Wakf Act 1995 Challenged in Supreme Court by Vishnu Shankar Jain Over Discrimination Against Non-Muslims
वक्फ अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका, विष्णु शंकर जैन ने उठाए गैर-मुस्लिमों के अधिकारों के सवाल
AIN NEWS 1: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 और मूल वक्फ अधिनियम, 1995 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक अहम याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका को अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, हरि शंकर जैन और मणि मुंजाल ने मिलकर दायर किया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि वक्फ अधिनियम मुस्लिम समुदाय को अनुचित विशेषाधिकार देता है और गैर-मुस्लिमों, खासकर हिंदुओं, के साथ भेदभाव करता है।
याचिका में क्या मांग की गई है?
इस याचिका में कुल 16 धाराओं को चुनौती दी गई है, जिनमें धारा 3(आर), 4, 5, 6(1), 7(1), 8, 28, 29, 33, 36, 41, 52, 83, 85, 89 और 101 शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि ये धाराएं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 15 (भेदभाव का निषेध), 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता), 27 (धार्मिक कर का निषेध) और 300ए (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करती हैं।
वक्फ अधिनियम पर मुख्य आपत्तियाँ
1. गैर-मुस्लिमों के खिलाफ भेदभाव:
वक्फ अधिनियम में मुसलमानों को विशेष अधिकार और शक्तियाँ दी गई हैं, जबकि अन्य धर्मों के लोगों के अधिकारों की अनदेखी की गई है।
2. संपत्ति पर दावा:
कई हिंदू धार्मिक या व्यक्तिगत संपत्तियाँ वक्फ बोर्ड के नियंत्रण में चली गई हैं, जिन्हें लेकर विवाद बना हुआ है। याचिका में मांग की गई है कि सरकार इन संपत्तियों की पहचान कर उन्हें मुक्त कराए।
3. सिविल न्यायालयों से वंचित:
गैर-मुस्लिमों को वक्फ से संबंधित विवादों के लिए वक्फ ट्रिब्यूनल तक सीमित कर दिया गया है, जबकि उन्हें सिविल न्यायालय में जाने का अधिकार मिलना चाहिए।
4. गांव की साझा भूमि:
याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि जो जमीनें “शामलात देह”, “शामलात पट्टी” और “जुमला मुल्कन” की श्रेणी में आती हैं, उन्हें वक्फ के अधिकार क्षेत्र से हटाया जाए।
5. वक्फ ट्रिब्यूनल की सीमाएँ:
धारा 83 और 85 के अंतर्गत वक्फ ट्रिब्यूनल को अंतिम निर्णय देने का अधिकार है, लेकिन याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह गैर-मुस्लिमों के लिए अनुचित है और इससे निष्पक्ष न्याय नहीं मिल पाता।
मुख्य न्यायाधीश के समक्ष याचिका का उल्लेख
विष्णु शंकर जैन ने इस याचिका का उल्लेख सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के समक्ष किया। उन्होंने आग्रह किया कि इस याचिका को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली अन्य लंबित याचिकाओं के साथ जोड़कर जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। मुख्य न्यायाधीश ने आश्वासन दिया कि वे इस अनुरोध पर विचार करेंगे।
याचिकाकर्ताओं की प्रमुख मांगें
1. हिंदू संपत्तियों की पहचान:
केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह उन हिंदू धार्मिक या व्यक्तिगत संपत्तियों की पहचान करे जिन्हें वक्फ बोर्ड के अधीन लाया गया है।
2. गांव की साझा भूमि की वापसी:
वक्फ के अंतर्गत दर्ज गांव की साझा भूमि को वापस लिया जाए।
3. वक्फ कानून से गैर-मुस्लिमों को बाहर किया जाए:
धारा 4 और 5 के तहत गैर-मुस्लिमों को शामिल न किया जाए और धारा 6(1) व 7(1) में “पीड़ित व्यक्ति” की परिभाषा में उन्हें हटाया जाए।
4. सिविल कोर्ट में जाने की अनुमति:
वक्फ से संबंधित मामलों में गैर-मुस्लिमों को वक्फ ट्रिब्यूनल की बजाय सामान्य सिविल कोर्ट में जाने का अधिकार मिले।
5. वक्फ ट्रिब्यूनल से बाहर:
वक्फ अधिनियम की धारा 83 और 85 के तहत गैर-मुस्लिमों को बाहर रखा जाए ताकि उनके मामले सिविल कोर्ट में निष्पक्ष रूप से सुने जा सकें।
वक्फ अधिनियम और इसके संशोधन को लेकर लंबे समय से विवाद रहा है, लेकिन यह याचिका इस दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इसमें न केवल गैर-मुस्लिमों के अधिकारों की बात की गई है, बल्कि संविधान के मूल सिद्धांतों की रक्षा की भी मांग की गई है। अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर क्या रुख अपनाता है।
Vishnu Shankar Jain has filed a significant petition in the Supreme Court challenging the constitutional validity of the Wakf Act 1995 and its recent Wakf Amendment 2025. The petition claims the Act discriminates against non-Muslims, particularly Hindus, by granting exclusive privileges to Muslims. It highlights issues with Wakf Board control over Hindu lands, lack of access to civil courts for non-Muslims, and the denial of equal rights under Articles 14, 15, 21, and 25 of the Constitution. This case brings crucial attention to the role of the Wakf Act in property rights and religious freedom in India.