Powered by : PIDIT KO NYAY ( RNI - UPBIL/25/A1914)

spot_imgspot_img

प्रधानमंत्री पद को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज का बयान: “राहुल और राजा नहीं बनते, जनता तय करती है”

spot_img

Date:

AIN NEWS 1 | जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने प्रधानमंत्री पद को लेकर एक स्पष्ट और महत्वपूर्ण बयान दिया है। मीडिया से बातचीत में महाराज ने कहा कि प्रधानमंत्री वही बनता है जिसे जनता चुनती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी व्यक्ति को उसके परिवार, नाम या संबंधों के आधार पर प्रधानमंत्री नहीं बनाया जा सकता। “राहुल और राजा नहीं बनता है। जनता जिसको सही समझती है, वही प्रधानमंत्री बनता है,” स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस अवसर पर राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता की भूमिका सर्वोपरि होती है। केवल परिवार के नाम, राजनीतिक दबाव या शाही प्रतिष्ठा से किसी को पद नहीं मिलता। प्रधानमंत्री बनने के लिए जनता का विश्वास और समर्थन जरूरी होता है।

साधुओं में विवाद की स्थिति पर महाराज की राय

मुंबई में जब उनसे यह पूछा गया कि हिंदू संतों के बीच अक्सर विवाद और आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति क्यों बनती है, तो महाराज ने इसे भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि साधुओं में कोई वास्तविक विवाद नहीं होता। साधु नियमित रूप से चर्चा और शास्त्रार्थ करते रहते हैं। यह एक तरह का अभ्यास है, जिससे उनकी तर्कशक्ति और समझदारी बढ़ती है।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने उदाहरण देते हुए कहा, “अगर आप सेना में जाएँ, तो वहां रोज शस्त्राभ्यास होता है, लेकिन असली लड़ाई कम ही होती है। इसी तरह साधुओं के बीच होने वाले शास्त्रार्थ भी अभ्यास के समान हैं। इसमें कोई वास्तविक युद्ध नहीं होता। यह केवल हमारी बुद्धि और तर्कशक्ति को मजबूत करने का तरीका है।”

“तरकश के तीरों को परखना पड़ता है”

महाराज ने आगे कहा कि साधुओं के बीच की चर्चाएं और बहसें इस बात का अभ्यास हैं कि भविष्य में किसी विरोधी के सामने कैसे उत्तर दिया जाए। “अगर हम आपस में लड़-लड़कर तर्कों को परखकर नहीं रखेंगे, तो विरोधियों के सवालों का जवाब नहीं दे पाएंगे। तरकश के तीरों को परखकर रखना जरूरी है। यह युद्धाभ्यास जैसा है। यही हमारी तैयारी है,” उन्होंने स्पष्ट किया।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का यह दृष्टिकोण यह बताता है कि बाहरी दुनिया में किसी प्रकार की चुनौती या विवाद के सामने सही और तर्कसंगत निर्णय लेने के लिए साधुओं के बीच यह अभ्यास अनिवार्य है। यह केवल साधु समुदाय में ही नहीं, बल्कि किसी भी समूह या संगठन के लिए सीखने और मजबूत बनने का तरीका हो सकता है।

लोकतंत्र और जनता का महत्व

महाराज ने लोकतंत्र में जनता की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी पद, चाहे वह प्रधानमंत्री हो या अन्य उच्च पद, को केवल योग्यता, ईमानदारी और जनता के विश्वास के आधार पर ही तय किया जाना चाहिए। “जनता की समझ और चयन सबसे महत्वपूर्ण है। परिवार या संबंध किसी को पद देने का आधार नहीं बन सकते,” स्वामी ने कहा।

यह दृष्टिकोण वर्तमान राजनीतिक परिवेश में बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में लोकतंत्र का मूल आधार यही है कि जनता अपनी समझ और प्राथमिकताओं के आधार पर नेतृत्व चुनती है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का यह संदेश आम जनता और नेताओं दोनों के लिए शिक्षाप्रद है।

