Wednesday, November 27, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों की AGR बकाया राशि के लिए सुधार याचिकाएँ खारिज की?

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AIN NEWS 1 दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों द्वारा दायर की गई सुधार याचिकाएँ खारिज कर दी हैं। कंपनियों ने आरोप लगाया था कि उनके द्वारा देय समायोजित सकल राजस्व (AGR) की गणना में कुछ त्रुटियाँ हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “सुधार याचिकाओं को खुली अदालत में सूचीबद्ध करने के लिए आवेदन खारिज किया जाता है। हमने सुधार याचिकाओं और संबंधित दस्तावेजों की समीक्षा की है। हमारे अनुसार, कोर्ट के पहले के निर्णयों के तहत कोई मामला नहीं बनता है। सुधार याचिकाएँ खारिज की जाती हैं।” यह आदेश 30 अगस्त को दिया गया।

AGR का मामला क्या है?

समायोजित सकल राजस्व (AGR) का मामला भारतीय टेलीकॉम क्षेत्र में महत्वपूर्ण है। यह वह राशि है जो टेलीकॉम कंपनियों को केंद्रीय सरकार को विभिन्न सेवाओं के लिए भुगतान करनी होती है। इसमें कॉलिंग, डेटा सेवाएं और अन्य टेलीकॉम सेवाएँ शामिल हैं। इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2020 में कंपनियों को अपनी बकाया AGR राशि चुकाने के लिए 10 वर्षों का समय दिया था। इसमें हर साल 10 प्रतिशत भुगतान करना आवश्यक था।

टेलीकॉम कंपनियों की चिंता

टेलीकॉम कंपनियाँ, जैसे कि भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो, AGR बकाया को लेकर पहले ही कई बार अदालत का दरवाजा खटखटा चुकी हैं। उनका आरोप है कि AGR की गणना में कुछ गलतियाँ हुई हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। कंपनियाँ इन बकाया राशि को चुकाने के लिए विभिन्न उपायों पर विचार कर रही थीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताजा निर्णय से उनकी चिंताएँ बढ़ गई हैं।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सुधार याचिकाएँ खारिज करने का निर्णय अंतिम है। इससे यह संकेत मिलता है कि कोर्ट AGR की गणना में कोई त्रुटि नहीं मानती है। यह टेलीकॉम कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण झटका है, क्योंकि उन्हें अब निर्धारित समय में बकाया राशि चुकाने की जिम्मेदारी पूरी करनी होगी।

भविष्य की संभावनाएँ

टेलीकॉम कंपनियों के सामने अब चुनौती यह है कि वे किस प्रकार से अपनी वित्तीय स्थिति को सुधारें और बकाया AGR राशि को समय पर चुकाएँ। कंपनियों को निवेशकों और बाजार की उम्मीदों को भी ध्यान में रखते हुए अपने व्यापार मॉडल में बदलाव करना पड़ सकता है।

कुल मिलाकर, सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय टेलीकॉम क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, और इसके दूरगामी प्रभाव होंगे।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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