उम्मुल खेर की प्रेरणादायक कहानी
AIN NEWS 1: उम्मुल खेर की कहानी संघर्ष और प्रेरणा से भरी हुई है। उन्होंने बचपन से ही हड्डियों की बीमारी का सामना किया और परिवार के सहयोग के बिना भी UPSC परीक्षा पास की।
बचपन की कठिनाइयाँ
उम्मुल का बचपन राजस्थान के मारवाड़ में शुरू हुआ। रोजगार की तलाश में उनका परिवार दिल्ली आया और निजामुद्दीन की झुग्गियों में रहने लगा। उनके पिता रेहड़ी पर कपड़े बेचते थे, जिससे परिवार का गुजारा मुश्किल से चलता था।
निजामुद्दीन की झुग्गियों को तोड़े जाने के बाद, परिवार त्रिलोकपुरी की झुग्गियों में बस गया। उम्मुल की हड्डियों में गंभीर बीमारी थी, जिसके कारण उन्हें 16 फ्रैक्चर और 8 सर्जरी का सामना करना पड़ा।
शिक्षा की ओर कदम
उम्मुल ने शारीरिक समस्याओं के बावजूद अपनी पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय संस्थान से पांचवीं कक्षा की पढ़ाई की और अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट से आठवीं कक्षा पूरी की।
जब उम्मुल ने आगे पढ़ने की इच्छा जताई, तो परिवार ने उनकी पढ़ाई रोकने की कोशिश की, लेकिन उम्मुल ने घर छोड़ दिया और खुद की झुग्गी में रहने लगी। उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई के खर्च को पूरा किया, जिसमें उन्हें 50 से 100 रुपए मिलते थे।
उच्च शिक्षा और UPSC की सफलता
उम्मुल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के गार्गी कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया और जेएनयू से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जेएनयू में जूनियर रिसर्च फेलोशिप मिलने के बाद, उम्मुल को हर महीने 25,000 रुपये मिलने लगे।
उसी समय, उम्मुल ने अपने बचपन के सपने को याद किया – IAS बनने का सपना। जेएनयू से पीएचडी पूरी करने के बाद, उम्मुल ने UPSC की परीक्षा दी और पहले प्रयास में ही सफलता प्राप्त की। उन्हें ऑल इंडिया रैंक 420 मिली, जिसके आधार पर उन्हें इंडियन रेवेन्यू सर्विस (IRS) में डिप्टी कमिश्नर के पद पर नियुक्त किया गया।
प्रेरणा का स्रोत
उम्मुल को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन से प्रेरणा मिली। नेताजी के संघर्ष और सफलता की कहानी ने उम्मुल को मुश्किलों का सामना करने की प्रेरणा दी।
उम्मुल खेर की कहानी हमें दिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद, सही इच्छाशक्ति और संघर्ष से हर लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।