साधु समुदाय में शास्त्रार्थ और बहस की भूमिका

स्वामी महाराज ने बताया कि साधु समुदाय में बहसें और शास्त्रार्थ केवल बौद्धिक और आध्यात्मिक अभ्यास हैं। यह बाहरी संघर्ष या विवाद से बिल्कुल अलग हैं। “हम रोज शास्त्रार्थ करते रहते हैं। इससे हमारी समझ बढ़ती है और हम किसी भी विवाद या चुनौती का सामना करने में सक्षम होते हैं। इसे विवाद मत समझिए, यह केवल तैयारी है,” उन्होंने कहा।

इस दृष्टिकोण से यह स्पष्ट होता है कि साधु समुदाय में बहस और चर्चाएं एक तरह का आंतरिक प्रशिक्षण हैं। इससे साधु न केवल अपने ज्ञान को बढ़ाते हैं, बल्कि भविष्य में समाज और धार्मिक मामलों में निर्णायक भूमिका निभाने के लिए तैयार रहते हैं।

महाराज का संदेश

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का मुख्य संदेश यह है कि किसी भी समुदाय या संगठन में तर्क और विचार विमर्श आवश्यक हैं। ये केवल व्यक्तिगत संघर्ष नहीं हैं, बल्कि एक दूसरे की सोच को समझने और मजबूत बनने का तरीका हैं। इसके अलावा, लोकतंत्र में जनता की भूमिका सर्वोपरि है। प्रधानमंत्री या किसी भी उच्च पद का चयन जनता की समझ, विश्वास और पसंद के आधार पर होना चाहिए।

महाराज ने यह भी जोर दिया कि बाहरी दुनिया में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए आंतरिक चर्चा और अभ्यास आवश्यक है। यह सभी साधु समुदाय के लिए सीखने और मजबूत बनने का तरीका है।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने अपने बयान में लोकतंत्र, साधु समुदाय में शास्त्रार्थ, और जनता की भूमिका पर गहरा प्रकाश डाला। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री वही बनता है जिसे जनता चुनती है। साधुओं के बीच होने वाली बहसें केवल तर्कशक्ति और बुद्धि को मजबूत करने का अभ्यास हैं। यह दृष्टिकोण सभी के लिए प्रेरणादायक है, क्योंकि यह दिखाता है कि ज्ञान, अभ्यास और जनता का विश्वास किसी भी पद या जिम्मेदारी के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं।

spot_img
spot_imgspot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_imgspot_img

Share post:

New Delhi
haze
22.1 ° C
22.1 °
22.1 °
73 %
1kmh
0 %
Tue
33 °
Wed
33 °
Thu
33 °
Fri
33 °
Sat
32 °
Video thumbnail
हिंदी विरोधियों को तालिबानी मुत्तकी ने हिंदी में भाषण देकर चौंकाया, US-NATO भी हैरान !
21:34
Video thumbnail
कट्टरपंथी धमकी देते रह गए, उधर मुस्लिम परिवार को सम्मानित कर CM Yogi ने खेल पलट दिया !
07:59
Video thumbnail
किसानों के सामने PM Modi Congress की उधेड़ी बखियां,सुनकर पूरा देश हैरान रह गए !PM Modi Full Speech
29:36
Video thumbnail
Mayawati Lucknow Rally: मायावती ने मंच से बिना नाम लिए Chandrashekhar Azad को लताड़ा | BSP
08:16
Video thumbnail
‘वो कौन था..पाकिस्तान पर हमला करने से किसने रोका…’ पीएम मोदी ने मुंबई हमले पर कांग्रेस को लपेटा
10:02
Video thumbnail
PM Modi ने Marathi में ऐसा क्या कह दिया सुनते ही सामने बैठी जनता बावली हो गई ! Mumbai | Maharashtra
08:21
Video thumbnail
'रामायण काल फिर से आएगा...' CM Yogi के सनातनी ऐलान से पूरे विपक्ष में मची खलबली ! Lucknow |
21:20
Video thumbnail
PM Modi ने कभी सोचा नहीं होगा Varanasi पहुंकर ये बोल देंगे CM Yogi! UP News | Latest News |
20:19
Video thumbnail
सामने थी लाखों की भीड़! भयंकर गुस्से में Amit Shah ने ठाकरे परिवार को करारा जवाब दिया | Maharashtra
19:56
Video thumbnail
'सोनिया गांधी ने ही मना किया था'Sambit Patra ने सबके सामने बेनकाब कर दिया ! Bhubaneswar | Odisha
08:53

Subscribe

spot_img
spot_imgspot_img

Popular

spot_img

More like this
Related