Thackeray Brothers Unite: New Twist in Maharashtra Politics Amid Language Controversy
ठाकरे भाइयों की एकता से महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल, राज ठाकरे बोले- ‘त्रिभाषा सूत्र बच्चों पर जबरदस्ती है’
AIN NEWS 1: महाराष्ट्र की राजनीति में आज एक अहम तस्वीर देखने को मिली, जिस पर काफी समय से अटकलें लगाई जा रही थीं। लंबे समय बाद शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे एक ही मंच पर नजर आए। दोनों भाइयों की यह एकता सिर्फ एक फोटो के तौर पर नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की सियासत में एक संभावित बड़े बदलाव का संकेत बनकर सामने आई है।
कार्यक्रम के दौरान राज ठाकरे ने खुलकर सरकार की ‘त्रिभाषा नीति’ पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “ये त्रिभाषा सूत्र कहां से लेकर आए हो? क्या छोटे-छोटे बच्चों पर जबरदस्ती करोगे? महाराष्ट्र को कोई तिरछी नजर से नहीं देखेगा।” राज का यह बयान न सिर्फ भाषा को लेकर उठ रहे विवादों पर तीखी प्रतिक्रिया थी, बल्कि यह सत्ता पक्ष को दी गई एक सख्त चेतावनी भी मानी जा रही है।
राजनीतिक गलियारों में ठाकरे भाइयों की एकजुटता को लेकर पहले भी चर्चाएं चलती रही हैं, लेकिन अब जबकि दोनों एक साथ सार्वजनिक मंच पर आए हैं, यह सवाल तेज़ हो गया है—क्या महाराष्ट्र में एक नया सियासी समीकरण बन रहा है? क्या यह एकता विपक्ष को एक नई मजबूती देने वाली है?
लोगों की प्रतिक्रिया भी अब इस मुद्दे पर बंट गई है। कोई मानता है कि ठाकरे भाइयों का साथ आना बीजेपी और मौजूदा सरकार के लिए चुनौती बन सकता है, तो कुछ का कहना है कि जनता अब इन सब सियासी मेलों पर ज्यादा विश्वास नहीं करती।
भाषा नीति को लेकर हाल ही में महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘त्रिभाषा सूत्र’ में मराठी, हिंदी और अंग्रेजी को शामिल किया गया है। विपक्ष का आरोप है कि यह निर्णय जबरदस्ती थोपा जा रहा है, और इससे बच्चों पर अनावश्यक बोझ डाला जा रहा है। राज ठाकरे के इस मुद्दे को मंच से उठाने के बाद यह साफ है कि आने वाले समय में यह मसला और गर्माने वाला है।
वहीं, उद्धव ठाकरे ने इस मौके पर ज्यादा कुछ नहीं कहा, लेकिन दोनों का एकसाथ दिखना ही अपने आप में एक राजनीतिक संदेश था। जानकारों का मानना है कि यह एक रणनीतिक कदम हो सकता है, जो आगामी चुनावों से पहले महाराष्ट्र की राजनीतिक दिशा को पूरी तरह बदल सकता है।
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In a major development in Maharashtra politics, Uddhav Thackeray and Raj Thackeray appeared together on the same stage after years, raising speculation about the future of political alliances in the state. Raj Thackeray openly criticized the newly proposed trilingual formula, calling it an imposition on children. This historic show of unity between the Thackeray brothers could mark a significant shift in Maharashtra’s political landscape and opposition dynamics.