AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश में उपचुनाव की तैयारियाँ तेज हो गई हैं। चुनाव आयोग ने राज्य की 10 खाली विधानसभा सीटों में से 9 पर उपचुनाव की घोषणा की है। इन सीटों में कटेहरी, करहल, मीरापुर, कुंदरकी, फूलपुर, सीसामऊ, गाजियाबाद, मझवां और खैर शामिल हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सहयोगी पार्टी, निषाद पार्टी, कम से कम एक सीट पाने के लिए प्रयासरत है।
निषाद पार्टी की सीटों की मांग
सूत्रों के अनुसार, BJP 9 सीटों में से 8 पर चुनाव लड़ेगी और केवल मीरापुर सीट अपने सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के लिए छोड़ेगी। निषाद पार्टी, जो पहले मझवां सीट पर जीत चुकी है, अब कटेहरी और मझवां सीट पर दावा कर रही है। हालाँकि, BJP की ओर से अभी तक उन्हें सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने कहा, “मुझे विश्वास है कि BJP गठबंधन धर्म का पालन करेगी और हमें उचित सम्मान मिलेगा।” उनका कहना है कि वे इस मुद्दे को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष उठाने की योजना बना रहे हैं।
संजय निषाद की रणनीति
बुधवार को निषाद पार्टी के शीर्ष नेताओं की BJP के उच्च अधिकारियों से बैठक होने की उम्मीद है। संजय निषाद ने बताया कि वे इस मुद्दे को लेकर अमित शाह से भी मिल सकते हैं। “मुझे लगता है कि हम जो चाहते हैं, वह हमें मिलेगा,” उन्होंने कहा।
उपचुनाव की पृष्ठभूमि
उत्तर प्रदेश में उपचुनाव की प्रक्रिया कई कारणों से शुरू हुई है। इनमें से 8 सीटें पहले चुने गए विधायकों के लोकसभा में निर्वाचित होने के कारण रिक्त हुई हैं। सीसामऊ सीट पर उपचुनाव का कारण विधायक इरफान सोलंकी का आपराधिक मामले में दोषी ठहराया जाना है।
2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) ने 5 सीटें जीती थीं, जबकि BJP ने 3 सीटें प्राप्त की थीं। निषाद पार्टी ने मझवां सीट पर जीत दर्ज की थी। मीरापुर सीट पर RLD की जीत हुई थी।
सपा की तैयारी
समाजवादी पार्टी ने पहले ही 6 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है। इन सीटों में करहल, सीसामऊ, मिल्कीपुर, कटेहरी, फूलपुर और मझवां शामिल हैं।
निष्कर्ष
जैसे-जैसे उपचुनाव की तारीख करीब आ रही है, राजनीतिक हलचल बढ़ रही है। निषाद पार्टी अपने लिए एक सीट सुनिश्चित करने के लिए BJP पर दबाव बना रही है। संजय निषाद का अमित शाह के प्रति विश्वास इस बात को दर्शाता है कि वे गठबंधन धर्म को प्राथमिकता देने की उम्मीद कर रहे हैं।
उपचुनाव के परिणाम राजनीतिक समीकरणों को बदल सकते हैं, इसलिए सभी दल अपनी रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। 13 नवंबर को होने वाले मतदान में सभी की निगाहें इस चुनाव पर होंगी।