AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार ने प्रदेश के सभी जिलों के एसपी और पुलिस कमिश्नरों को नए आपराधिक कानून के तहत महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। यह निर्देश खासकर उन मामलों में लागू होंगे, जिनमें गिरफ्तारी किसी अन्य जिले में होती है या जब गिरफ्तारी करने वाली कोर्ट किसी अन्य स्थान पर स्थित हो। साथ ही, इन निर्देशों के माध्यम से पुलिसकर्मियों को नए कानून की जानकारी देने के लिए एक कार्यशाला आयोजित करने का भी निर्णय लिया गया है।
नए कानून के तहत महत्वपूर्ण निर्देश
डीजीपी ने सभी जिलों के एसपी और पुलिस कमिश्नरों को भेजे गए पत्र में नए आपराधिक कानून के तहत गिरफ्तारी और ट्रांजिट रिमांड से जुड़ी कई महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं के बारे में बताया है।
1. गिरफ्तारी के बाद सूचना देना जरूरी
यदि किसी जिले से वांछित अपराधी की गिरफ्तारी दूसरे जिले में होती है, तो गिरफ्तार करने वाले जिले की पुलिस को संबंधित जिले के वरिष्ठ अधिकारी को सूचना देना अनिवार्य होगा। इससे पुलिस को अपराधी के स्थान और वारंट के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी।
2. 30 किलोमीटर तक की दूरी पर कोर्ट की जानकारी
जब किसी अन्य जिले में गिरफ्तारी होती है और गिरफ्तारी वाले जिले से कोर्ट का वारंट जारी किया जाता है, तो यदि वह कोर्ट 30 किलोमीटर के दायरे में स्थित है, तो आरोपी को उसी कोर्ट में पेश किया जाएगा। इसके अलावा, अगर आरोपी को किसी अन्य जिले के थाने में रखा जाता है, तो उस जिले के पुलिस अधिकारियों को भी इस बारे में सूचित किया जाएगा।
3. ट्रांजिट रिमांड की व्यवस्था
यदि गिरफ्तारी वाली जगह से वारंट जारी करने वाली कोर्ट 30 किलोमीटर से अधिक दूर है, तो संबंधित जिले की अदालत से ट्रांजिट रिमांड लिया जाएगा, ताकि आरोपी को उचित तरीके से न्यायिक हिरासत में लाया जा सके।
पुलिसकर्मियों को नए कानून की जानकारी देने के लिए कार्यशाला
डीजीपी ने आदेश दिया है कि प्रत्येक जिले में पुलिसकर्मियों को नए कानून के तहत उनकी जिम्मेदारियों और प्रक्रियाओं से अवगत कराने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया जाए। इन कार्यशालाओं में थानेदार, राजपत्रित अधिकारी और विवेचक (इन्वेस्टिगेटर) शामिल होंगे। कार्यशाला के दौरान, विशेषज्ञों द्वारा पुलिस कर्मियों को धारा-82 के प्रावधानों के बारे में जानकारी दी जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पुलिसकर्मियों को कानून की सही समझ हो, ताकि वे उचित रूप से कार्रवाई कर सकें।
एफआईआर दर्ज करने का अधिकार
नए आपराधिक कानून में पीड़ितों को एफआईआर दर्ज कराने का अधिकार मिलेगा। यह अधिकार अब और सशक्त होगा, ताकि पीड़ित बिना किसी रुकावट के अपनी शिकायत दर्ज करवा सकें। डीजीपी ने इस सम्बन्ध में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है, जिसके तहत एसपी और पुलिस कमिश्नरों को सभी निर्देश भेजे गए हैं।
यूपी डीजीपी का यह कदम नए आपराधिक कानून के तहत पुलिस अधिकारियों को और अधिक सशक्त और सक्षम बनाने का है। नए नियमों से न केवल गिरफ्तारियों की प्रक्रिया सरल होगी, बल्कि अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई और सख्त होगी। साथ ही, पुलिसकर्मियों को कानून के बारे में सही जानकारी देने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन भी होगा, जो पुलिस व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।