नेताजी और सरकारी अधिकारी की कुर्सी की लड़ाई अब ख़त्म आगे नेताजी पीछे बैठेंगे सरकारी अधिकारी… मुख्य सचिव का आया आदेश!

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AIN NEWS 1 लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब किसी भी सरकारी कार्यक्रम में नेताजी और सरकारी अधिकारी के बीच में कुर्सी की कोई लड़ाई नहीं होगी। सभी सरकारी कार्यक्रमों को लेकर एक प्रोटोकॉल जारी कर दिया गया है। होने वाले किसी भी सरकारी कार्यक्रमों में जन प्रतिनिधि अब आगे की पंक्ति में और सरकारी अधिकारी उनके पीछे की लाइन में ही बैठेंगे। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने ही शुक्रवार को प्रदेश मुख्यालय और जिला स्तर पर अयोजित की जाने वाली बैठकों, आयोजनों में भी जनप्रतिनिधियों के बैठने के स्थान, किसी सरकारी कार्यक्रमों में उन्हें आमंत्रित किए जाने और विज्ञापनों व शिलापट्टों पर भी उनका नाम अंकित किए जाने के संबंध में अब प्रोटोकॉल से संबंधित शासनादेश भी जारी किया। इस शासनादेश के मुताबिक ऐसे सभी कार्यक्रम जो प्रदेश मुख्यालय या जिला मुख्यालय पर ही होंगे और जिनमें मुख्यमंत्री भी मौजूद रहेंगे, उनमें मंच की अग्रिम पंक्ति में केवल सांसद और विधामंडल के सदस्य ही बैठेंगे।सरकार के स्तर पर आयोजित ऐसी सभी बैठकों या आयोजनों में अगर जनप्रतिनिधियों की संख्या कुछ ज्यादा होती है तो उन्हें दूसरी, तीसरी पंक्ति में ही बैठाया जा सकता है। इसमें केवल मुख्य सचिव या जिस भी विभाग के का ये कार्यक्रम है, उसके ही अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव या सचिव मंच की अग्रिम पंक्ति में आराम से बैठ सकते हैं। यह पूरा शासनादेश 14 सितंबर, 2023 को विधानसभा अध्यक्ष, विधानपरिषद के सभापति और संसदीय कार्य मंत्री की बैठक में ही जनप्रतिनिधियों के प्रोटोकॉल के संबंध में हुए निर्णयों के क्रम में भी हैं।

अब से यह होगी पूरी व्यवस्था

1.अब से शासनादेश के अनुसार किसी भी जिले की बैठक या कार्यक्रम में ही विधानपरिषद के केवल वही सदस्य आमंत्रित किए जाएंगे, जिनका नाम उस संबंधित जिले के लिए आवंटित किया गया हो।

2.किसी भी अन्य जिले में अपनी क्षेत्र विकास निधि से ही करवाया गया ऐसा काम जो मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में ही शामिल हो, तब उसके कार्यक्रम में संबंधित विधानपरिषद सदस्य को भी वहा आमंत्रित किया जाएगा और उनका नाम भी शिलापट्ट व विज्ञापन में भी दिया जाएगा।

3.अब प्रदेश मुख्यालय, जिला स्तर पर होने वाली सभी बैठकों में सांसद के दाहिनी तरफ जनप्रतिनिधि और बाईं ओर ही अधिकारी बैठेंगे।

4.अब मुख्यमंत्री के प्रदेश मुख्यालय या जिला स्तरीय किसी भी कार्यक्रमों में केवल उपस्थित होने की सहमति देने वाले उस जिले के सांसद, विधायक, एमएलए, एमएलसी के नाम ही शिलापट्ट या विज्ञापन में भी लिखे जाएंगे।

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