स्लिप डिस्क: आज की जीवनशैली की एक बड़ी समस्या
AIN NEWS 1: आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी, घंटों तक ऑफिस में बैठे रहना और व्यायाम की कमी हमारी रीढ़ की हड्डी (Spine) के लिए खतरे की घंटी बन चुकी है। इन्हीं कारणों से एक गंभीर लेकिन आम होती जा रही समस्या है स्लिप डिस्क (Slipped Disc)। यह समस्या न केवल मध्यम आयु वर्ग बल्कि युवाओं और बुजुर्गों को भी प्रभावित कर रही है।
आयुर्वेद में इसे कटिग्रह या कटिशूल जैसी स्थितियों से जोड़ा जाता है। अच्छी बात यह है कि सही समय पर इलाज और जीवनशैली में बदलाव करके इसे काफी हद तक काबू में लाया जा सकता है। आइए समझते हैं कि स्लिप डिस्क क्या है, क्यों होती है और इसके कौन-कौन से असरदार इलाज मौजूद हैं।
स्लिप डिस्क क्या होती है?
हमारी रीढ़ की हड्डी 33 कशेरुकाओं (Vertebrae) से बनी होती है। इनके बीच एक नरम परत होती है जिसे इंटरवर्टिब्रल डिस्क कहते हैं। यह डिस्क कुशन की तरह काम करती है और झटकों को सहन करती है।
जब यह डिस्क अपनी जगह से खिसक जाती है या दब जाती है, तो नसों पर दबाव पड़ता है। इसी स्थिति को स्लिप डिस्क कहा जाता है।
साधारण भाषा में:
डिस्क खिसकने पर नसों पर दबाव पड़ता है।
इससे पीठ या पैरों में तेज दर्द, झनझनाहट और कमजोरी महसूस हो सकती है।
स्लिप डिस्क होने के प्रमुख कारण
1. लंबे समय तक बैठना – ऑफिस वर्क या लगातार स्क्रीन पर काम करने से।
2. गलत तरीके से भारी सामान उठाना – कमर से झुककर वजन उठाना सबसे आम कारण है।
3. बढ़ती उम्र – जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, डिस्क कमजोर हो जाती है।
4. मोटापा – ज्यादा वजन रीढ़ पर अतिरिक्त दबाव डालता है।
5. चोट या झटका लगना – रीढ़ पर चोट लगने से भी डिस्क खिसक सकती है।
6. व्यायाम और मांसपेशियों की कमजोरी – शरीर की लचक और ताकत कम होना।
स्लिप डिस्क के लक्षण
पीठ के निचले हिस्से (Lower Back) में तेज दर्द।
दर्द का पैरों तक फैल जाना।
झनझनाहट, सुन्नपन या कमजोरी।
लंबे समय तक बैठने या खड़े रहने में दिक्कत।
हल्की गतिविधि करने पर भी दर्द बढ़ जाना।
स्लिप डिस्क का इलाज – कौन से उपाय हैं असरदार?
1. फिजियोथेरेपी (Physiotherapy)
फिजियोथेरेपी स्लिप डिस्क का सबसे असरदार और सुरक्षित इलाज माना जाता है।
रीढ़ की खिंचाव (Traction) से नसों पर दबाव कम किया जाता है।
गर्म सिकाई और इलेक्ट्रिकल थेरेपी दर्द को घटाते हैं।
विशेष व्यायाम मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं।
2. आयुर्वेदिक पंचकर्म
आयुर्वेद स्लिप डिस्क को प्राकृतिक तरीके से ठीक करने पर जोर देता है।
कटी बस्ती: पीठ पर गर्म औषधीय तेल रखा जाता है।
अभ्यंग और स्वेदन: मालिश और भाप से नसों को आराम मिलता है।
ये प्रक्रियाएं सूजन कम करती हैं और दर्द को नियंत्रित करती हैं।
3. योग और प्राणायाम
योग रीढ़ को लचीला और मजबूत बनाए रखने का सबसे आसान उपाय है।
भुजंगासन, मकरासन और शवासन रीढ़ पर दबाव कम करते हैं।
अनुलोम-विलोम और भ्रामरी नसों और मांसपेशियों को ऑक्सीजन देते हैं और तनाव घटाते हैं।
4. आधुनिक इलाज
शुरुआती चरण में डॉक्टर पेनकिलर (NSAID) और मसल रिलैक्सेंट देते हैं।
गंभीर दर्द की स्थिति में स्टेरॉयड इंजेक्शन लगाए जाते हैं।
अगर डिस्क बहुत ज्यादा खिसक जाए और नस पर दबाव बना रहे तो सर्जरी (जैसे Microdiscectomy या Endoscopic Surgery) की जरूरत पड़ सकती है।
5. घरेलू नुस्खे
गर्म सिकाई – दिन में 2-3 बार करें।
हल्की स्ट्रेचिंग – सुबह और शाम नियमित करें।
आयुर्वेदिक तेल मालिश – महा नारायण तेल या दशमूल तेल लाभकारी हैं।
हल्का भोजन – कब्ज़ और पेट की समस्या से बचें, ताकि दबाव कम हो।
जीवनशैली में बदलाव – रोकथाम सबसे बड़ा इलाज
लंबे समय तक एक ही पोज़िशन में न बैठें, हर 30 मिनट पर उठकर चलें।
झुककर वजन न उठाएं, हमेशा घुटनों को मोड़कर उठाएं।
वजन को नियंत्रित रखें।
नियमित योग, वॉक और हल्के व्यायाम को जीवन का हिस्सा बनाएं।
स्लिप डिस्क एक गंभीर समस्या है लेकिन समय रहते पहचान और सही इलाज से इसे पूरी तरह काबू में लाया जा सकता है। फिजियोथेरेपी, योग, आयुर्वेदिक उपचार और सही आदतें अपनाने से सर्जरी की जरूरत अक्सर नहीं पड़ती।
याद रखें:
सही बैठने-उठने की आदतें,
नियमित व्यायाम,
और संतुलित जीवनशैली ही रीढ़ की असली सुरक्षा कवच हैं।
Slipped disc, also known as herniated disc, has become a common spine health issue due to modern lifestyle habits like prolonged sitting and lack of exercise. Understanding slipped disc causes, symptoms, and effective treatment options such as physiotherapy, Ayurvedic remedies, yoga, and home remedies can help prevent surgery and ensure long-term spine health. Regular exercise, weight management, and proper posture are the key to managing and preventing slipped disc naturally.