AIN NEWS 1: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के उस निर्णय को खारिज कर दिया, जिसमें एद-टेक कंपनी बायजूस के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया को समाप्त किया गया था। यह निर्णय उस समय लिया गया जब बायजूस ने भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) के साथ 158 करोड़ रुपये के एक समझौते को स्वीकार किया था।
मामला और निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 158 करोड़ रुपये की राशि को ऋणदाताओं के समिति के एस्क्रो खाता में जमा किया जाएगा और यह राशि उन्हीं के द्वारा बनाए रखी जाएगी। इस मामले में, बायजूस ने BCCI के साथ अपनी बकाया राशि के निपटारे के लिए यह समझौता किया था।
दिवाला प्रक्रिया का महत्व
दिवाला प्रक्रिया एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से कंपनियां अपने वित्तीय संकट का समाधान करती हैं। NCLAT के पहले के निर्णय ने बायजूस के दिवाला मामले को समाप्त कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस नए निर्णय ने इसे फिर से सक्रिय कर दिया है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि कंपनी के वित्तीय दायित्वों का निपटारा करना आवश्यक है और इसे उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत ही किया जाना चाहिए।
आगे की राह
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद, अब बायजूस को ऋणदाताओं के समिति के साथ मिलकर अपनी वित्तीय स्थिति को सुधारने का प्रयास करना होगा। इस निर्णय से यह संकेत मिलता है कि बायजूस की जिम्मेदारियां समाप्त नहीं हुई हैं और उसे अपने दायित्वों का पालन करना होगा।
निष्कर्ष
इस मामले ने यह दिखाया है कि उच्चतम न्यायालय वित्तीय अनुशासन को बनाए रखने के लिए सक्रिय है। बायजूस के मामले में यह निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कंपनी को अपने वित्तीय दायित्वों का समुचित निपटारा करना होगा। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल बायजूस के लिए बल्कि अन्य कंपनियों के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत करता है कि दिवाला प्रक्रिया को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
इस प्रकार, बायजूस का मामला आगे बढ़ता रहेगा और इसके परिणाम से कई कंपनियों को सीखने को मिलेगा।