Wednesday, October 16, 2024

बहराइच में दंगाइयों से निपटने वाली एसपी वृंदा शुक्ला की कहानी?

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AIN NEWS 1 बहराइच, उत्तर प्रदेश: बहराइच में हाल ही में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई हिंसा के बाद, पुलिस अधीक्षक (SP) आईपीएस वृंदा शुक्ला की कार्रवाई सुर्खियों में आ गई है। उन्होंने दंगाइयों से निपटने के लिए खुद सड़कों पर उतरकर मोर्चा संभाला, जिससे उनके साहस और नेतृत्व की चर्चा पूरे राज्य में हो रही है।

वृंदा शुक्ला का परिचय

वृंदा शुक्ला का जन्म 13 मार्च 1989 को हरियाणा के पंचकूला में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा वहीं प्राप्त की, इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए पुणे के महिंद्रा यूनाइटेड वर्ल्ड कॉलेज ऑफ इंडिया में दाखिला लिया। उन्होंने अर्थशास्त्र, अंतरराष्ट्रीय अध्ययन और फ्रेंच साहित्य में ग्रेजुएशन किया। आगे की पढ़ाई के लिए वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और सोशल साइंस गईं, जहाँ से उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की।

सिविल सेवाओं की तैयारी

ग्रेजुएशन के बाद, वृंदा शुक्ला ने अमेरिका में एक निजी कंपनी में काम किया, लेकिन उन्हें प्राइवेट नौकरी में संतोष नहीं मिला। इसीलिए उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा की तैयारी शुरू की। पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली, लेकिन दूसरे प्रयास में उन्होंने न केवल परीक्षा पास की, बल्कि आईपीएस कैडर भी हासिल किया। 22 दिसंबर 2014 को उन्होंने पुलिस सेवा में कदम रखा।

कैरियर की शुरुआत

शुरुआत में उन्हें नागालैंड कैडर मिला, लेकिन 2022 में उन्हें यूपी कैडर में स्थानांतरित कर दिया गया। यूपी पुलिस की वेबसाइट के अनुसार, उनका आईपीएस पद के लिए कन्फर्मेशन 22 दिसंबर 2018 को हुआ।

मुख्तार अंसारी की बहू की गिरफ्तारी

वृंदा शुक्ला ने 2023 में कुख्यात अपराधी मुख्तार अंसारी की बहू निखत को गिरफ्तार करके भी सुर्खियां बटोरी थीं। चित्रकूट में एसपी रहते हुए, उन्होंने जेल का औचक निरीक्षण किया, जहां निखत बिना अनुमति के मोबाइल लेकर आती थीं। इस मामले ने उस समय काफी चर्चा बटोरी थी।

बहराइच में हिंसा की घटना

हाल ही में बहराइच में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई हिंसा के बाद, एसपी वृंदा शुक्ला ने खुद सड़कों पर उतरकर स्थिति को नियंत्रित किया। उनकी सक्रियता और निर्णायक कदमों के कारण स्थानीय लोगों में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ा है। उन्होंने दंगाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की और स्थिति को जल्द ही सामान्य कर दिया।

वृंदा शुक्ला की ये कार्रवाइयां न केवल उनकी प्रोफेशनलिज़्म को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि वह अपने कर्तव्यों के प्रति कितनी गंभीर हैं। उनकी कहानी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है और यह दर्शाती है कि मजबूत नेतृत्व और प्रतिबद्धता से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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