AIN NEWS 1 | गाजियाबाद में 22 अगस्त 2025 से महिला पहलवान राखी पहलवान ने जिला मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना और आमरण अनशन शुरू किया है। उनका यह आंदोलन केवल व्यक्तिगत विवाद नहीं, बल्कि महिलाओं के अधिकार, सुरक्षा और सम्मान की मांग का प्रतीक बन चुका है।
राखी का आरोप है कि ससुराल वालों ने उन्हें घर से निकाल दिया, अपमानित किया और पुलिस ने मदद करने के बजाय धमकाया। उनका यह संघर्ष अब समाज में महिलाओं के लिए न्याय की लड़ाई का रूप ले चुका है।
राखी की कहानी
राखी की शादी 9 जुलाई 2024 को हुई थी। शुरुआत में सब ठीक था, लेकिन जब उनके पति विदेश गए, तो ससुराल वाले उनके साथ मानसिक और शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार करने लगे।
राखी कहती हैं:
“मैं तलाक नहीं चाहती। मैं सिर्फ सम्मान और परिवार के साथ सुरक्षित जीवन चाहती हूँ। लेकिन मुझे घर से निकाल दिया गया और पुलिस ने भी मेरी मदद करने की बजाय डराया।”
उनकी आवाज़ में दर्द के साथ दृढ़ता भी झलकती है। उनका कहना है कि वे पीछे नहीं हटेंगी, चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएँ।
आंदोलन की मुख्य मांगें
न्याय की मांग: घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई।
पुलिस जवाबदेही: पुलिस द्वारा धमकियों और संवेदनहीन व्यवहार की जांच।
महिलाओं की सुरक्षा: घर और समाज में महिलाओं के लिए सम्मानजनक माहौल।
तेज न्याय प्रक्रिया: महिला मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालतें।
महिला सशक्तिकरण: आर्थिक स्वतंत्रता और महिलाओं की योजनाओं का पालन।
पारदर्शी परामर्श केंद्र: पारिवारिक विवाद केंद्रों में भ्रष्टाचार की जांच और सुधार।
सामाजिक समर्थन
गाजियाबाद और आस-पास के महिला अधिकार संगठनों ने राखी के आंदोलन का समर्थन किया है।
नीलम चौधरी, एक महिला संगठन कार्यकर्ता कहती हैं:
“राखी का संघर्ष हर उस महिला की लड़ाई है जिसे घर में प्रताड़ित किया गया और न्याय की उम्मीद तोड़ी गई। हम उनके साथ हैं और उनकी मांगें पूरी होने तक समर्थन जारी रखेंगे।”
कई सामाजिक संगठन धरना स्थल पर पहुँचकर राखी के साथ खड़े हैं। उनका मानना है कि यह आंदोलन पूरे प्रदेश में महिलाओं के लिए न्याय की नई उम्मीद जगाने में मदद कर सकता है।
प्रशासन और पुलिस का रवैया
अब तक प्रशासन और पुलिस की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। राखी का आरोप है कि जब उन्होंने शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, तो पुलिस ने उन्हें डराया और चुप रहने के लिए कहा।
धरना स्थल पर मौजूद एक समर्थक कहते हैं:
“अगर एक पहलवान महिला को, जो समाज में अपनी पहचान बना चुकी है, न्याय नहीं मिल पा रहा, तो आम महिलाओं की स्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। प्रशासन को तुरंत कदम उठाने चाहिए।”
समाज के लिए संदेश
राखी का आंदोलन कई सवाल उठाता है:
क्यों आज भी महिलाएं घरेलू हिंसा और प्रताड़ना का शिकार होती हैं?
क्यों पुलिस और प्रशासन महिलाओं की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेते?
क्यों महिलाओं को न्याय के लिए सड़क पर उतरना पड़ता है?
राखी का कदम उन सभी महिलाओं को प्रेरणा देता है जो अब तक चुप रहकर हिंसा सहती आई हैं।
आम जनता की राय
धरना स्थल पर कई लोग राखी से मिलने पहुंचे।
एक स्थानीय महिला कहती हैं:
“राखी जी ने आवाज़ उठाई है, तो हमें लगता है कि हमारी पीड़ा को भी कोई समझेगा। यह आंदोलन हर महिला की ताकत है।”
एक कॉलेज छात्रा ने कहा:
“अगर हम लड़कियां सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जीना चाहती हैं, तो राखी जैसी महिलाओं का समर्थन करना होगा। यह लड़ाई आने वाली पीढ़ी के लिए है।”
भविष्य की चेतावनी
राखी ने साफ कहा है कि अगर उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो वे अपना अनशन और तेज़ करेंगी।
“मैं पीछे नहीं हटूंगी। अगर मेरी जान भी चली जाए, तो यह लड़ाई अधूरी नहीं रहेगी। यह आंदोलन महिलाओं की आवाज़ बनकर आगे बढ़ेगा।”
राखी पहलवान का यह आंदोलन केवल व्यक्तिगत जद्दोजहद नहीं, बल्कि संपूर्ण देश की महिलाओं की आवाज़ है, जिन्हें आज भी न्याय और सम्मान पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
यह धरना और आमरण अनशन समाज और सरकार दोनों को संदेश देता है कि महिलाएं अब चुप नहीं रहेंगी और न्याय और सम्मान की मांग के लिए सड़कों पर उतरने को तैयार हैं।