AIN NEWS 1 | भारत और रूस के बीच व्यापार (India-Russia Trade) लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है, लेकिन इसी के साथ व्यापार असंतुलन (Trade Deficit) भी तेजी से बढ़ रहा है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) इन दिनों रूस के दौरे पर हैं। यहां उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि भारत को इस 58.9 अरब डॉलर के व्यापार घाटे को कम करने के लिए तुरंत कदम उठाने होंगे।
जयशंकर ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने भारत पर टैरिफ बढ़ाकर दबाव बनाया है, जबकि चीन को कुछ राहत दी गई है। इस पूरे घटनाक्रम ने भारत के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है।
भारत-रूस ट्रेड का ग्राफ तेज़, लेकिन घाटा और तेज़
विदेश मंत्री ने रूस में दिए अपने बयान में बताया कि भारत और रूस का द्विपक्षीय व्यापार (Bilateral Trade) पिछले कुछ सालों में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।
साल 2021 में भारत-रूस का ट्रेड 13 अरब डॉलर था।
2024-25 तक यह बढ़कर 68 अरब डॉलर हो गया।
यानी कुल व्यापार लगभग पांच गुना बढ़ गया है। लेकिन इसके साथ-साथ व्यापार घाटा भी नौ गुना बढ़ गया।
पहले भारत का रूस के साथ घाटा 6.6 अरब डॉलर था।
अब यह बढ़कर 58.9 अरब डॉलर हो गया है।
जयशंकर ने कहा कि यह स्थिति भारत के लिए लंबे समय में नुकसानदायक साबित हो सकती है और इसे ठीक करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
घाटा क्यों बढ़ रहा है?
भारत-रूस व्यापार असंतुलन की बड़ी वजह ऊर्जा क्षेत्र (Energy Sector) मानी जा रही है। रूस से भारत बड़ी मात्रा में कच्चा तेल (Crude Oil) और कोयला खरीद रहा है। वहीं, रूस भारतीय उत्पादों के आयात में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहा।
इससे हालात यह हैं कि भारत का आयात तेजी से बढ़ा है लेकिन निर्यात लगभग स्थिर रहा है।
जयशंकर ने जोर देकर कहा कि अगर इस असंतुलन को नहीं रोका गया, तो यह आने वाले वर्षों में भारतीय उद्योग और रोजगार पर नकारात्मक असर डालेगा।
जयशंकर का समाधान
विदेश मंत्री ने इस असंतुलन को कम करने के लिए कई सुझाव दिए:
टैरिफ और नॉन-टैरिफ बाधाओं को खत्म करना – ताकि दोनों देशों के व्यापारी आसानी से लेन-देन कर सकें।
लॉजिस्टिक्स और बैंकिंग चेन मजबूत करना – जिससे भुगतान और सप्लाई चेन संबंधी दिक्कतें कम हों।
भारतीय निर्यात बढ़ाना – रूस में भारतीय दवाइयां, आईटी सेवाएं, कृषि उत्पाद और मशीनरी की मांग बढ़ाने की योजना पर जोर।
2030 तक 100 अरब डॉलर का लक्ष्य – जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों ने मिलकर यह लक्ष्य तय किया है, लेकिन इसे संतुलित तरीके से हासिल करना जरूरी है।
रूस का नजरिया
रूस की ओर से भी संकेत मिले हैं कि वे इस मुद्दे पर भारत से सहयोग करने के इच्छुक हैं। रूस ने कहा है कि लॉजिस्टिक्स, बैंकिंग और फाइनेंशियल चेन को बेहतर बनाना जरूरी है। उनका मानना है कि इससे दोनों देशों को बराबर फायदा होगा और व्यापार में संतुलन लाने में मदद मिलेगी।
ट्रंप की पॉलिसी और भारत पर असर
भारत के सामने मुश्किलें और बढ़ीं जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ बढ़ाने का फैसला किया।
पहले भारत पर 25% टैरिफ लगाया गया था।
बाद में इसे बढ़ाकर 50% कर दिया गया।
ट्रंप ने कई बार भारत को चेतावनी दी थी कि रूस से तेल खरीदना अमेरिका को मंजूर नहीं है। लेकिन इसके बावजूद भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखा।
दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका और चीन दोनों ही रूस से तेल खरीदते हैं, फिर भी ट्रंप ने चीन को राहत दी लेकिन भारत पर दबाव बढ़ा दिया।
भारत की रणनीति
भारत के सामने अब दोहरी चुनौती है –
अमेरिका के बढ़े हुए टैरिफ से निर्यात प्रभावित हो रहा है।
रूस के साथ असंतुलित व्यापार घाटा बढ़ा रहा है।
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत को अब विविध व्यापार रणनीति (Diversified Trade Strategy) अपनानी होगी। यानी केवल एक या दो देशों पर निर्भर न रहकर कई देशों के साथ व्यापार बढ़ाना होगा।
लखनऊ से लेकर मास्को तक, भारत की आर्थिक और कूटनीतिक नीतियों की परीक्षा हो रही है। ट्रंप के टैरिफ और रूस के साथ असंतुलन ने भारत के लिए कठिन परिस्थिति पैदा कर दी है।
लेकिन जयशंकर का यह रुख साफ करता है कि भारत इस चुनौती से पीछे हटने वाला नहीं है। आने वाले समय में भारत-रूस व्यापार को संतुलित करना और अमेरिका की पॉलिसी से निपटना भारत की विदेश नीति की सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक होगी।



















