यह होगा कि मुख्य सचिव और राज्य सरकार इस मुद्दे पर क्या जवाब देती है और क्या वंचित वर्ग के प्रति न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं।