AIN NEWS 1: जान ले अगर आप भी अपने घर से दूर कहीं भी किसी किराए के मकान में रहते हैं या फिर आपने अपनी किसी प्रॉपर्टी को किराये पर दे रखा है तो ये खबर आपके लिए बेहद काम की है. दरअसर इन दोनों की स्थिति में रेंट एग्रीमेंट कराना आपका बेहद जरूरी है. बता दें किरायानामा यानी Rental Agreement का मतलब होता है कि जब भी कोई व्यक्ति अपना मकान या किसी तरह की किसी प्रॉपर्टी को किसी को रेंट (किराये) पर देता है. जिसके बाद उसके और उस किरायेदार के बीच हुई क़ानूनी कार्यवाही को ही रेंट एग्रीमेंट यानी किरायानामा कहा जाता है. यह केवल भविष्य के आपसी विवादों से बचने के लिए दोनों पक्षों की ओर से पूरा किया जाने वाला एक बहुत अहम डाक्यूमेंट है.अब आप पूछेंगे कि क्या ये रेंट एग्रीमेंट भी अलग-अलग होते हैं? तो जान ले हां ये अलग अलग होते है. और आज हम इन्हीं के बारे में आपको पूरी जानकारी देने की कोशिश करने जा रहे हैं. किराये पर संपत्ति देते समय यदि यह पट्टा 11 महीने से अधिक का है तो रेंट एग्रीमेंट पंजीकृत या नोटरी की मुहर वाला होना आवश्यक है. हालांकि, अगर संपत्ति 11 महीने से कम समय के लिए किराए पर दी जाती है तो इस समझौते को नजरअंदाज किया जा सकता है.आज के इस ऐसे दौर में जब किरायेदारों को लेकर विवाद तेजी से बढ़ रहे हैं, इसलिए रेंट/लीज एग्रीमेंट कराना आपके लिए बेहद जरूरी है. एक बार जब दोनों पार्टियां ही समझौते में लिखे नियमों और शर्तों पर सहमत हो जाते हैं, तो बिना उन दोनों की आपसी सहमति के बिना इसे बदला नहीं जा सकता. रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर करने से भविष्य के विवादों को लेकर दोनों ही पार्टियों के हित काफ़ी हद तक सुरक्षित हो जाते हैं.
जाने इनमे सेफ क्या है रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट या नोटरीकृत कौन सा है बेहतर
1.नोटरीकृत रेंट एग्रीमेंट
नोटरीकृत एग्रीमेंट एक सार्वजनिक नोटरी द्वारा हस्ताक्षरित एक स्टाम्प पेपर पर मुद्रित किया गया रेंट एग्रीमेंट है. भारत में, सार्वजनिक नोटरी प्रमुख रूप से एक वकील और अधिवक्ता हैं. नोटरीकृत एग्रीमेंट के मामले में, नोटरी दोनों पक्षों की पहचान और दस्तावेजों की पूरी पुष्टि करता है. दोनों पक्षों (मालिक के साथ साथ किरायेदार) को इस प्रक्रिया के लिए नोटरी के सामने ही पेश होना होगा. एक नोटरीकृत एग्रीमेंट रजिस्टर्ड एग्रीमेंट की तुलना में बहुत ही सरल है क्योंकि यह केवल वकील के कार्यालय में जाकर आसानी से किया जा सकता है, और इसके लिए किसी भी स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क का आपकों भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होती है. वकील द्वारा नोटरी के लिए केवल एक तय शुल्क लिया जाता है जो आमतौर पर इलाके के अनुसार 200 रुपये से 500 रुपये तक होता है. हालांकि, यह ध्यान दिया जाना बहुत जरूरी है कि किसी भी कानूनी कार्यवाही के मामले में, नोटरीकृत एग्रीमेंट कोर्ट में स्वीकार्य बिलकुल नहीं होता, क्योंकि यह किराये के लेनदेन को मान्य ही नहीं करता है.
2.रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट
रेंटल एग्रीमेंट मौखिक, लिखित या निहित भी हो सकता है. हालांकि, लिखित समझौता यह बताता है कि दोनों पक्ष आपस में किन नियमों और शर्तों पर एक दूसरे से सहमत हुए हैं और असहमति के मामले में यह एक सबूत का काम करता है. रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट एक स्टाम्प पेपर पर मुद्रित और क्षेत्र के उप पंजीयक के साथ मे ही पंजीकृत एक किराया समझौता है. कुछ शहर/राज्य ऐसे दस्तावेजों के ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा भी प्रदान करते हैं. रेंटल एग्रीमेंट रजिस्टर कराने का और एक अहम फायदा है कि यह कानूनी सबूत के तौर पर पूरी तरह से काम करता है और भविष्य में किसी भी कानूनी विवाद से मकान मालिक को पूरी तरह बचाता है. और यदि रेंट एग्रीमेंट रजिस्टर्ड नहीं है, तो केंद्र सरकार के साथ साथ विभिन्न राज्य सरकारों के रेंट कंट्रोल एक्ट के प्रावधान लागू ही नहीं होते हैं. अगर 11 महीने से ज्यादा वक्त के लिए किरायेदार को संपत्ति देनी है तो सारी प्रॉपर्टीज को रजिस्टर एग्रीमेंट कराना होगा. 11 महीने से कम के लिए एग्रीमेंट में रजिस्ट्रेशन की कोई ख़ास जरूरत नहीं है.