AIN NEWS 1: भाजपा के भीतर 2024 के चुनावों के बाद जो कलह मची है, उसका मुख्य फोकस उत्तर प्रदेश पर रहा है। हालांकि, महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा जैसे राज्यों में भी भाजपा की हार ने बगावती स्वर उठाए हैं, लेकिन गोदी मीडिया ने पूरी कोशिश की है कि ध्यान उत्तर प्रदेश पर केंद्रित रहे ताकि मोदी सरकार की आलोचना से बचा जा सके।
गुजरात लॉबी ने अच्छी तरह समझ लिया था कि संघ की अनुमति के बिना योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश से नहीं हटाया जा सकता। फिर भी, कई प्रयास किए गए—विधायकों की बड़ी संख्या तैयार की गई और दिल्ली बुलाकर दबाव बनाने का प्रयास किया गया, लेकिन सब नाकाम रहे। योगी आदित्यनाथ ने साबित कर दिया कि वह अकेले सब पर भारी हैं।
योगी आदित्यनाथ 2017 से गुजरात लॉबी के निशाने पर रहे हैं, लेकिन संघ के समर्थन के कारण उनकी स्थिति सुरक्षित रही। 2022 के चुनावों में भाजपा की सीटें घटने के बावजूद गुजरात लॉबी ने योगी आदित्यनाथ को हटाने का प्रयास नहीं किया, क्योंकि 2024 के चुनावों की रणनीति पर ध्यान केंद्रित था। मोदी जी ने खुद माना कि योगी जी उपयोगी हैं।
गुजरात लॉबी ने पिछले सात वर्षों से योगी आदित्यनाथ पर तलवार लटकाए रखी। 2014 के बाद भाजपा की सीटें घटती गईं, और गुजरात लॉबी ने उत्तर प्रदेश को भी अपने प्रदेशों की तरह समझने की कोशिश की। हालांकि, उत्तर प्रदेश में दो प्रमुख नेताओं ने उनकी योजनाओं को विफल कर दिया। एक को बी टीम बना लिया गया, जबकि योगी आदित्यनाथ ने भाजपा को 2024 में बड़ा नुकसान पहुंचाया।
भाजपा ने महाराष्ट्र, बंगाल, कर्नाटक, तेलंगाना, राजस्थान, और हरियाणा में सीटें गंवाई हैं। इस स्थिति में उत्तर प्रदेश की हार पर इतना बवाल क्यों मचाया गया? इसका कारण मोदी जी की छवि और उनकी गारंटी का विफल होना है। भाजपा ने पहले एनडीए की बैठक बुलाकर खुद को नेता घोषित किया और असंतुष्टों की आवाज को दबाने के लिए योगी आदित्यनाथ को निशाना बनाया।
हाल ही में अफवाहें थीं कि योगी आदित्यनाथ इस्तीफा देंगे और केशव प्रसाद मौर्य मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली आते ही संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की और अपनी रणनीति बनाई। नीति आयोग की मीटिंग में उन्होंने ठसक के साथ भाग लिया और भाजपा के मुख्यमंत्रीयों की बैठक में भी अपनी स्थिति मजबूत की।
योगी आदित्यनाथ अब अपने हिसाब से उत्तर प्रदेश को चलाएंगे और मंत्रीमंडल में विस्तार की तैयारी कर रहे हैं। चर्चा है कि लक्ष्मी कांत वाजपेई और स्वतंत्र देव सिंह को मंत्री बनाया जा सकता है। भाजपा की इस गुटबाजी से पार्टी को नुकसान हो सकता है, और राजस्थान में भी हलचल है। नितीश कुमार ने झारखंड चुनावों में 11 सीटों की मांग की है, और बीजू पटनायक व जगन मोहन रेड्डी ने एनडीए का साथ छोड़ने की बात की है।
भाजपा अब लोकसभा और राज्यसभा में अल्पमत में आ गई है। गुजरात लॉबी अब भी अपने तरीके से सरकार और संगठन को चलाना चाहती है, लेकिन संघ के समर्थन से योगी आदित्यनाथ ने गुजरात लॉबी को पटखनी दी है। राजनीति में कभी किसी की बली ले ली जाती है, और यह कहना मुश्किल है कि कब कौन प्रमुख बन जाए।