Sunday, November 24, 2024

इंटिमेसी सीन्स की परदे के पीछे की सच्चाई: दीपिका की असहजता से लेकर सेट पर को-ऑर्डिनेटर्स की अनकही भूमिका तक

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AIN NEWS 1 | इंटिमेट सीन्स की शूटिंग का तरीका अब फिल्मों में पूरी तरह बदल चुका है। पहले जहां दो फूलों का मिलना या दूध का उबलना जैसे प्रतीकात्मक दृश्य दिखाए जाते थे, वहीं अब वास्तविकता को दिखाने की होड़ में ये सीन्स अधिक चुनौतीपूर्ण हो गए हैं। इन सीन्स को शूट करना न केवल एक्टर्स के लिए, बल्कि डायरेक्टर्स के लिए भी कठिन हो गया है।

इंटिमेसी को-ऑर्डिनेटर की भूमिका

आज के समय में इंटिमेसी सीन्स को शूट करने के लिए इंटिमेसी को-ऑर्डिनेटर्स की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। ये को-ऑर्डिनेटर्स एक्टर्स को उनके इमोशंस पर कंट्रोल रखने, उनकी सीमाओं को समझने और सुरक्षित वातावरण में सीन्स की शूटिंग करने में मदद करते हैं। इस भूमिका के बारे में हमने देश की पहली इंटिमेसी को-ऑर्डिनेटर आस्था खन्ना, नेहा व्यासो, एक्ट्रेस-मनोचिकित्सक डॉ. अदिति गोवित्रिकर और मनोचिकित्सक डॉ. केरसी चावड़ा से बात की।

दीपिका पादुकोण का अनुभव

आस्था खन्ना ने बताया कि फिल्म गहराइयां की शूटिंग के दौरान दीपिका पादुकोण इंटिमेट सीन्स को लेकर थोड़ी असहज महसूस कर रही थीं। सेट पर कई लोग मौजूद थे, जिससे उनकी असहजता बढ़ गई। इसलिए, 4-5 लोगों को छोड़कर बाकी सभी को सेट से हटा दिया गया, यहां तक कि कैमरामैन को भी दूर से सीन रिकॉर्ड करने को कहा गया।

इंटिमेसी वर्कशॉप्स

Deepika Padukone Gehraiyaan Intimate Scene Shooting Story | Emraan Hashmi | इंटिमेट  सीन्स से पहले खास कपड़े पहनाए जाते हैं: इमोशन पर कंट्रोल के लिए वर्कशॉप होती  है; जब असहज ...

इंटिमेसी को-ऑर्डिनेटर द्वारा एक्टर्स के लिए वर्कशॉप्स आयोजित की जाती हैं, जिसमें एक्टर्स को उनकी सीमाओं और इच्छाओं के बारे में चर्चा की जाती है। इसके बाद, सीन्स को डिजाइन किया जाता है और एक्टर्स को सिखाया जाता है कि किस तरह से वे अपने भावनाओं को नियंत्रित कर सकते हैं।

इंटिमेट सीन्स की कैटेगरी

सीन्स को उनकी इंटिमेसी के स्तर के आधार पर तीन कैटेगरी (रेड, यलो, ग्रीन) में बांटा जाता है। रेड कैटेगरी में उच्च स्तर की इंटिमेसी होती है, यलो में उससे कम और ग्रीन में बहुत कम होती है। इन सीन्स के दौरान एक्टर्स को विशेष कपड़े पहनाए जाते हैं, जिसे इंटिमेसी किट कहा जाता है, और शूटिंग केवल 4-5 लोगों की मौजूदगी में की जाती है।

पुराने समय की चुनौतियां

पहले जब इंटिमेसी को-ऑर्डिनेटर्स नहीं होते थे, तो कई बार सेट पर ऐसी घटनाएं हो जाती थीं, जो एक्टर्स के लिए असहज हो जाती थीं। जैसे, डिंपल कपाड़िया को बिना बताए उनके को-स्टार ने शूटिंग के दौरान किस कर लिया था, जो स्क्रिप्ट का हिस्सा नहीं था। इसी तरह, राधिका आप्टे को उनके को-स्टार ने मजाक में गुदगुदी कर दी थी, जो स्क्रिप्ट का हिस्सा नहीं था, और उन्हें असहज कर दिया था।

आइटम सॉन्ग्स भी इंटिमेसी की कैटेगरी में

आइटम सॉन्ग्स को भी इंटिमेट सीन्स की कैटेगरी में रखा जाता है, क्योंकि इन सॉन्ग्स में भी कैमरे का फोकस अधिकतर हीरोइन के बॉडी पार्ट्स पर होता है। इस दौरान भी एक्टर्स के लिए वर्कशॉप्स आयोजित की जाती हैं ताकि वे असहज महसूस न करें।

बॉलीवुड में इंटिमेट सीन्स का इतिहास

30 के दशक से ही बॉलीवुड में इंटिमेट सीन्स दिखाए जा रहे हैं। 1929 में साइलेंट फिल्म ‘ए थ्रो ऑफ डाइस’ में किसिंग सीन दिखाया गया था। 1952 में सिनेमैटोग्राफी एक्ट के बाद इन सीन्स पर सेंसरशिप लागू हो गई थी, लेकिन 70 के दशक में राज कपूर ने इसे फिर से फिल्मों में दिखाना शुरू किया।

आज के समय में इंटिमेसी का महत्व

आजकल OTT प्लेटफॉर्म्स पर इंटिमेट सीन्स सामान्य हो गए हैं, लेकिन इंटिमेसी को-ऑर्डिनेटर्स का मानना है कि ऐसे सीन्स केवल तभी दिखाए जाने चाहिए जब वे स्क्रिप्ट की डिमांड हो। नहीं तो ये फूहड़ता का रूप ले सकते हैं और कला कहीं दबकर रह जाएगी।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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